fbpx

Yogasan types: योगासन के प्रकार और उनके लाभ जानें

Yogasan types: योगासन के प्रकार और उनके लाभ जानें

वजन में कमी, मजबूत एवं लचीला शरीर, सुन्दर चमकती त्वचा, अच्छा स्वास्थ्य देना यह सभी योगासन (Yogasan) के लाभ है। योग हमें शारीरिक, मानसिक रूप से तथा सांस लेने में लाभ देता हैं।

हम यहाँ आपको योगासन के फायदे क्या-क्या है और योगासन के प्रकार क्या-क्या है इसके बारे में बताएंगे।

योगासन के लाभ:

पूरे स्वास्थ्य के लिए जरूरी: आप तब पूरी तरह से स्वस्थ रहते है जब आप शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहते है। स्वास्थ्य का मतलब जीवन की गतिशीलता से होता हैं जो बताती हैं कि आप कितने ख़ुशी, प्रेम और ऊर्जा से भरे हुए हैं। यह हमे बैठने का तरीका, प्राणायाम तथा ध्यान करना सिखाता हैं। (यह भी पढ़ें: मानसिक रोग के प्रकार)

वजन में कमी लाए: सूर्य नमस्कार और कपालभाति प्राणायाम योग के साथ साथ शरीर के वजन में भी कमी लाते हैं। इसके अलावा नियमित रूप से योगाभ्यास करना हमे खाने में कैसा भोजन करना चाहिए। यह वजन पर नियंत्रण रखने में मदद करता हैं।

चिंता से राहत दिलाएं: दिनभर में कुछ मिनट का योग मानसिक और शारीरिक चिंताओं से मुक्त कराता हैं। योगासन, प्राणायाम और तनाव दूर करने का कारगर उपाय हैं।

प्रतिरोधक क्षमता में सुधार लाएं: शरीर में किसी भी तरह की अनियमितता मन को प्रभावित करती हैं। मन में निराशा और थकान शरीर में रोग का कारण बनता हैं। योगासन अंगो को सामान्य स्थिति में रखते हैं और मांसपेशियों को शक्ति देते हैं।

ऊर्जा में वृद्धि लाएं: अगर आप दिन खत्म होने तक थका हुआ महसूस करते है तो दिन में कुछ मिनट योगासन करना आपको पूरे दिन ताजगी भरा और ऊर्जा से भरपूर रखता है।

शारीरिक लचीलापन लाएं और बैठने का तरीका ठीक करें: अपने नियमित दिनचर्या में योग को शामिल करें जिससे आप कोमलता और लचीलापन से दूर रहते है। नियमित रूप से योगाभ्यास आपके शरीर को मजबूती देता हैं और मांसपेशियों को मजबूत बनाता हैं। शरीर के बैठने, खड़े होने आदि स्थिति में सुधार लाता हैं। यह गलत तरीके से उठने, बैठने में सुधार लाता हैं।

आइये अब जानते है योगासन के कौन-कौन से आसन आप कर सकते है।

योगासन के प्रकार:

आइये अब आपको योगासन के कौन-कौन से प्रकार है यह बताते है।

स्वस्तिकासन / Swastikasana: इस आसन में स्वच्छ कम्बल या कपडे पर पैर फैलाकर बैठें। इसके बाद बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिने जंघा और पिंडली (calf, Thigh) के बीच इस तरह रखें कि आपका बाएं पैर का तल छिप जाए उसके बाद दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली (calf, Thigh) के मध्य स्थापित करने से यह आसन बन जाता है। आप ध्यान मुद्रा में बैठें तथा रीढ़ (spine) सीधी कर सांस खींचकर यथाशक्ति रोकें। इसी प्रक्रिया को आप पैर बदलकर भी कर सकते है।

स्वस्तिकासन के लाभ:

  • पैरों का दर्द दूर करें। (यह भी पढ़ें: पैरों का दर्द कैसे दूर करे)
  • पसीना आना दूर करें।
  • पैरों का गर्म या ठंडापन दूर करें।
  • ध्यान के लिए अच्छा आसन

गोमुखासन /Gomukhasana:

  • दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें। इसके बाद बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब (buttock) के पास रखें।
  • दाएं पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें कि दोनों घुटने एक दूसरे के ऊपर जाएँ।
  • दाएं हाथ को ऊपर उठाकर पीठ की ओर मुड़िए तथा बाएं हाथ को पीठ के पीछे नीचे से लाकर दाएं हाथ को पकड़ें और अपनी गर्दन और कमर सीधी रखें।
  • एक ओ़र से लगभग एक मिनट तक करने के बाद दूसरी ओ़र से इसी प्रकार करें।

गोमुखासन के लाभ:

  • अंडकोष वृद्धि एवं आंत्र (Bowel) वृद्धि में विशेषकर लाभदायक है।
  • स्री रोगों में लाभदायक होता है।
  • लिवर, गुर्दे एवं चेस्ट को बल देता है। गठिया को भी दूर रखते है। (यह भी पढ़ें: गठिया रोग के लक्षण और उपाय)

गोरक्षासन / Gorakhshasana:

  • दोनों पैरों की एडी तथा पंजे आपस में मिलाकर सामने रखें।
  • अब सीवनी नाड़ी (गुदा एवं ureter के मध्य) को एडियों पर रखते हुए उस पर बैठें। ध्यान रखें कि दोनों घुटने पर टिके हुए हों।
  • हाथों को ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटनों पर रखें।

गोरक्षासन के लाभ:

  • मांसपेशियो में रक्त संचार सही से रखें।
  • इन्द्रियों में चंचलता खत्म करके मन में शांति प्रदान करता है इसीलिए इसका नाम गोरक्षासन है।

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन /Ardha Matsyendrasana:

  • दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें। बाएं पैर को मोड़कर एडी को नितम्ब (buttock) के पास लगाएं।
  • बाएं पैर को दाएं पैर के घुटने के पास बाहर की ओ़र जमीन पर रखें।
  • बाएं हाथ को दाएं घुटने के पास बाहर की ओ़र सीधा रखते हुए दाएं पैर के पंजे को पकडें।
  • दाएं हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर पीछे की ओ़र देखें।
  • इसी प्रकार दूसरी ओ़र से इस आसन को करें।

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन के लाभ:

  • डायबिटीज (diabetes) एवं कमरदर्द में लाभदायक।  
  • सभी नस नाड़ियों में (जो मेरुदंड (Vertebra) के इर्द-गिर्द फैली हुई है। रक्त संचार को सही से चलाता है।
  • पेट के विकारों को दूर करके आँखों को बल देता है।

योगमुद्रासन / Yoga Mudrasana:

  • धरती पर पैर सामने फैलाकर बैठें।
  • बाएं पैर को उठाकर दाई जांघ पर इस तरह लगाएं कि बाएं पैर की एडी नाभि के नीचे आए।
  • दाएं पैर को उठाकर इस तरह लाइए की बाएं पैर की एडी के साथ नाभि के नीचे मिल जाए।
  • दोनों हाथ पीछे ले जाकर बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ से पकडें. फिर श्वास छोड़ते हुए।
  • सामने की ओ़र झुकते हुए नाक को जमीन से लगाने का प्रयास करें. हाथ बदलकर क्रिया करें।
  • पुनः पैर बदलकर पुनरावृत्ति करें

डिस्क्लेमर: आज हमने आपको यहाँ योगासन से संबंधित सामान्य जानकारियाँ दी है। किसी भी तरह की समस्या होने पर डॉक्टर से परामर्श लें ।

हेल्थ संबंधी जानकारियां पाने के लिए आयु ऐप डाउनलोड करके आप अपने फोन पर रोज़ाना सेहत की बातें सेक्शन में जाकर पढ़ सकते है।

CATEGORIES
Share This

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus ( )