World Thalassemia Day: बीटा थैलेसीमिया क्या है जानें थैलेसीमिया से बचने के उपाय

World Thalassemia Day: थैलेसीमिया रोग होने पर रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिसके कारण शरीर में थकान और एनीमिया की समस्या होने लगती है। थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है, यह माता-पिता से बच्चों में आती है। खून में पनपने वाली गंभीर बीमारी बीटा थैलेसीमिया का पता लगाना अब मेडिकल विज्ञान में ज्यादा मुश्किल नहीं रहेगा। क्योंकि रोहतक पीजीआईएमएस में अब डीएनए जांच के जरिए इसका पता लगाया जा सकेगा।
आइए इस लेख में जानते हैं बीटा थैलेसीमिया क्या है, कारण, लक्षण और थैलेसीमिया का इलाज। (World Thalassemia Day- What is thalassemia, symptoms of thalassemia and treatment)
NOTE: शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी एनीमिया कहलाती है। यह दो तरह के प्रोटीन अल्फा व बीटा से बनता है। इनमें गड़बड़ी से रक्त में रेड ब्लड सेल्स तेजी से नष्ट होने लगते हैं। जिससे खून की कमी हो जाती है।
1. बीटा थैलेसीमिया क्या है? What is Beta thalassemia
थैलेसीमिया के रोगियों में अक्सर कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। यह रोगी थैलेसीमिया वाहक होते हैं. अगर किसी जीन में थैलेसीमिया के ट्रेट पाए जाते हैं तो उन्हें कैरियर या थैलेसीमिया माइनर कहा जाता है। थैलेसीमिया माइनर से पीड़ित लोगों को माइल्ड एनीमिया होता है।
– थैलेसीमिया माइनर वाले व्यक्ति में बीटा थैलेसीमिया (Beta thalassemia) जीन की एक प्रतिलिपि होती है जिसमें एक पूरी तरह से सामान्य बीटा-चेन जीन होता है. रोगी में इसके लक्षण हल्के होते हैं और ये बीटा-थैलेसीमिया के रूप में भी जाना जाता है। इस स्थिति को थैलेसीमिया माइनर या बीटा- थैलेसीमिया (Beta thalassemia) कहते है।
2. थैलेसीमिया मेजर हैं बीटा थैलेसीमिया का कारण thalassemia major
थैलेसीमिया मेजर बीमारी वाले रोगी में बीटा थैलेसीमिया के दो जीन होते हैं यह बीटा श्रृंखला उत्पादन में कमी कर देता है। इन उत्परिवर्तित जीन (mutated gene) के कारण रोगियों में लक्षण मध्यम से गंभीर तक हो सकते हैं। इससे पैदा हुई समस्या को Cooley एनीमिया के रूप में भी जाना जाता है। थैलेसीमिया माइनर से पीड़ित रोगियों से पैदा होने वाले बच्चों को थैलेसीमिया मेजर (thalassemia major ) बीमारी होती है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को जीवित रहने के लिए बोन मेरो ट्रांसप्लांट पद्धति या फिर नियमित रूप से रक्त संक्रमण की आवश्यकता होती है।
3. इंटर मीडिया :
थैलेसीमिया बीमारी का यह स्तर पर मेजर और माइनर (thalassemia major and minor) दोनों के बीच का होता है। इसमें दोनों जीन जब प्रभावित हो तो यह दिक्कत आती है।
4. गर्भावस्था में- thalassemia in pregnancy
थैलेसीमिया से ग्रस्त महिला को संक्रमण, हाइपोथायरायडिज्म, हृदय रोग,बार-बार रक्त चढ़ाने की जरूरत, जेस्टेशनल डायबिटीज व हड्डियों के कमजोर होने की आशंका रहती है। ऐसे में डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
5. इलाज – thalassemia treatment
ब्लड टेस्ट कर रोग के प्रकार व गंभीरता पर इलाज निर्भर है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट, रक्त चढ़ाने, सप्लीमेंट्स व दवाएं देते हैं। स्थिति अनुसार प्लीहा व पित्ताशय निकाल देते हैं।
(A) थैलेसीमिया से बचाव का उपाय (Prevention of Thalassemia)
- खून की जांच करवा कर रोग की पहचान करना
- शादी से पहले लड़के व लड़की के खून की जांच करवाना
- नजदीकी रिश्ते में विवाह करने से बचना
- गर्भधारण से 4 महीने के अन्दर भ्रूण की जाँच करवाना
(B) थैलेसीमिया का उपचार कैसे किया जा सकता है? How can Thalassemia be treated?
– खून चढ़ाना / Blood Transfusion : थैलेसीमिया रोगी को नियमित रुप से खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है। कुछ रोगियों को हर 10 से 15 दिन में ब्लड चढ़ाना पड़ता हैं । थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे सही उपचार लेने पर 25 वर्ष से ज्यादा समय तक जीवित रह सकते हैं।
– Bone Marrow Transplant : Bone Marrow Transplant और Stem Cell का उपयोग कर बच्चों में इस रोग को पनपने से रोका जा सकता है।
– Chelation Therapy : बार-बार ब्लड चढाने से और लौह तत्व की गोली लेने से रोगी के ब्लड में लौह तत्व की मात्रा अधिक हो जाती है। खून में जमे इस अधिक लौह तत्व को निकालने के लिए इंजेक्शन और दवा दोनों तरह के इलाज कराए जाते हैं।
डिस्क्लेमर
इस लेख में आपने बीटा थैलेसीमिया और इसका इलाज के बारे में जाना। थैलेसीमिया कितनी खतरनाक बीमारी है, इसके बारे में अब आप जान चुके हैं , तो समय समय पर अपने शरीर का चेक-अप जरूर करवाते रहें। किसी भी स्वास्थ्य समस्या का घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेने के लिए आयु ऐप डाउनलोड करें।
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