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विश्व टीकाकरण दिवस: जानें टीकाकरण का महत्व और प्रभाव

विश्व टीकाकारण दिवस

विश्व टीकाकरण दिवस (World Immunization Day) हर साल 10 नवंबर को मनाया जाता है। नवंबर को मनाया जाता है। यह दिवस टीका निवारणीय रोगों मतलब सरल भाषा में वह रोग जिनको टीका लगाकर सही किया जा सकता है के खिलाफ समय पर टीकाकरण करवाने के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। टीकाकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा संक्रामक रोगों के लिए प्रतिरोधक क्षमता को विकसित किया जाता है।

जितना मजबूत हमारा इम्यून सिस्टम होगा उतना ही ज्यादा हम स्वस्थ और फिट रहेंगे। लेकिन सबसे पहले आप यह जान लीजिये की आखिर इम्यून सिस्टम क्या है?

यह दूसरे व्यक्तियों में रोग के फैलने को कम करने में मदद करता है। टीकाकरण संक्रमण के बाद या बीमारी के खिलाफ़ व्यक्ति की रक्षा के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है। किसी की शुरू से ही प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जो उन्हें स्तनपान के माध्यम से अपनी माँ से प्राप्त होती है। यह प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है, क्योंकि बच्चे की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित होना शुरू हो जाती है। टीकाकरण के लिए जीवनशैली में प्रमुख परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती है।  

टीकाकरण का महत्व:

टीकाकरण, किसी बीमारी से लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन को सुरक्षित बनाने का एक कारण है। बीमारियों से बचाने के लिए भारत में सार्वभौमिक टीकाकरण, मिशन इंद्रधनुष जैसे कार्यक्रम चलाए जाते हैं। बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण के बीच दुनियाभर के वैज्ञानिक इसका टीका तैयार करने में लगे हुए हैं।

ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी वायरस ने दहशत फैलाई है। इससे पहले स्पेनिश फ्लू, स्वाइन फ्लू, सार्स, प्लेग जैसी महामारियाँ फैल चुकी हैं। बहुत सारी बीमारियों में शोध के बाद वैज्ञानिकों ने इनसे लड़ने वाले एंटी डाट्स और टीके तैयार किए हैं। कभी चेचक और पोलियो भी बड़ी महामारी होती थी, लेकिन अब इन बीमारियों की प्रभावी वैक्सीन तैयार हो चुकी है। टीकाकरण के जरिए ही कई सारी महामारियों से लोगों को बचाया जा सका है। 

अब आपके मन में यह आया होगा कि वेक्सिनेशन शब्द आया कहा से है तो आपको बताते है दरअसल, यह एक लैटिन भाषा के एक शब्द वैक्सीनस से बना है, जिसका अर्थ गाय या उससे संबंधित होता है।

टीकाकरण का प्रभाव:

सबसे पहले आपको बताते है टीकाकरण कैसे काम करता है। दरअसल, इंसान जिसके कारण वायरल रोगों का शिकार होते हैं, उन पैथोजेन को एंटीजन कहते है। एंटीजन से लड़ने के लिए मानव शरीर एक खास तरह का प्रोटीन बनाता है, जिसे एंटीबॉडी कहा जाता है। शुरू में शरीर में एंटीबॉडी के निर्माण की गति कम होती है। शरीर में एंटीबॉडी बनने की दर और पैथोजन के वापस बनने की रफ्तार में जो जीतता है, वही विजयी होता है।

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टीकाकरण कब लगवाते है?

देश में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में 15 वर्ष तक की आयु के बच्चें तथा गर्भवती महिलाओं को गंभीर रोगों से बचने के लिए टीके लगाए जाते हैं इनमें तपेदिक (टी.बी) डिप्थीरिया, परटूसिस (काली खाँसी), टिटनेस, खसरा (मीजल्स) तथा पोलियो (पोलियोमाइटिस) आदि शामिल है।

छोटे बच्चों को सही समय पर इन सभी रोगों से बचने के लिए वैक्सीन्स की पर्याप्त खुराकें दी जाती है जिसके तहत इन रोगों से बचा जा सकता है।

भविष्य में घातक व अपंग करने वाली बीमारियों से बचने के लिए बच्चे को टिटनेस टॉक्साइड वैक्सीन के अतिरिक्त अन्य वैक्सीन्स लगाना बेहद आवश्यक है।

गर्भवती महिला को टिटनेस टॉक्साइड (टी.टी) के 2 टीके लगवाने चाहिए। ये टीके गर्भावस्था में कभी भी लगवाए जा सकते हैं, हालाँकि समय से पहले हो जाने वाले प्रसव तथा गर्भपात को कवर करने के लिए इन्हें गर्भावस्था के शुरू में लगवाना अधिक लाभकारी होता है | टीकों के बीच 4-6 सप्ताह का अंतर अवश्य होना चाहिए।
 
अगर किसी स्री ने पहले गर्भ में टी.टी. के टीके लगवाए हैं और पहले गर्भ के 5 वर्ष के भीतर वह दूसरा गर्भधारण कर लेती है तो दूसरे गर्भ टी.टी. का केवल एक टीका काफी है। टीका प्रसव की अपेक्षित तिथि से 4-6 सप्ताह पूर्व लगवाना चाहिए।

अगर पहले व दूसरे गर्भ के बीच 5 वर्ष से अधिक का अंतर है तो दूसरे गर्भ में पहले गर्भ की भांति 2 टीके लगवाने चाहिए। अगर पहले गर्भ में लगाए गए टीकों का सही रिकॉर्ड आपके पास उपलब्ध नहीं है तो यही बेहतर होगा की दूसरे गर्भ में भी 2 टीके लगवाए जाए चाहे वह गर्भ, पहले गर्भ के 5 वर्ष के समय के भीतर ही क्यों ना हुआ हो। ये नियम बाद के गर्भधारण पर भी लागू होते हैं।

विश्व टीकाकरण दिवस टीका निवारणीय रोगों के खिलाफ समय पर टीकाकरण करवाने के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।

टीकाकरण और प्रतिरक्षण के बीच अंतर?

टीका देने की प्रक्रिया को टीकाकरण कहा जाता है जबकि शरीर की रक्षात्मक प्रतिक्रिया के विकास के लिए टीका देने की पूरी प्रक्रिया की शुरुआत करने को प्रतिरक्षण कहा जाता है।

रोगियों के लिए स्मरण योग्य संकेत

एक सुई: एक सिरिंज का केवल एक ही बार उपयोग किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करें।
    •   यह सुनिश्चित करें कि सुई और सिरिंज दोनों को उपयोग के बाद नष्ट कर दिया जाएँ। सुई बदलना और सिरिंज का पुन: उपयोग करना अत्यधिक असुरक्षित होता है।
    •   दिशा निर्देशों के अनुसार टीकाकरण अनुसूची का पालन करें। अपने प्रतिरक्षण रिकॉर्ड की जानकारी अवश्य रखें तथा किसी भी प्रकार के टीकाकरण से पहले इस जानकारी को अपने साथ लेकर ज़रूर जाएँ।
    •    किसी भी प्रकार के टीकाकरण से पहले हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श लें।

अस्वीकरण: सलाह सहित इस लेख में सामान्य जानकारी दी गई है। अधिक जानकारी के लिए आज ही अपने फोन में आयु ऐप डाउनलोड कर घर बैठे विशेषज्ञ  डॉक्टरों से परामर्श करें। स्वास्थ संबंधी जानकारी के लिए आप हमारे हेल्पलाइन नंबर 781-681-11-11 पर कॉल करके भी अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। आयु ऐप हमेशा आपके बेहतर स्वास्थ के लिए कार्यरत है।