World COPD Day: अस्थमा से ज्यादा खतरनाक है सीओपीडी

सीओपीडी (COPD) यानि क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज है। विश्व सीओपीडी दिवस हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को मनाया जाता है। जिस वजह से इस साल यह 18 नवंबर को मनाया जाएगा। हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण जहरीले तत्व हमारे फेफड़ों और श्वास प्रणाली को नुकसान पहुँचा सकते है जिस वजह से सीओपीडी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। जो हवा हम सांस के रूप में लेते है, वह बहुत जहरीली है।
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर में सीओपीडी के देखभाल में सुधार लाने के उद्देश्य से विश्व सीओपीडी दिवस मनाया जाता है।
सीओपीडी एक फेफड़े की बीमारी का खतरा है जो वायुमार्ग में रुकावट के कारण सांस लेने में समस्या पैदा करता है। कुछ मामलों में हवा की थैलियां (एल्वियोली) धीरे-धीरे खराब होने लग जाती हैं, जिससे एम्फीसेमा नामक स्थिति हो सकती है। अन्य मामलों में वायुमार्ग में सूजन (जलन) हो जाती है, जिससे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस नामक स्थिति हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में सीओपीडी से पीड़ित लगभग 64 मिलियन लोग है। 2005 में सीओपीडी से 3 मिलियन से अधिक लोग मारे गए है। एक अध्यन के अनुसार सीओपीडी दुनिया भर में 2030 तक मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बन जाएगा।
सीओपीडी (COPD) होने पर मरीज को साँस लेने में तकलीफ होती है। यह अचानक से परेशान करने वाली समस्या नही है, यह धीरे-धीरे पनपती है। जिस वजह से मरीज को यह बिमारी कब हुई, इसका पता लगाना बहुत मुश्किल है। इसके लक्षण समझने में भी समय लगता है। इसके लक्षण समय के साथ गंभीर होते जाते है और मरीज के दैनिक कार्यों को प्रभावित करने लगते है। यह रोग कुछ सालों में विकसित होता है। उपचार से यह लक्षण कम हो सकते है और रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है।
सीओपीडी के लक्षण:
- खांसी
- जुकाम व फ्लू
- साँस लेने में दिक्कत
- सीने में जकड़न
- पैरों में सूजन
- वजन घटना
- स्मरण शक्ति की क्षति
- तनाव
- साँस प्रणाली में संक्रमण
- हृदय की समस्याएं
- फेफड़ों का कैंसर
सीओपीडी के कारण:
सीओपीडी का एक कारण धूम्रपान है। चूल्हे व फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआँ भी वजह बनता है। साँस के साथ अंदर जाने वाले कीटनाशक व पेंट में इस्तेमाल होने वाले रसायन और टीबी की पुरानी बीमारी अहम है।
सीओपीडी के इलाज:
ज्यादातर मरीजों को इंहेलर दिया जाता है जो काफी कारगर है। साँस लेने में अधिक परेशानी होने पर मरीज को ऑक्सीजन थैरेपी दी जाती है। इसके अलावा मरीज के लक्षणों के आधार पर अलग-अलग दवाईयाँ दी जाती है।
सीओपीडी में प्राणायाम और योग का प्रभाव:
सीओपीडी में योग और प्राणायाम संजीवनी बूटी की तरह काम करता है। स्वस्थ व्यक्ति इन्हें नियमित करता है तो सीओपीडी की आशंका खत्म हो जाती है। सीओपीडी के शुरुआती चरण में प्राणायाम करने से इसकी गंभीरता बढ़ने का खतरा कम हो जाता है। इसके लिए कपालभाति, अनुलोम-विलोम, ओम के उच्चारण के साथ सूर्यनमस्कार, सर्वांगासन, भुजंगासन और सिंहासन कर सकते है। लेकिन इन्हें करने से पहले विशेषज्ञ की राय जरूर ले।
सावधानी क्या-क्या रखें:
- धूम्रपान-सक्रिय के साथ-साथ निष्क्रिय (सेकंड हैंड) धूम्रपान से भी बचें क्योंकि यह सीओपीडी के प्रमुख कारणों में से एक है।
- वायु प्रदूषण, रासायनिक धुएं और धूल जैसे बाहरी और इनडोर प्रदूषण से बचें।
- भीड़-भाड़ वाली जगहों जैसे भारी ट्रैफ़िक, बाज़ार की जगहों और केमिकल फैक्ट्रियों में जाने से बचें।
- धूल और रसायनों के व्यावसायिक जोखिम से बचने के लिए मास्क या किसी सुरक्षात्मक उपकरण का उपयोग करें।
- श्वसन संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए स्वस्थ आहार लें।
- यदि आप सीओपीडी के रोगी है, तो पटाखे और धुएं के संपर्क में आने से बचें।
अस्वीकरण: सलाह सहित इस लेख में सामान्य जानकारी दी गई है। अधिक जानकारी के लिए आज ही अपने फोन में आयु ऐपडाउनलोड कर घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श करें। स्वास्थ संबंधी जानकारी के लिए आप हमारे हेल्पलाइन नंबर 781-681-11-11 पर कॉल करके भी अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। आयु ऐप हमेशा आपके बेहतर स्वास्थ के लिए कार्यरत है।