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तनाव क्या है? तनाव का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, जानें उपचार?

तनाव क्या है? तनाव का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, जानें उपचार?

भागदौड़ भरी जिदंगी में तनाव एक बड़ी समस्या बन गई है। युवाओं में सफल होने की चाह और आगे बढ़ने की भावना होने की वजह से तनाव हो सकता है। इससे देश का युवावर्ग और विद्यार्थी सबसे ज्यादा प्रभावित होते है। तनाव के कारण लोग आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते है।

यह समस्या सामाजिक बुराई के रूप में सामने आई है। इसकी समस्या से निपटने से पहले हमे यह जानना जरूरी है कि तनाव क्या है। हालांकि आप तनाव से आसानी से निपट सकते है। किसी भी विपरित परिस्थिति में मन को शांत रखने की चेष्ठा रखनी चाहिए तभी तनाव से दूर हो सकते है। तनाव को दूर करने और इसके प्रति जागरुकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय तनाव जागरुकता दिवस (Stress Awareness Day) मनाया जाता है।

तनाव क्या है? (What is Stress):

तनाव मानसिक बीमारी का रूप है। अक्सर लोग किसी भी परेशानी या सफल नहीं होने पर मानसिक रूप से परेशान हो जाते है। इसके चलते कई बार लोग आत्महत्या करने की भी कोशिश करते है।

तनाव बढ़ने के कारण:

  • भागदौड़ भरी जिंदगी में हर काम समय पर होने की चिंता होना।
  • परीक्षा, प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी नौकरी के टास्क पूरे करने और सफल होने की चिंता।
  • ज्यादा से ज्यादा धन कमाने की लालसा। आर्थिक संपन्नता नहीं होने की चिंता।
  • सामाजिक होड़ के बीच एक-दूसरे की देखादेखी और आगे निकलने की चाह में चिंता।
  • नौकरी जाने, व्यापार में घाटा होने या प्रेम-प्रसंग में सफल नहीं होने को लेकर चिंता ।
  • पारिवारिक विवाद और नौकरी नहीं होने पर बेरोजगार रहने की चिंता।

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तनाव से बचने के तरीके (Ways to prevent from stress):

  • अगर घर में कोई व्यक्ति गुमसुम रहता है, परेशान या अवसाद से ग्रसित है तो तुरंत उससे बात करें।
  • चिंतित व्यक्ति को हमेशा आगे अच्छा होने पर विश्वास करना चाहिए।
  • नौकरी नहीं होने, परीक्षा में कम अंक आने पर युवाओं को ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित करें।
  • किसी भी परेशानी में योग या भगवान की आराधना व धार्मिक पुस्तक पढ़ें।
  • तनाव को खत्म करने के लिए अन्य गतिविधियों से जुड़ें।
  • घर में बुजुर्ग या परिजन निराशा से उबरने की सीख देते हैं, उसका हौसला बढ़ाए।
  •  किसी व्यक्ति में अवसाद ज्यादा है या चिंतित रहता है तो उसे अस्पताल में मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।

मानसिक बीमारियाँ आजकल बहुत आम हो गया है। ‘डिप्रेशन’ यानि मन और मानस का असहयोग। डिप्रेशन यानि जीने का नकारात्मक रवैया, स्वयं से अनुकूलता ना कर पाना आदि। उसे निराशा, तनाव, अशांति,अरुचि का आभास होता है इसलिए जरूरी है कि आप किसी मनोवैज्ञानिक से संपर्क करें। उसे अकेला ना छोड़ें। उनकी रुचियों को प्रोत्साहित करें, उनमें आत्मविश्वास जगाएं और कारण जानने का प्रयत्न करें।

डिप्रेशन का कारण वातावरण, परिस्थिति, स्वास्थ्य, संबंध या किसी घटनाक्रम से जुड़ा हो सकता है। शुरुआत में व्यक्ति को खुद नहीं मालूम होता, किंतु उसके व्यवहार और स्वभाव में धीरे-धीरे परिवर्तन आने लगता है। कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता अथवा नास्तिकता और अपराध अथवा एकांत की प्रवृत्ति पनपने लगती है या फिर व्यक्ति नशे की ओर उन्मुख होने लगता है।

मानसिक बीमारियाँ होने के कारण:

मानसिक बीमारियाँ होने के कई कारण हैं, लेकिन आज की जीवनशैली भी इसका एक कारण है अन्यथा किसी को किसी भी कारण से, बीमारियाँ हो सकती है, चाहे कोई सदमा लगे, चाहे कहीं अपमान हो, चाहे कहीं उपेक्षा हो या किसी से कोई अपेक्षा हो, प्रेम में असफलता हो या विवाह से पूर्व यौन अपेक्षाएं हों, जैसे कई कारण हो सकते है।इनके अतिरिक्त हमारा खान-पान और रहन-सहन का तरीका गलत होने पर भी बीमारियाँ हो सकती है।

  • ब्रेन में सेरोटोनिन की कमी।
  • प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन की गडबडी।
  • मस्तिष्क के रसायनों में असंतुलन, अवसाद एवं अन्य मानसिक बीमारियाँ, अनिद्रा। ·
  • माँ-बाप से बच्चों की बढती दूरियां।
  • परीक्षा में असफलता।
  • प्यार के संबंध में गलत अवधारणा, आकर्षण को प्यार समझ लेना और प्यार में असफलता।
  • क्षमता से अधिक कर्ज।
  • शराब, नशीले पदार्थों, एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का दुष्प्रभाव।

परिवार के लोग घर का माहौल सकारात्मक बनाएं और ऐसे व्यक्ति का सहयोग करें। उदास व्यक्ति से अधिक बातचीत करें, उसे ध्यान से सुनें।

सैर-सपाटे, धार्मिक या मनोरंजन के आयोजन की व्यवस्था करें। उसे भावनात्मक समर्थन दें, धैर्य-समझ-स्नेह और प्रोत्साहन दें।

दिनचर्या में व्यस्तता लाएं। उन्हें डायरी लिखने को प्रेरित करें।

कार्य योजना बनाएँ। साइकोलोजिस्ट से सम्पर्क करें।

घर में हथियार, एसिड या जहरीली वस्तुएँ ना रखें। नशे और नींद की गोलियों का सेवन ना करें।

सावधानी पूर्वक ऐसे मित्र का चयन करें, जिसे आप अपने दिल का दर्द या परेशानियाँ बता सकें।

अस्वीकरण: सलाह सहित इस लेख में सामान्य जानकारी दी गई है। अधिक जानकारी के लिए आज ही अपने फोन में आयु ऐप डाउनलोड कर घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श करें। स्वास्थ संबंधी जानकारी के लिए आप हमारे हेल्पलाइन नंबर 781-681-11-11 पर कॉल करके भी अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। आयु ऐप हमेशा आपके बेहतर स्वास्थ के लिए कार्यरत है। 

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