क्या है स्लीप ऐप्निया? | Sleep Apnea
नींद की एक बीमारी है जिसका नाम स्लीप ऐप्निया (Sleep Apnea) है. अक्सर नींद के दौरान सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है, जिसे स्लीप ऐप्निया की समस्या के नाम से जाना जाता है. यह समस्या भले ही सुनने में छोटी लगती हो लेकिन इसके परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं. यह समस्या रात को नींद के दौरान होती है. इस समस्या की वजह से सोते समय व्यक्ति की सांस सैकड़ों बार रुक जाती है.
स्लीप ऐप्निया कई बीमारियों को देती है न्योता
स्लीप ऐप्निया का समय पर इलाज न हो तो हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है. इससे दिल का आकार बड़ा हो जाता है. दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. इसमें जीवनशैली की आदतें अहम भूमिका निभाती हैं, जिन्हें कारगर तरीके से सुधारा जा सकता है. शराब का सेवन, धूम्रपान और कुछ दवाएं गले की मांसपेशियों को ढीला कर सांस का प्रवाह रोक देती हैं. धूम्रपान से नाक के मार्ग और गले की मांसपेशियों में जलन भी होती है और सूजन आ जाती है, जो सांस लेने में बाधा बनती है.
स्लीप ऐप्निया के प्रकार
सेंट्रल स्लीप ऐप्निया
सेंट्रल स्लीप ऐप्निया में सांस रुक जाती है क्योंकि मस्तिष्क, सांस की आवाजाही पर नियंत्रण रखने वाली मांसपेशियों तक उचित संकेत नहीं भेजता है. इस बीमारी के मरीज गले में कुछ अटकन महसूस करते हुए या हांफते हुए जाग जाते हैं और वे उस समय पूरे होश में रहते हैं.
ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया
ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया में श्वास नली में रुकावट आने लगता है और व्यक्ति खर्राटे लेना शुरू कर देता है. ये इस विकार का सबसे आम रूप है. ओएसए से पीड़ित कई लोग अपनी समस्या के बारे में नहीं जानते हैं, उन्हें उसके बारे में पता नहीं चल पाता है क्योंकि वे यूं तो नींद में खर्राटे लेते हैं लेकिन जैसे ही करवट बदलते हैं तो उनकी सांस पहले की तरह सामान्य रूप से चलने लगती है।
स्लीप ऐप्निया का लक्षण
- तेज आवाज के साथ सांस लेना और छोड़ना.
- थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ सेकेंड के लिए सांस का रुकना.
- धीरे-धीरे सांस रुकने की रफ्तार और समय बढ़ना.
- सोते समय सांस न आने पर हड़बड़ा कर जागना.
- पूरे दिन सुस्त व आलस से भरे रहना.
- नींद पूरी न होने पर दिन में नींद का आना.
- थकान महसूस करना.
स्लीप ऐप्निया का उपाए
शहद
- खर्राटे का उपचार करने के लिए शहद काफी फायदेमंद माना जाता है. इसमें एंटी-इन्फ्लामेटरी गुण होते हैं. जो नाक से सूजन को कम करने में मदद करते हैं. इस वजह से आपको सांस लेने में आसानी होती है.
घी
- आयुर्वेद में भी घी के अनेक फायदे बताए गए हैं. यह कई बीमारियों को ठीक करने का काम करता है, जिसमें खर्राटें भी शामिल हैं. यह आपकी नाक को साफ करता है, जिससे खर्राटों से राहत मिलती है.
लहसुन
- खर्राटों से राहत पाने के लिए लहसुन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. खासतौर पर तब, जब खर्राटे साइनस की समस्या के कारण आती हों. लहसुन आपके नाक के मार्ग में बलगम को को कम करता है और श्वसन प्रणाली के भीतर किसी भी तरह की सूजन को कम करता है, जिससे खर्राटों से राहत मिलती है.
इलायची
- खर्राटों से राहत दिलाने के लिए इलायची एक कारगर घरेलू उपाय माना जाता है. इलायची में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी गुण के साथ-साथ विटामिन-सी, आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम होता है. यह आपको खर्राटों से राहत दिलाने में मदद करती है और आपको अच्छी नींद दिलाती है.
सरसों का तेल
- सरसों के तेल से भी खर्राटों का इलाज किया जा सकता है. यह खर्राटे का घरेलू इलाज करने में काफी अग्रणी है. कभी-कभी सर्दी-जुकाम होने के कारण नाक बंद हो जाती है और मुंह से सांस लेना पड़ता है. सर्दी-जुकाम के कारण मुंह से सांस लेने पर खर्राटे आती हैं. वहीं, सरसों के तेल में ऐसे गुण होते हैं, जो सर्दी की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं.