पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है? लक्षण, परीक्षण और इलाज
पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक तरह का मानसिक विकार है, जिसमें एक व्यक्ति का व्यक्तित्व पहचानना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि एक ही व्यक्ति में दो या उससे अधिक विशिष्ट पर्सनैलिटीज (Specific Personality) हो सकती है। हर व्यक्तित्व के विचार, कार्य और व्यवहार पूरी तरह से अलग हो सकते है। बचपन में अगर कोई व्यक्ति किसी ट्रॉमा से गुजरता है, जिसके कारण मन ही मन उसके भीतर कई पर्सनैलिटीज जन्म लेने लगती है। इस मानसिक समस्या का कोई परिभाषित इलाज नहीं है, लेकिन लॉन्ग टर्म ट्रीटमेंट से उन्हें सभी व्यक्तित्व को मिलाकर एक बनाने में मदद मिलती है।
पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है?
मनोचिकित्सक बताते है कि पर्सनैलिटी डिसऑर्डर को डीआईडी अर्थात् डाइजैक्टिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर भी कहा जाता है। यह एक ऐसी मानसिक समस्या है, जिसमें एक ही व्यक्ति दो या उससे ज्यादा अलग−अलग व्यक्तित्व होने की स्थिति महसूस कर सकता है। यह अलग−अलग व्यक्तित्व कुछ समय के लिए व्यक्ति की वास्तविक आइडेंटिटी को कुछ समय के लिए नियंत्रित कर सकते है।
पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के कारण:
मनोचिकित्सकों के अनुसार पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का एक सटीक कारण आज तक भी जान नहीं पाए है, लेकिन इसे व्यक्ति की कंडीशन और ट्रॉमा से जोड़कर देखा जाता है। ऐसा हो सकता है कि व्यक्ति को अपने बचपन में किसी एब्यूज या ट्रॉमा का सामना करना पड़ा हो और उस ट्रॉमा की उसके मन−मस्तिष्क पर गहरी छाप पड़ सकती है। इस स्थिति से बचने या उसे नजरअंदाज करने के लिए व्यक्ति एक अलग व्यक्तित्व विकसित करने लगता है। जिसके कारण वह अनजाने में ही पर्सनैलिटी डिसऑर्डर को विकसित कर सकता है।
पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण:
इस मानसिक समस्या की पहचान व्यक्ति के अंदर आए बदलावों से की जा सकती है। दरअसल, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से पीडि़त व्यक्ति के सभी व्यक्तित्व एक−दूसरे से बहुत अलग होते है, ऐसे में व्यक्ति के व्यवहार में आए बदलावों के आधार पर पर्सनैलिटी को पहचाना जा सकता है। इतना ही नहीं, जब व्यक्ति एक पर्सनैलिटी से दूसरे में शिफ्ट होता है, तब उसे उसके द्वारा पहले की गई गतिविधियों व बातों के बारे में कुछ भी याद नहीं रहता।
पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के प्रकार:
आमतौर पर डॉक्टर दस प्रकार की दिक्क्तों को पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से जोड़ते है। इन दिक्कतों को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है हालांकि इन सभी में बहुत अंतर नहीं होता।
वर्ग एक:
डिसऑर्डर जिसमें रोगी अजीब तरह से बर्ताव करता है, जैसे:
- व्यक्तित्व में पागलपन जैसे डिसऑर्डर।
- स्किट सोइड (schizoid) व्यक्तित्व, जिसमें व्यक्ति लोगों से घुलना -मिलना पसंद नहीं करते।
- स्किज़ोटिपल व्यक्तित्व विकार (schizotypal), जिसमें व्यक्ति यह नहीं समझ पाता कि संबंध कैसे निभाने है और उनके बर्ताव का दूसरों पर क्या असर पड़ता है।
वर्ग दो:
डिसऑर्डर जिसमें रोगी भावनात्मक और अनियमित बर्ताव करते है, जैसे:
- आत्ममुग्धता (Narcissism) वाले पर्सनालिटी डिसऑर्डर।
- बर्ताव, व्यवहार संबंधों को लेकर बेहद अस्थायी व्यवहार करने का पर्सनालिटी डिसऑर्डर।
वर्ग तीन:
भय से भरा हुआ बर्ताव वाले विकार, इसमें शामिल है:
- सामाजिक जीवन में असहज हो जाना और लोगों से व्यक्तिगत संबंध ना बना पाना।
- कई लोगों से सलाह लिए बिना स्वयं कोई निर्णय ना ले पाना।
- हर एक चीज को बहुत अधिक सुव्यस्थित और निर्धारित जगह पर रखने पर अत्यधिक जोर देने का दबाव।
पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का परीक्षण:
पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का इलाज करने के लिए कोई निर्धारित टेस्ट नहीं है और ना ही इलाज किसी एक लक्षण पर आधारित होता है।
पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का निदान आमतौर पर एक विशेषज्ञ मनोचिकित्सक द्वारा किया जाता है। ये डॉक्टर्स रोगी के कई इंटरव्यू लेते हैं जिसमें वे रोगी से उसके अन्य रोगों, मनोविकार के लक्षणों आदि के बारे में चर्चा करते है जरूरत महसूस होने पर डॉक्टर रोगी के परिवार और मित्रों से भी बात करते है।
डॉक्टर रोगी से उनके लक्षणों के बारे में बात करने के अलावा उनका एक विस्तृत (Detailed) मेडिकल परीक्षण भी करते है। इसका लक्ष्य यह तय करना होता है कि रोगी में जो लक्षण नजर आ रहे हैं वह कहीं किसी दूसरी बीमारी होने के कारण तो नहीं साथ ही डॉक्टर रोगी के परिवार की मेडिकल हिस्ट्री और मानसिक रोगों आदि के बारे में चर्चा करते है।
कई बार लक्षण देखते हुए पर्सनालिटी डिसऑर्डर के उस निर्धारित प्रकार को पहचान पाना भी काफी मुश्किल होता है। इसका कारण यह है कि कई सारे पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण समान होते है, साथ ही कई बार रोगी में एक साथ एक से अधिक पर्सनालिटी डिसऑर्डर होते है।
कई अन्य विकारों जैसे अवसाद, बेचैनी मादक द्रव्यों का सेवन जैसी दिक्कतों से पर्सनालिटी डिसऑर्डर के इलाज की प्रक्रिया में रुकावटआती है। जिसके चलते पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के इलाज में समय लग सकता है, परन्तु यह बहुत आवश्यक है ताकि समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।
पर्सनालिटी डिसऑर्डर का इलाज:
पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का इलाज आमतौर पर इस बात पर निर्भर करता है कि रोगी को किस तरह की तकलीफ है, वह तकलीफ कबसे है और कितनी गंभीर है? साथ ही उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि (Family Background) क्या रहा है। आमतौर पर इस तरह की तकलीफों में मानसिक, मेडिकल और सामाजिक जैसी सभी जरूरतों को पूरा करना महत्वपूर्ण होता है। इसकी वजह यह है कि पर्सनैलिटी डिसऑर्डर को ठीक होने में महीनों से लेकर सालों तक लग जाते है।
मनोचिकित्सा:
- अलग अलग पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लिए अलग-अलग तरह के उपचार किए जाते है। उपचार के दौरान व्यक्ति से लेकर समूह और परिवार तक की मनोचिकित्सा शामिल है।
- मनोचिकित्सा के दौरान रोगी विशेषज्ञ से अपनी मनोदशा, भावनाओं, विचारों और बर्ताव के बारे में बात कर सकते है। जिससे वह अपने तनाव से निपट कर अपनी समस्या को संतुलित कर पाए।
- रोगी को लोगों से ठीक से मिलने-जुलने की ट्रेनिंग दी जा सकती है। इस ट्रेनिंग के दौरान रोगी यह सीखते है कि किस तरह वह अपनी बिमारी को नियंत्रण में ला सकते है और अपने आसपास के लोगों पर इसका प्रभाव पड़ने से रोक सकते है।
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