fbpx

शरीर पर होने वाले पानी वाले दाने ना करें नजरअंदाज हो सकता है हर्पीस

शरीर पर होने वाले पानी वाले दाने ना करें नजरअंदाज हो सकता है हर्पीस

कई बार हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों में छोटी-छोटी फुंसियां आती है। हालांकि हम इन्हें किसी तरह की एलर्जी या फंगल इंफेक्शन समझ लेते है और संपूर्ण जांच करवाने की जगह नजरअंदाज कर देते है लेकिन यह खतरनाक हो सकता है। शरीर पर निकलने वाली छोटी-छोटी फुंसियां आगे चलकर हर्पीस का लक्षण बन सकती है। आइये जानते है हर्पीस क्या है (What is Herpes),

हर्पीस क्या है?: What is Herpes:

यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर पर छोटे-छोटे पानी से भरे दाने निकल आते है जो बाद में शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते है।

यह बीमारी 40 साल के बाद अधिक होती है। यह बीमारी हर्पीस वेरिसेला जोस्टर वायरस के कारण होती है। चूंकि यह एक संक्रामक बीमारी है इसलिए इसमें अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ती है। वैसे यह बीमारी 40 की उम्र के बाद किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन माना जाता है कि इसका वायरस उस व्यक्ति को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है जिसे पहले चिकन पॉक्स हो चुका है। अगर चिकन पॉक्स का वायरस यानि वेरिसेला जोस्टर वायरस पहले से ही शरीर में मौजूद है तो हर्पीस की बीमारी हो सकती है।

स्वास्थ्य जानकारी और घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श के लिए अभी डाउनलोड करें “आयु ऐप’

aayu donload logo 1

हर्पीस के प्रकार और लक्षण (Types of Herpes and Symptoms):

हर्पीस दो तरह का होता है- HSV-1 यानि हर्पीस टाइप 1 या ओरल हर्पीस और दूसरा HSV-2 यानि जिनाइटल हर्पीस या हर्पीस टाइप 2। कई लोगों में महीनों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते इसीलिए यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है।

हर्पीस की स्थिति में प्राइवेट पार्ट और शरीर के अन्य हिस्सों में पानी भरे दाने निकल आते है। जैसे ही यह थोड़े बड़े होते हैं, फूट जाते हैं और जब यही पानी शरीर के अन्य हिस्से में लगता है तब वहाँ भी संक्रमण फैल जाता है। अगर शरीर पर पानी भरे दानें निकलें तो उन्हें ना फोड़ें ना ही हाथ लगाएं।

हर्पीस के अन्य लक्षण:

  • हर्पीस की स्थिति में प्राइवेट पार्ट और शरीर के अन्य हिस्सों में पानी भरे दाने निकल आते है जैसे ही ये थोड़े बड़े होते है, फूट जाते है और जब यही पानी शरीर के अन्य हिस्से में लगता है तो वहाँ संक्रमण फैल जाता है।
  • पूरे शरीर में दर्द और खुजली होती है। मुँह के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में घाव हो जाते है।
  • हमेशा बुखार रहता है और लिंफ नोड्स काफी बड़ी हो जाती है।
  • शरीर पर जगह-जगह लाल रंग के चकते उभर आते हैं।
  • दाने निकलने से पहले रोगी को दर्द होना शुरू हो जाता है।
  • दर्द होने के कुछ दिनों बाद उस जगह की त्वचा पर लाल-लाल फुंसियां निकलनी शुरू हो जाती हैं। धीरे-धीरे इन दानों में पानी भरने लग जाता है।
  • जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और थकान भी होने लगती है। फुंसियों में दर्द होना इस बीमारी का प्रमुख लक्षण है। कई रोगियों में यह दर्द काफी तेज होता है।

हर्पीस के कारण (Causes of Herpes):

जब हर्पीस का वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति की त्वचा की सतह पर मौजूद होता है तो वह उस व्यक्ति के संपर्क में आने वाले अन्य व्यक्ति में प्राइवेट पार्ट, एनस या फिर मुंह के जरिए आसानी से फैल सकता है। हालांकि यह समझें कि संक्रमित व्यक्ति द्वारा वॉशबेसिन, टेबल या किसी चीज को छुएँ जाने से इंफेक्शन नहीं फैलता। असुरक्षित यौन संबंधों और एनस सेक्स की वजह से हर्पीस की बीमारी हो सकती है।

अगर किसी ऐसे व्यक्ति के साथ ओरल सेक्स किया जाए जिसके मुंह में घाव है तो भी यह बीमारी हो सकती है। इसके अलावा सेक्स टॉयज शेयर करने और किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क से भी हर्पीस हो सकता है।

बारिश के मौसम में हर्पीस का ज़्यादा खतरा:

हर्पीस का वायरस हर समय वातावरण में मौजूद रहता है। बरसात में इसके केस ज्यादा देखने को मिलते है। यह बीमारी शरीर के किसी भी अंग पर देखने को मिल सकती है। कई बार लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया जाए तो इसका इंफेक्शन आँख और नाक की तरफ बढ़ने लगता है। आमतौर पर इसके इंफेक्शन की शुरुआत चेहरे और चेस्ट पर देखने को मिलती है। यह इंफेक्शन कभी खत्म नहीं होता है। बार-बार इसके लक्षण उभरने पर इसे केवल ठीक कर सकते है।

विशेषज्ञ डॉक्टरों से अपनी समस्याओं का घर बैठे पाएं समाधान, अभी परामर्श लें 👇🏽

consultation

हर्पीस का इलाज:

इसके इलाज के लिए घरेलू तरीके अपनाएँ, जैसे कि हल्के गरम पानी में थोड़ा-सा नमक डालकर नहाने से फायदा मिलता है। प्रभावित हिस्से पर पेट्रोलियम जैली लगाने से राहत मिलती है। इसके अलावा जब तक हर्पीस के लक्षण पूरी तरह से खत्म ना हो जाएँ तब तक यौन संबंध या किसी प्रकार की यौन क्रिया में शामिल ना हों।

हालाँकि घरेलू इलाज के साथ-साथ डॉक्टरी इलाज जरूर कराएँ, नहीं तो स्थिति गंभीर हो सकती है। हर्पीस के इलाज के लिए एंटी-वायरस मेडिसिन एसाइक्लोविर दवाई रोगी को दी जाती है ताकि उसके शरीर में उपस्थित वायरस नष्ट हो जाए। इसके अलावा फैमसाइक्लोविर और वैलासाइक्लोविर दवाइयाँ भी रोगी को दी जा सकती है। इन दवाइयों के साथ रोगी को सपोर्टिव ट्रीटमेंट दिया जाता है। लेकिन इन दवाइयों का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना बिल्कुल भी ना करें क्योंकि इनका असर हर रोगी पर अलग-अलग तरह से हो सकता है।

हर्पीस से बचाव:

  • हर्पीस का वायरस किसी व्यक्ति को अपनी चपेट में ना ले इसके लिए कुछ सावधानियाँ और बचाव करने की जरूरत है।
  • सुरक्षित यौन संबंध बनाएं। सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें।
  • संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से बचें और अगर मुँह में घाव हो तो किस या ओरल सेक्स ना करें।
  • इसके अलावा एक से अधिक सेक्शुअल पार्टनर होने से हर्पीस का वायरस अटैक कर सकता है।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए आज ही अपने फोन में आयु ऐप डाउनलोड कर घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श करें। स्वास्थ संबंधी जानकारी के लिए आप हमारे हेल्पलाइन नंबर 781-681-11-11 पर कॉल करके भी अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। आयु ऐप हमेशा आपके बेहतर स्वास्थ के लिए कार्यरत है।

CATEGORIES
Share This

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus ( )