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फ्रैक्चर क्या होता है?, हड्डी टूटने के प्रकार | What is Fracture in Hindi, Types of Fracture in Hindi

फ्रैक्चर क्या होता है?, हड्डी टूटने के प्रकार | What is Fracture in Hindi, Types of Fracture in Hindi

फ्रैक्चर हड्डी का टूटना होता है। टूटी हुई हड्डी में पतली दरार हो सकती है या पूरी तरह से हड्डी टूट सकती है। हड्डी में फ्रैक्चर कई तरह के हो सकते है यह फ्रैक्चर कई जगह या कई टुकड़ों में हो सकता है या क्रॉसवाइज़ हो सकता है। किसी हड्डी में फ्रैक्चर तब होता है जब जरुरत से ज्यादा वजन वाली चीज हड्डी पर गिर जाए या हड्डी पर किसी तरह का दबाव हो और हड्डी अपनी क्षमता से ज्यादा दबाव सहन ना कर पा रही हो।

हड्डी में फ्रैक्चर होने का कारण कमजोर हड्डियां हो सकती है जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, कैंसर, या ऑस्टोजेनेसिस अपूर्णता (Osteogenesis Imperfecta) (जिसे ब्रिटल बोन डिजीज के रूप में जाना जाता है। आइये जानते है फ्रैक्चर क्या होता है? (What is Fracture in Hindi), हड्डी टूटने के प्रकार (Types of Fracture in Hindi), हड्डी टूटने के लक्षण (Fracture Symptoms in Hindi), फ्रैक्चर टूटने के कारण (Causes of Fracture in Hindi).

फ्रैक्चर क्या होता है?: What is Fracture in Hindi:

हड्डी का टूटना फ्रैक्चर माना जाता है परन्तु यह जरुरी नहीं कि हड्डी हमेशा टूटने पर ही फ्रैक्चर हो, हड्डी में हल्का सा क्रैक आने पर भी फ्रैक्चर होता है। शरीर के किसी भी हिस्से की हड्डी में फ्रैक्चर हो सकता है। हड्डी में फ्रैक्चर होने के कई तरीके है, जैसे वह हड्डी का टूटना जिससे आसपास की त्वचा और टिश्यू को कोई नुकसान नहीं पहुँचता वह फ्रैक्चर क्लोज्ड फ्रैक्चर (Closed Fracture) कहलाता है और जिस फ्रैक्चर से त्वचा और आसपास की टिश्यू को भी गंभीर नुकसान पहुँचता है वह कंपाउंड फ्रैक्चर (Compound Fracture) या ओपन फ्रैक्चर (Open Fracture) कहलाता है। कंपाउंड फ्रैक्चर सिंपल फ्रैक्चर से ज्यादा गंभीर और खतरनाक होते है।

हड्डी टूटने के प्रकार: Types of Fracture in Hindi:

हड्डियों में फ्रैक्चर विभिन्न प्रकार के होते है:

अलगाव फ्रैक्चर (Avulsion Fracture): इस तरह के फ्रैक्चर में मांसपेशियों और लिगामेंट (Ligament) में खिंचाव पैदा होता है जिससे हड्डी फ्रैक्चर हो जाती है।

कम्यूटेड फ्रैक्चर (Comminuted Fracture): इस तरह के फ्रैक्चर में हड्डी कई टुकड़ों में बिखर जाती है।

कम्प्रेशन फ्रैक्चर (Crush Fracture): यह फ्रैक्चर रीढ़ की हड्डी में होता है। ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) के कारण जिनकी रीढ़ की हड्डी कमजोर होकर टूट जाती है उन्हें इस प्रकार का फ्रैक्चर होता है।

फ्रैक्चर डिसलोकेशन (Fracture Dislocation): इस प्रकार के फ्रैक्चर में हड्डियों का जॉइंट डिसलोकेट हो जाता है और उसमे से एक हड्डी में फ्रैक्चर आ जाता है।

ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर (Greenstick Fracture): इस फ्रैक्चर में हड्डी एक तरफ से फ्रैक्चर हो जाती है, लेकिन पूरी तरह से नहीं टूटती। इस प्रकार का फ्रैक्चर बच्चों में सबसे आम है, जिनकी हड्डियों में ज्यादा लचीलापन होता है और हड्डियां नरम होती है।

हेयरलाइन फ्रैक्चर (Hairline Fracture): यह हड्डी का एक प्रकार का आंशिक फ्रैक्चर है। कभी-कभी इस प्रकार के फ्रैक्चर को नियमित एक्सरे द्वारा पता लगाना कठिन होता है।

प्रभावित फ्रैक्चर (Impacted Fracture): इस प्रकार के फ्रैक्चर में जब हड्डी फ्रैक्चर होती है, तो हड्डी का एक टुकड़ा दूसरी हड्डी के अंदर चला जाता है।

इंट्राआर्टिकुलर फ्रैक्चर (Intraarticular Fracture): इस तरह के फ्रैक्चर में जॉइंट की सतह पर फ्रैक्चर आ जाता है।

लोंगिट्युडिनल फ्रैक्चर (Longitudinal Fracture): यह फ्रैक्चर हड्डी की लम्बाई के साथ होता है।

ओब्लिक फ्रैक्चर (Oblique Fracture): इस फ्रैक्चर में हड्डी डायगोनल (Diagonal) होकर टूट जाती है। 

पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर (Pathological Fracture): यह फ्रैक्चर पहले से किसी बीमारी या स्थिति की वजह से कमजोर हो चुकी हड्डी में होता है।

स्पाइरल फ्रैक्चर (Spiral Fracture): इस तरह के फ्रैक्चर में हड्डी का एक हिस्सा मुड़ा हुआ होता है।

स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress Fracture): इस तरह का फ्रैक्चर एथलीटों में सबसे आम है, हड्डी पर बहुत ज्यादा स्ट्रेस और स्ट्रेन पड़ने से हड्डी टूट जाती है।

टोरस फ्रैक्चर (Buckle Fracture): इस तरह के फ्रैक्चर में हड्डी मुड़ जाती है पर टूटती नहीं है, यह फ्रैक्चर बच्चो में बहुत आम है।

ट्रांसवर्स फ्रैक्चर (Transverse Fracture): इस प्रकार के फ्रैक्चर में हड्डी सीधे जाकर टूट जाती है।

हड्डी टूटने के लक्षण: Fracture Symptoms in Hindi:

फ्रैक्चर या हड्डी टूटने के लक्षण और संकेत इस बात पर निर्भर करते है कि कहाँ की कौन सी हड्डी टूटी है इसके अलावा रोगी की उम्र, सामान्य स्वास्थ्य और चोट की गंभीरता के आधार पर फ्रैक्चर के लक्षण तय किए जा सकते है, हड्डी टूटने (हड्डी फ्रैक्चर) के कुछ सामान्य लक्षण:

  • दर्द होना
  • प्रभावित क्षेत्र के आस-पास की त्वचा में सूजन आना
  • रोगी का प्रभावित क्षेत्र पर वजन डालने में असमर्थ होना
  • चोटिल क्षेत्र को इधर से उधर नहीं कर पाना
  • प्रभावित हड्डी या जोड़ में झुनझुनी जैसा एहसास होना
  • पीड़ित का पूरी तरह से पीला और बदरंग दिखाई देना

फ्रैक्चर होने के कारण: Causes of Fracture in Hindi:

 फ्रैक्चर कहीं से बुरी तरह गिरने से या वाहन दुर्घटना के कारण होते है। व्यक्ति की स्वस्थ हड्डियां बेहद सख्त और लचीली होती है और आश्चर्यजनक रूप से शक्तिशाली प्रभावों का सामना कर सकती है। परन्तु जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, दो कारणों की वजह से हड्डी फ्रैक्चर होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

वह बच्चे, जो वयस्कों की तुलना में अधिक शारीरिक रूप से सक्रिय होते है, उन्हें हड्डी फ्रैक्चर होने का खतरा हो सकता है।

अंतर्निहित (Underlying) बीमारियों और स्थितियों की वजह से लोगों की हड्डियां कमजोर हो सकती है, जिसकी वजह से फ्रैक्चर होने का खतरा अधिक होता है।

हड्डियों पर ज्यादा तनाव पड़ने से भी फ्रैक्चर होने का खतरा रहता है।

फ्रैक्चर का इलाज: Treatment of Fracture:

हड्डी जुड़ने के बाद आप आसानी से फिर से पहले जैसे सारे काम कर पाएं इसके लिए आपको इसका इलाज करवाना जरूरी है। बोन हीलिंग (Bone Healing) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो समय के साथ खुद ही ठीक होती है।

टूटी हुई हड्डी को जोड़ने के लिए कई तरह से उपचार किया जाता है। यह उपचार निम्न है:

इमोबिलाइजेशन (Immobilization): इमोबिलाइजेशन की प्रक्रिया में टूटी हुई हड्डी को जोड़ा जाता है और कोशिश की जाती है कि ठीक होने तक हड्डी वैसी ही सीधी रहे।

प्लास्टर कास्ट या प्लास्टिक फंक्शनल ब्रेसिज़ (Plaster Casts Or Plastic Functional Braces): इस प्रक्रिया में हड्डी को ऐसे जोड़ा जाता है कि यह प्लास्टर हड्डी को तब तक पकड़ के रखता है जब तक हड्डी जुड़ नहीं जाती।

मेटल प्लेट्स और स्क्रू (Metal Plates And Screws): इस प्रक्रिया में टूटी हुई हड्डी को मेटल प्लेट्स और स्क्रू के द्वारा सहारा देकर जोड़ा जाता है।

इंट्रा-मेडुलरी नेल्स (Intra-Medullary Nails): इस प्रक्रिया में आंतरिक मेटल की रॉड को लंबी हड्डियों के केंद्र के नीचे रखा जाता है। इस प्रक्रिया के तहत बच्चों में लचीले तारों का उपयोग किया जाता है।

एक्सटर्नल फिक्सेटर (External Fixators): यह फिक्सेटर मेटल और कार्बन फाइबर से बने होते है और इसमें स्टील की पिन लगी होती है जो सीधे त्वचा के द्वारा हड्डी में जाती है और फिक्स हो जाती है। वैसे तो टूटी हुई हड्डी को इमोबिलाइजेशन से स्थिर होने के लिए 2-8 सप्ताह लगता है, पर यह समय इस बात पर निर्भर करता है की किस जगह की हड्डी फ्रैक्चर हुई है और कहीं कोई जटिलता जैसे रक्त की पूर्ति करने में परेशानी या किसी तरह का संक्रमण तो उत्पन्न नहीं हो रहा।

हीलिंग (Healing): यदि टूटी हुई हड्डी को ठीक तरह से जोड़ दिया जाता है और उसे स्थिर रखा गया है तो हीलिंग की प्रक्रिया अपने आप होने लगती है। रोगी की उम्र, हड्डी किस प्रकार प्रभावित हुई है, फ्रैक्चर के प्रकार, और रोगी का सामान्य स्वास्थ्य यह सभी कारक हैं जो यह बताते है कि हड्डी कितनी तेजी से ठीक हो रही है। यदि रोगी नियमित रूप से धूम्रपान करता है, तो उपचार प्रक्रिया में अधिक समय लगता है।

फिजिकल थेरेपी (Physical Therapy): हीलिंग की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद हड्डी के ठीक हो जाने पर मांसपेशियों की ताकत और साथ ही प्रभावित क्षेत्र की गतिशीलता को बढ़ाना जरुरी है। क्योकि यदि फ्रैक्चर जॉइंट के पास या जॉइंट के द्वारा हुआ है तो आपको भविष्य में आर्थराइटिस या हड्डी के कठोर होने की समस्या हो सकती है।

सर्जरी (Surgery): अगर टूटी हुई हड्डी के आसपास के सॉफ्ट टिश्यू और स्किन भी प्रभावित हुए है तो उसको ठीक करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी का सहारा लिया जा सकता है।

देर से ठीक होने वाले फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए आप कुछ तरीके अपना सकते है जैसे-

बोन ग्राफ्टिंग (Bone Grafting): यदि फ्रैक्चर ठीक होने में बहुत लंबा समय लग रहा है या फ्रैक्चर ठीक ही नहीं हो रहा है तो इस स्थिति में बोन ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है जिसमे प्राकृतिक हड्डी या आर्टिफीसियल हड्डी को टूटी हुई हड्डी से ट्रांसप्लांट किया जाता हैं।

अस्वीकरण: सलाह सहित इस लेख में सामान्य जानकारी दी गई है। अधिक जानकारी के लिए आज ही अपने फोन में आयु ऐपडाउनलोड कर घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श करें। स्वास्थ संबंधी जानकारी के लिए आप हमारे हेल्पलाइन नंबर 781-681-11-11 पर कॉल करके भी अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। आयु ऐप हमेशा आपके बेहतर स्वास्थ के लिए कार्यरत है। 

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COMMENTS

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    Pradhant Ramraje 4 years

    1.15 moth .ho gaye hai hath fractured hai
    Haddi tooth gaie hai par koi taklif nahi aajtak 2 tin bar exre nikala hai tab bhi koi
    Improve nahi hai .
    Aur dard bhi nahi hota

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