टीबी के लक्षण और उपचार | Tuberculosis symptoms and treatment
टीबी एक घातक और संक्रामक बीमारी है, हर व्यक्ति को टीबी के लक्षण और उपचार की जानकारी होनी चाहिए। यह ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया (Tuberculosis) के कारण फैलती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुँह, लिवर, किडनी, गले आदि में टीबी की समस्या (Tuberculosis Disease) हो सकती है। सबसे आम फेफड़ों का टीबी है, जो हवा के द्वारा एक से दूसरे इंसान में फैलता है।
टीबी के मरीज के खाँसते और छींकते समय मुँह और नाक से निकलने वाली बारीक बूंदों से यह फैलता है। फेफड़ों के अलावा दूसरी किसी भी तरह की टीबी एक से दूसरे में नहीं फैलती। टीबी खतरनाक इसलिए होती है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, उसका सही इलाज ना हो तो उसे बेकार कर देती है इसलिए टीबी के लक्षण नजर आने पर जाँच करवानी चाहिए।
1. टीबी के लक्षण: Tuberculosis symptoms
खांसी आना: टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी है। इसमें पहले आपको सूखी खांसी आती है लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्तों या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच करवा लेनी चाहिए। (यह भी पढ़ें: खांसी दूर करने के घरेलू उपाय)
पसीना आना: टीबी के लक्षणों में पसीना आना भी शामिल है। मरीज को रात में सोते समय पसीना आता है चाहे कैसा भी मौसम हो। टीबी के मरीज को अधिक ठंड होने के बाद भी पसीना आता है।
बुखार आना: जिन लोगों को टीबी होता है, उन्हें लगातार बुखार रहता है। शुरुआत में लो-ग्रेड में बुखार रहता है लेकिन बाद में संक्रमण ज्यादा फैलने पर बुखार तेज होता जाता है।
थकावट होना: टीबी के मरीज की बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण उसकी ताकत कम होने लगती है। वहीं, मरीज के कम काम करने पर ज्यादा थकावट होने लगती है।
वजन घटना: टीबी होने के बाद लगातार वजन घटने लगता है। खानपान पर ध्यान देने के बाद भी वजन कम होता रहता है। वहीं, टीबी के मरीज की खाने को लेकर रुचि कम होने लगती है। (यह भी पढ़ें: वजन कैसे घटाएं?)
सांस लेने में परेशानी होना: टीबी के लक्षण में सांस लेने में परेशानी भी शामिल है। टीबी हो जाने पर खांसी आती है, जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है। अधिक खांसी आने से सांस फूलने लगती है।
आइये अब जानते है टीबी का उपचार। Tuberculosis treatment
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2. टीबी का उपचार: Tuberculosis treatment
- टीबी का उपचार (Tuberculosis treatment) की शुरुआत सीने का एक्स-रे लेकर तथा थूक या बलगम की लेबोरेटरी जाँच करके की जाती है।
- आजकल टीबी का उपचार (Tuberculosis treatment) के लिए अलग-अलग एंटीबायोटिक्स/एंटीबेक्टेरियल्स दवाओं का एक साथ प्रयोग किया जाता है। यह उपचार लगातार बिना किसी रुकावट के 6 से 9 महीने तक चलता है।
- इस रोग की दवा लेने में अनियमितता बरतने पर, इसके बैक्टीरिया में दवाई के प्रति प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो जाती है। इससे बैक्टीरिया पर दवा का असर नहीं होता। यह स्थिति रोगी के लिए खतरनाक होती है। एंटीबायोटिक्स अलग-अलग तरह की देने का कारण भी यही है कि जीवाणुओं में प्रतिरोधक क्षमता पैदा ना हो जाए।
- उपचार के दौरान रोगी को पौष्टिक आहार मिलना चाहिए, वह शराब-सिगरेट आदि से दूर रहना चाहिए।
- बच्चों को टीबी से बचने के लिए बी.सी.जी. का टीका जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है।
- टीबी की रोकथाम के लिए मरीज के परिवार के सदस्यों को भी दवा दी जाती है, ताकि मरीज का इन्फेक्शन और दूसरे सदस्यों को ना लगे जैसे पत्नी, बच्चे व बुजुर्ग आदि। इसके लिए उन्हें आइसोनेक्स की गोली तीन माह तक दी जाती है।
आइये अब जानते है टीबी के मरीजों का डाइट चार्ट कैसा होना चाहिए?
3. टीबी के मरीजों का डाइट चार्ट कैसा होना चाहिए? Diet chart for Tuberculosis (TB) Patients
टीबी रोग में आहार बहुत फायदेमंद होता है, यहाँ हम आपको नीचे टीबी के मरीजों के लिए डाइट चार्ट लेकिन अगर आपको इनमें मौजूद खाद्य पदार्थों से एलर्जी होती है तो आपको इसके विकल्प का सेवन करना चाहिए।
- नाश्ता/Breakfast: (सुबह 6 से 7 बजे के बीच): दूध के साथ बटर टोस्ट, आधा उबला हुआ या फिर पका हुआ अंडा, दलिया व ओटमील इनमें से किसी भी एक का सेवन कर सकते हैं।
- ब्रंच/Mid Morning: (9 से 9:30 बजे के बीच): एक गिलास दूध और पोहा खाएं।
- दोपहर का खाना/Lunch: (12 से 1 बजे के बीच): एक कटोरी चावल, सब्जी, मीट की कड़ी, चटनी, दही और नींबू ले सकते हैं।
- शाम का नाश्ता/ Evening: (4 से 4:30 बजे के बीच): दूध, फल या मिठाइयां खाएँ।
- रात का खाना/ Dinner: 7 से 8 बजे के बीच): रोटी, सब्जियां, दाल, चावल और दूध ले सकते हैं।
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