हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर
कार्डियक अरेस्ट तब होता है, जब दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा हो. आसान भाषा में कहें तो इसमें दिल के भीतर विभिन्न हिस्सों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान गड़बड़ हो जाता है, जिसकी वजह से दिल की धड़कन पर बुरा असर पड़ता है.
कार्डियक अरेस्ट के इलाज लिए कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (CPR) दिया जाता है. इससे हार्ट रेट नियमित किया जाता है। डिफाइब्रिलेटर के जरिए बिजली के झटके दिए जाते हैं. जिससे दिल की धड़कनों को वापस लाने में मदद मिलती है. कार्डियक अरेस्ट होने की सबसे ज्यादा आशंका दिल की बीमारी वालों को सबसे ज्यादा होती है. जिनको पहले हार्ट अटैक आ चुका है उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका बढ़ जाती है.
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर
कई सारे लोग इन दोनों बीमारी को एक समझते हैं पर ये अलग-अलग हैं. हार्ट अटैक के दौरान हृदय के कुछ हिस्सों में खून का बहाव जम जाता है जिस वजह से हार्ट अटैक होता है.वहीं दूसरी तरफ कार्डियक अटैक में किन्हीं कारणों से हृदय उचित तरीके से काम करना बंद कर देता है और अचानक से रुक जाता है.
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क्या है कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
- हृदय का धकधकाना
- थकान का एहसास होना
- सांसों का छोटा होना
- हृदय में दर्द महसूस होना
- चक्कर आना
काफी खतरनाक बीमारी है कर्डियक अरेस्ट
- कर्डियक अरेस्ट के दौरान रोगी अपनी चेतना अचानक खो बैठता है.
- वह कोई प्रतिक्रिया भी शारीरिक रूप से नहीं देता है. उसकी सांस भी अचानक रुक जाती है.
- नब्ज ठहर जाती है. दरअसल कार्डियक अरेस्ट में दिल धड़कना बंद कर देता है इसलिए नाड़ी गिरने लगती है.
- धीरे-धीरे शरीर के तमाम अंगों तक ब्लड पहुंचना बंद हो जाता है और इससे मरीज की मौत हो जाती है.
कार्डियक अरेस्ट के कारण
- एसिटोल वह स्थिति है जिसमें कोई इलेक्ट्रिकल गतिविधि नहीं होती इसलिए दिल नहीं धड़कता.
- वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन वह स्थिति होती है जिसमें विद्युत गतिविधि असामान्य होती है लेकिन इससे दिल खून को पंप नहीं कर पाता जिससे दिल की धड़कनें नहीं बनती.
- कम्पलीट हार्ट ब्लॉक (हृदय पूरी तरह से बंद हो जाना) जहां पर दिल की दर बहुत धीमी होती है, जो व्यक्ति को लंबे समय तक जीवित नहीं रख पाती.
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