Happy Holi: होली की हुड़दंग में खुद को सुरक्षित रखने के उपाय
होली का त्यौहार भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्द है। इस दिन हज़ारों विदेशी सैलानी भारत सिर्फ रंग लगाने और होली खेलने के लिए ही आते हैं। रंगों के इस स्पेशल त्यौहार में कई बार छोटी-छोटी असावधानी और ग़लतियों के कारण कई परेशानियां हो जाती हैं। बाजार में बिकने वाले हानिकारक और केमिकल्स युक्त रंगों से स्किन का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है। मगर, त्वचा के खराब होने के डर से आपके होली खेलने का मज़ा फीका ना पड़े इसी को ध्यान में रखते हुए हम कुछ ज़रूरी टिप्स बता रहे है जिन पर गौर करके भी आप स्वस्थ रह सकते हैं।
होली खेलते समय जरूरी सावधानियां
- अच्छी गुणवत्ता वाले रंगों का प्रयोग करें।
- परमानेंट रंगों से दूर रहें क्योंकि इनमें डाई होती है, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाती है।
- पानी में घुलनशील रंगों का प्रयोग करें।
- गोल्डन व सिल्वर पेंट और रंगों का प्रयोग न करें, ये त्वचा के लिए बहुत खतरनाक होते हैं।
- सूखे और चमकीले रंगों का प्रयोग बिल्कुल न करें।
- रंगों से एलर्जी भी हो सकती है।
- रंगों के अत्यधिक प्रभाव से बाल रूखे और बेजान हो सकते हैं, इसलिए बालों पर इसे न डालें।
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आंखों का रखें विशेष ख्याल
आंखों में बेहद महीन रक्तशिराएं होती हैं, इसलिए आंखों किसी भी अन्य अंग की अपेक्षा आंख पर रंगों का असर ज्यादा घातक हो सकता है। अगर होली के रंग या गुलाल आपके आंखों में चले जाएं और आंखों में जलन शुरू हो जाए, तो सबसे पहले आंखों को पानी से कई बार धोएं। ध्यान दें इस दौरान न तो आंखों को रगड़ें और न ही कोई देसी नुस्खा प्रयोग करें। आंखों को कई बार पानी से धोने के बाद जल्द से जल्द चिकित्सक से संपर्क करें।
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आँखों को सुरक्षित रखने के टिप्स
- होली के दौरान आंखों को सुरक्षित रखने के लिए यह जरूरी है कि आप प्राकृतिक रंगों और गुलाल का प्रयोग करें।
- होली खेलने के दौरान कॉन्टैक्ट लेंस आंखों में न लगाएं, क्योंकि इसपर रंग जमने के कारण आंखों में जलन हो सकती है।
- अगर आपके हाथ में रंग या गुलाल लगा है, तो आंखों को न छुएं।
- आंखों पर सीधे रंग न पड़ने दें।
रंगों से मुँह की सेफ्टी
आजकल हानिकारक केमिकल्सयुक्त ऐसे रंग बाजार में मिलते हैं, जो आपके शरीर के लिए जहर साबित हो सकते हैं। इसलिए मुंह में रंग जाने पर ध्यान रखें कि थूक बिल्कुल न निगलें। सबसे पहले पानी से कई बार कुल्ला करें, ताकि मुंह का रंग निकल जाए। दांतों में रंग जाने पर भी यही करें। सादे पानी से कुल्ला करने के बाद माउथ वॉश से कुल्ला करें। अगर माउथ वॉश मौजूद नहीं है, तो गुनगुने पानी में नींबू और नमक डालकर कुल्ला करें। इससे केमिकल का असर कुछ कम हो जाएगा। इसके बाद कम से कम 1 घंटे तक कुछ न खाएं।
कान में रंग जाने पर करें उपाय
कान में रंग जाने पर सबसे पहले शरीर को टेढ़ा करके झटका दें, ताकि कान का सूखा रंग बाहर निकल जाए।
इसके बाद कान में अपने शरीर को टेढ़ा रखते हुए और कान को नीचे की तरफ झुकाए हुए ही, हाथों से पानी डालें, ताकि कान की दीवारों पर लगा हुआ रंग और गुलाल पानी के साथ बाहर आ जाए। ध्यान रखें कि कान में कभी भी प्रेशर वाले पाइप से पानी न डालें।
इससे पानी रंग या गुलाल के कणों को कान के अंदरूनी हिस्से तक पहुंचा देगा। इसलिए बिल्कुल हल्के हाथ से पानी डालें। अगर रंग ज्यादा नहीं गया है, तो 2 बूंद गुनगुना सरसों का तेल डाल लें। अगर रंग ज्यादा चला गया है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
प्राकृतिक रंगों का करें प्रयोग
आज रंगों में भारी मात्रा में मिलावट हो रही है। ऐसे में रंगों को खरीदते समय थोड़ी सावधानी बरतें। रंगों को खरीदने से पहले उनकी जांच कर लें, आप जिन रंगों का प्रयोग कर रहे हैं वो पाउडर जैसे होने चाहिए, दानेदार या खुरदरे नहीं होने चहिए।
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