वर्टिगो (चक्कर आना) के निदान और उपचार | Daily Health Tip | 02 April 2020 | AAYU App

“अंगूर हमारी सेहत के लिए लाभकारी है। यह जी-मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बिमारियों से दूर रखता है। ह्रदय रोगी को भी इसे लेने की सलाह दी जाती है। ”
” Grapes are beneficial for health. They keep you away from nausea, nervousness and dizziness. Heart patients are also advised to eat grapes. “
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वर्टिगो (चक्कर आना):
वर्टिगो शब्द लैटिन भाषा वर्टो से लिया गया है जिसका अर्थ है घूमना। इसमें पीड़ित रोगी को चक्कर आते है या असंतुलन रहता है।
असंतुलन के दौरान जी मिचलाना, उल्टी आना, अधिक पसीने आना अथवा चलने में अस्थिरता का एहसास हो सकता है। सिर हिलाने पर चक्कर बढ़ सकते है।
चक्कर के लक्षण:
चक्कर के मरीज को ऐसे लक्षण होते है:
- सिर घूमना
- एक और झुकना
- सिरदर्द
- अस्थिर या असंतुलित महसूस करना
- गिरने का एहसास
- चक्कर आना
कारण, निदान एवं उपचार:
मेनियार्स का रोग:
ये कान के भीतरी हिस्से के रोग के कारण होता है, जिससे रोगी के सुनने की क्षमता प्रभावित होती है, कान में आवाजे आती है और कुछ घंटो के लिए चक्कर आते है। यह भीतरी कान के तरल पदार्थ के बहते हुए दबाव के कारण होता है। अगर समय पर ईलाज नहीं किया गया तो मेनीयर्स रोग से सुनने की क्षमता कम हो सकती है। मेनियर्स रोग आमतौर पर एक कान को प्रभावित करता है, लेकिन 15 फीसदी मामलों में इससे दोनों कान प्रभावित हो सकते है। इसका उपचार खानपान में बदलाव और दवाईयों से और अग्रिम स्थिति में कान के अन्दर इन्ट्राटिमपेनिक जेन्टामायसिन इंजेक्शन या सर्जरी की आवश्यकता होती है।
वेस्टिबूलर न्युरैटिस:
वेस्टिबूलर न्युरैटिस संतुलन की नस का वायरल संक्रमण है। इन मरीजों में वर्टिगो आमतौर पर घंटो से लेकर कई दिन के लिये रहता है। समय पर निदान एवं कसरत शुरू करने से संतुलन की क्षमता को सामान्य बनाया जा सकता है।
ऑटोलिथिक विकार:
इस रोग में मरीज को असंतुलन का अहसास होता है या सीधे खड़े रहने में परेशानी होती है। ऑटोलिथिक विकार रोग को सब्जैक्टिव विजुअल वर्टीकल टेस्ट एवं वीईएमपी परीक्षण करने से पता चलता है। इसके लिए उपचार के लिए तंत्रिका तंत्र (Nervous System) की संवेदनशीलता को कम करने वाली दवाई देना है।
वेस्टिब्युलर माईग्रेन:
वेस्टिब्युलर माइग्रेन एक सामान्य कारणों में से एक है। इन रोगियों को आमतौर पर सुनने की समस्या नहीं होती है व अक्सर तेज आवाज या चमकदार रोशनी को सहन नहीं कर पाते है। जीवन शैली में बदलाव, खानपान में बदलाव एवं दवाईयों से कम किया जा सकता है। यही इसके उपचार है। इसके लिए कई महिनों तक ईलाज लेना पड़ता है।
बीपीपीवी:
ऐसे चक्कर आमतौर पर सोने व करवट बदलने पर आते है जो कान की भीतरी शिराओं में कैल्शियम कार्बोनेट का मलबा जमने के कारण होता है। बीपीपीवी अधिकतर बुजुर्ग रोगियों में, सिर पर चोट के बाद, लम्बे समय तक बिस्तर पर आराम करने के बाद और भीतरी कान में संक्रमण के कारण होता है। सिर के चक्कर को आमतौर पर विडियो निस्टैगमो ग्राफी परिक्षण से स्थिति को मार्गदर्शित किया जाता है, और इसका भीतरी कान में फंसे कणों की स्थिति देखने के बाद ही ईलाज किया जाता है।
लाब्रिनिथिटक्स:
यह रोग संतुलन नस का जिवाणु संक्रमण के कारण होता है, जिसमें एक कान में अचानक कम सुनाई देने के साथ तीव्र वर्टीगो या कान का भारीपन, कम सुनाई देना, कान में आवाजें आना व कुछ दिन के चक्कर इस रोग के लक्षण है, लाब्रिनिथिटक्स का शीघ्र निदान और सही उपचार से सुनवाई की क्षति को रोका जा सकता है। असंतुलन व चक्कर का ईलाज विशेष प्रकार के व्यायाम से किया जाता है।
पेरीलिम्फ फिस्टूला:
यह भीतरी कान में भरी तरल और बाहय कान में भरी हवा के असामान्य सम्पर्क के कारण होता है। भीतरी कान के तरल पदार्थ मध्य कान में पेरिलिम्फ तरल पदार्थ रिसकर मध्य कान में प्रवाहित होता है जिस कारण कम सुनाई देना, कान में भारीपन और चक्कर महसूस किये जाते हैं। ये लक्षण खांसने, छींकने व भारी वजन उठाने पर बढ़ जाते है। फिस्टूलाज में सबसे अधिक आघात हालांकि भारी वजन उठाने पर होता है, लेकिन यह ड्राईविंग के दौरान, उड़ान में या प्रसव के दौरान दबाव में अचानक परिवर्तन से होता है। वेस्टिब्युलर परिक्षण और लक्षणों में इसका निदान किया जाता है। उपचार के लिए दूरबीन से ऑपरेशन करके पेरीलिम्फ फिस्टूला सुधार किया जाता है। ऑपरेशन के बाद मरीज को कुछ दिन के लिये बिस्तर पर आराम की सलाह दी जाती है।
वेस्टिब्युलर परोक्सिमिया:
यह हड्डी के अन्दर संतुलन की नस के दबाव के कारण होता है। इसमें अल्प अन्तरल में तेज वर्टिगो एंव असंतुलन का आभास होता है। स्पाॅन्टेनियस न्यासिटमग्स विद हायपरवेंटिलेशन, वेस्टिब्युलर परोक्सिमिया के निदान के लिये उच्च स्तर पर सुझाया जाता है। इसके साथ ही एमआरआई (गादोलिनियम) से 95 प्रतिशत स्थिति का निदान किया जा सकता है। इस रोग को सीजर डिसऑर्डर से अलग करना पड़ता है। शुरू में चिकित्सा प्रबन्धन कार्बामेजीपिन द्वारा किया जा सकता है। यदि दवाईयों से पर्याप्त नियंत्रण संभव नहीं हो तो ऐसे में सर्जीकल माईक्रोवेस्कुलर डिकम्प्रेशन ऑफ द वेस्टिब्युलर नर्व किया जाता है। इससे संतुलन की नस को दबाव से मुक्त किया जा सकता है।
मालडीडिबारकमेंट सिंड्रोम (एमडीडीएस):
मालडीडिबारकमेंट सिंड्रोम (एमडीडीएस) एक असामान्य स्थिति है जिसमें मरीज को नाव पर चलने या फोम पर चलने की तरह अनुभुति होती है। यह आमतौर पर नाव की लम्बी यात्रा या लम्बी उड़ान के बाद होता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि यह स्थिति यात्रा के बाद ही हो। कार में बैठकर या कार चलाने से इस रोग के लक्षण अस्थाई रूप से कम हो जाते है। महिलाओं में यह रोग पुरूषों की अपेक्षा ज्यादा होता है। इन रोगियों का ऑप्टोकायनीटीक विज्युअल स्टिमुलेशन से फायदा मिलता है।
एकॉस्टिक न्युरोमा:
एकॉस्टिक न्युरोमा संतुलन नस में एक टयुमर यानि एक गांठ के रूप में होता है जिस कारण बढ़ती अस्थिरता, एक कान से सुनाई देने में बाधा एवं कान में आवाजें आने के लक्षण होते है। यह टयुमर आमतौर पर धीमी गति से बड़ा होता है। इसका निदान ऑडियोलॉजिकल टेस्ट जैसे प्योर टोन ऑडियोमीटरी एवं एबीआर, वेस्टिब्युलर टेस्ट और एमआरआई है।
चक्कर आने को रोकने के घरेलु नुस्खे:
- समस्या वाले कान के पास सोने से बचें
- समय पर सोने की कोशिश करें
- अपने आहार में नमक और कैफीन कम करें
- परिरक्षको के साथ भोजन से बचें
- स्क्रीन समय कम करें
- सोते समय तकिये को सिर से ऊपर उठायें
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