प्लाज्मा थेरेपी क्या है? प्लाज्मा थेरेपी के लाभ

प्लाज्मा थेरेपी बहुत ज्यादा काम में आता है, इसका इस्तेमाल कोरोना महामारी के लिए किया गया था।
प्लाज्मा थेरेपी क्या है? (What is Plasma Therapy)
प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस में प्लास्माफेरेसिस (plasmapheresis) कहा जाता है। प्लाज्मा थेरेपी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं (blood cells) से अलग किया जाता है।
इसके बाद यदि किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अनहेल्थी टिशू मिलते है, तो उसका इलाज समय रहते शुरू किया जा सकता है।
प्लाज्मा थेरेपी क्यों की जाती है?
हालांकि, प्लास्माफेरेसिस आधुनिक मेडिकल साइंस का दिया हुआ है, जिसने काफी सारे लोगों की जिंदगी को बदल दिया है। इसके बावजूद, राहत की बात है कि इसे सामान्य स्थितियों में नहीं बल्कि विशेष उदेश्यों से इस्तेमाल किया जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी इन उद्देश्यों में इस्तेमाल किया जाता है:
संक्रमण का पता लगाना: प्लाज्मा थेरेपी को मुख्य रूप से संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है।
चूंकि, काफी सारी बीमारियाँ संक्रमण के द्वारा होती है, इसलिए ऐसी बीमारियों का इलाज करने में प्लाज्मा थेरेपी कारगर उपाय साबित होती है।
डोनर पार्ट का सही तरीके से काम न करना: वर्तमान समय में काफी सारे ट्रांसप्लांट किए जाते है, मगर कई बार ये असफल साबित हो सकते है। जब ट्रांसप्लांट कराने वाले लोगों के लिए डोनर पार्ट सही तरीके से काम नहीं करता है, तब उन्हें प्लाज्मा थेरेपी सहायता करती है।
खेल में चोट (Sport Injury) लगना: कई बार, खेल में चोट का इलाज करने के लिए फ्लास्माफेरेसिस का सहारा लिया जाता है। इस थेरेपी को स्पोर्ट्स इंजरी को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
मायस्थीनिया ग्रेविस का इलाज करना: जब कोई व्यक्ति मायस्थीनिया ग्रोविस (Myasthenia gravis) से पीड़ित होता है, तो उसका इलाज करने के लिए डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी की सहायता करते है। मायस्थीनिया ग्रोविस से तात्पर्य ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें लोगों की मांसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती है।
गुलियन बेरी सिंड्रोम का इलाज करना: प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल गुलियन बेरी सिंड्रोम (Gullian Berry Syndrome) का इलाज करने के लिए किया जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी कैसे की जाती है?
प्लाज्मा थेरेपी एक दिन की प्रक्रिया है, जिसमें 1-3 घंटे का समय लगता है। इसे काफी सावधानी से करना चाहिए, ताकि इसे कराने वाले लोगों को किसी तरह के दर्द या तकलीफ़ से ना गुजरना पड़ें। इसमें कुछ महत्वपूर्ण स्टेप्स शामिल है।
- स्टेप 1: सुई को लगाना: प्लाज्मा थेरेपी की शुरूआत सुई लगाकर की जाती है, जिसमें लोगों की बाँह में सुई लगाई जाती है।
- स्टेप 2: खून को निकालना: सुई लगाने के बाद खून निकाला जाता है, जिसके लिए अपकेंद्रित मशीन (centrifuge machine) का इस्तेमाल किया जाता है।
- स्टेप 3:प्लाज्मा का निर्माण या तैयार करना: प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले व्यक्ति के शरीर से खून निकालने के बाद डॉक्टर प्लाज्मा को तैयार किया जाता है।
- स्टेप 4: इंजेक्शन लगाना: जैसे ही प्लाज्मा का निर्माण किया जाता है, तब उसके इंजेक्शन को लोगों के शरीर में डाला जाता है।
- स्टेप 5: इंजेक्शन वाली जगह को साफ करना: लोगों के शरीर में प्लाज्मा के इंजेक्शन डालने के बाद ही यह प्रक्रिया समाप्त हो जाती है। इसके बाद,इंजेक्शन वाली जगह को साफ करने के बाद बैंडेज की जाती है।
प्लाज्मा थेरेपी के लाभ (Benefits of Plasma Therapy):
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कई सालों से किया जाता है, जिसका लाभ काफी सारे लोगों को मिला है। इसके अलावा, डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी करवाने इसलिए देते है, क्योंकि इसके काफी सारे लाभ होते है, जिनमें से मुख्य 5 इस प्रकार के है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना: प्लाज्मा थेरेपी कराने का सबसे बड़ा लाभ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है।
जिन लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहतर या मजबूत होती है, उनके बीमार होने की संभावना कम रहती है।
अन्य बीमारियों का इलाज करना: यह थेरेपी चेहरे,बाल,चेहरे आदि से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने में कारगर साबित होती है। इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी से इन समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।
समय की बचत होना: जहां एक ओर, कुछ सर्जरी में काफी समय लगता है, वहीं दूसरी प्लाज्मा थेरेपी में काफी कम (3-5 घंटे) समय लगता है। इसकी वजह से, लोगों को इस थेरेपी को करवाने पर समय की बर्बादी नहीं होती।
दर्द महसूस ना होना: प्लाज्मा थेरेपी का अन्य लाभ दर्द महसूस ना होना भी है। जब इस थेरेपी को किया जाता है, तो इसे करवाने वाले लोगों को किसी तरह का दर्द महसूस नहीं होता।
जल्दी रिजल्ट आना या दिखना: इस थेरेपी के काफी सारे ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें इसे करवाने वाले लोगों को आराम मिलता है। इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी का लाभ जल्दी रिजल्ट आना या दिखना है।
प्लाज्मा थेरेपी के खतरे:
हालांकि, प्लाज्मा या प्लास्माफेरेसिस थेरेपी को काफी कारगर माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद किसी भी अन्य मेडिकल प्रक्रिया की तरह प्लाज्मा थेरेपी के भी कुछ खतरे है, जिनकी जानकारी सभी को होनी चाहिए।
- संक्रमण होना: हालांकि, प्लाज्मा थेरेपी को संक्रमण का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद यह समस्या इसके बाद भी रह सकती है। अत: इस थेरेपी का प्रमुख खतरा संक्रमण होना है।
- नस का खराब होना: कई बार,प्लाज्मा थेरेपी का असर नस पर भी पड़ सकता है, जिसकी वजह से नस खराब हो सकती है।
- बेहोशी होना: अक्सर, इस थेरेपी को करवाने वाले कुछ लोग बेहोशी या कमज़ोरी रहने की शिकायत करते है।
इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी से लोगों को कमज़ोरी महसूस हो सकती है। - ब्लड क्लोट्स होना: प्लाज्मा थेरेपी की वजह से ब्लड क्लोट्स की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि, ब्लड क्लोट्स का इलाज संभव है।
- धुँधला दिखाई देना: इस थेरेपी का असर मानव-शरीर के अन्य अंगों जैसे आंखों पर भी पड़ सकता है।
इस कारण, प्लाज्मा थेरेपी करवाने वाले लोगों को धुँधला दिखाई देने (blurred vision) की समस्या हो सकती है।
प्लाज्मा थेरेपी के बाद किन-किन बातों का ध्यान रखें:
ऐसा माना जाता है कि किसी भी सर्जरी या ऑपरेशन के बाद का समय संवेदनशील होता है, जिसमें पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। यह बात प्लाज्मा थेरेपी पर भी लागू होती है क्योंकि इसके बाद लोगों में खतरे होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
अधिक मात्रा में पानी पीना: प्लाज्मा थेरेपी के बाद लोगों के शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
इसके लिए इस थेरेपी को करवाने वाले लोगों को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि उन्हें यह समस्या ना हो।
थेरेपी वाली जगह पर बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल ना करना: चूंकि, थेरेपी वाली जगह पर दर्द महसूस हो सकता है। इस कारण इस थेरेपी को करवाने वाले लोगों को थेरेपी वाली जगह पर बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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