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अगर आप चाहते हैं सिजेरियन के बाद दूसरी डिलीवरी हो नॉर्मल तो अपनाएं ये टिप्स

अगर आप चाहते हैं सिजेरियन के बाद दूसरी डिलीवरी हो नॉर्मल तो अपनाएं ये टिप्स

सिजेरियन मां बनने के बाद अगर आप दूसरे बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं तो ऐसे में सवाल उठना लाज़िमी है। आपका दूसरा बच्चा सिजेरियन से होंगा या उसकी डिलीवरी नार्मल होंगी ? दूसरे बच्चे में कितने समय का अंतराल ठीक रहेगा ? आपको किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए और पहली प्रेगनेंसी के समय जिन समस्यों का आपने सामना किया उनसे बचने के लिए इस बार आपको क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?

ऐसे कई सवाल आपके और आपके परिवार से जुड़े कई लोगों के मन में आ सकते हैं। प्रेगनेंसी हर माँ-बाप और परिवार के सदस्यों के लिए ख़ुशी के साथ-साथ जिम्मेदारी का विषय भी होता है। ऐसे में हमारी कोशिश है की प्रेगनेंसी के समय और प्रेगनेंसी के बाद माँ और बच्चे का स्वास्थ्य ठीक रहे और उनकी ग्रोथ अच्छी रहे।

कितना हो गैप

ज़्यादातर डॉक्टर्स का मानना है कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद कम से कम दूसरे बच्चे के लिए 3 साल का गैप होना चाहिए। जिससे मां और बच्चा स्वस्थ रहे। पहला बच्चा सिजेरियन से होने के बाद माँ में शारीरिक कमजोरी आ जाती है जिसकी पूर्ति के लिए कम से कम दो साल तक का समय चाहिए।

ऐसा करने से पहले बच्चे की परवरिश भी अच्छी तरह से होती है। वहीं अगर आप 3 साल से पहले गर्भस्थ हो जाती हैं तो आपको अपने खान-पान के साथ साथ शारीरिक व्यायाम सहित कई अहम बातों का ध्यान रखना आवश्यक है वरना तो कम समय के अंतराल में डिलीवरी का होना मां और बच्चे के लिए घातक साबित हो सकता है।

एक्सपर्ट कहते हैं अगर आपका पहला बच्चा सिजेरियन से हुआ है और यदि इस डिलेवरी के समय कोई बड़ी दिक्कत नहीं है तो यह डिलीवरी नार्मल हो सकती हैं। लेकिन यदि आपकी पहली दो डिलीवरी सिजेरियन हुई है तो तीसरी डिलीवरी सिजेरियन ही होगी। 

दूसरी डिलीवरी नॉर्मल होने के लिए क्या है आवश्यक?

  • पहले सिजेरियन के बाद इन्फेक्शन न हो 
  • प्रेगनेंसी में कोई दिक्कत न हो 
  • सभी प्रकार की जांच नार्मल हो 
  • बच्चे का वजन 3.5 किलो से अधिक न हो 
  • महिला की लंबाई 154 सेंटीमीटर से अधिक होना चाहिए 
  • महिला को अधिक मोटापा नहीं होना चाहिए 

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सिजेरियन कब ज़रूरी

डिलीवरी की तारीख निकल जाने, महिला में शारीरिक कमज़ोरी, ब्लड प्रेशर व यूरिक एसिड का बढ़ना, गर्भस्थ शिशु की पोजिशन में बदलाव या बच्चे का सामान्य से अधिक वज़न और गर्भनाल का नीचे की ओर होने पर सर्जरी की जाती है।

इस दौरान इन बातों का रखें ध्यान

बीन्स और दाल (Beans & Lentils)

यदि आप शाकाहारी हैं, तो बीन्स और दाल (Beans & Lentils) प्रोटीन और आयरन के सर्वश्रेष्ठ स्रोत हैं, साथ ही फोलेट, फाइबर और कैल्शियम भी इनमें प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। सेम (विशेष रूप से पके हुए) जस्ता के भी अच्छे स्त्रोत हैं।

बीन्स में फायदेमंद मिनरल्स मां और बच्चे दोनों के लिए गुणकारी होते हैं, ख़ासकर शाकाहारी माताओं के लिए ये एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें पाए जाने वाले मिनरल जानवरों के उत्पादों में पाए जाने वाले मिनरल के समान होते हैं। यह गर्भावस्था के सुपरफ़ूड (Superfood for Pregnancy) में शामिल है।

बीन्स में जस्ता समृद्ध मात्रा में होता है, जो प्रीटर्म डिलीवरी, कम वज़न के शिशु का जन्म व लम्बे समय तक प्रसव पीड़ा के जोखिम को कम करने में सहायक होता है। अगर बीन्स आपके पेट को तकलीफ देते हैं? तो आप जस्ता अन्य स्रोतों जैसे मांस, चिकन, दूध, गढ़वाले अनाज, काजू, मटर, केकड़े और सीप से प्राप्त कर सकते हैं (बस उन्हें कच्चा ना खाएं)।

दही (Curd):

सादा दही में वास्तव में दूध की तुलना में थोड़ा अधिक कैल्शियम होता है। साथ ही, इसमें प्रोटीन, बी विटामिन और जस्ता सहित हड्डी के लिए आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं।

कैल्शियम आपकी हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने और बच्चे का विकास करने में मदद करने के लिए आवश्यक है। कम जन्म के वजन और प्रीटर्म डिलीवरी के जोखिम को कम करने के लिए प्रति दिन माताओं को 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम मिलना चाहिए।

यदि आपकी कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है, तो आपका शरीर आपकी हड्डियों से बच्चे की कैल्शियम की ज़रूरतों को पूरा करने लगता है, जिससे आपको बाद में ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। दही को गर्भावस्था का सुपरफ़ूड (Superfood for Pregnancy) माना जाता है।

दलिया (Oatmeal):

दलिया या जई (Oatmeal) फाइबर, प्रोटीन और विटामिन बी 6 से भरे होते हैं और गर्भावस्था का बेहतर सुपरफ़ूड (Superfood for Pregnancy) होता है। अपने दिन की शुरुआत एक कटोरी दलिया के साथ करना गर्भावस्था में बहुत गुणकारी होता है।

साबुत अनाज आपकी ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने के लिए बहुत अच्छा है, खासकर अगर सुबह की कमज़ोरी आपको परेशान करती है। इसके अलावा, इसमें मौजूद फाइबर गर्भावस्था के दौरान कब्ज़ की समस्या से भी निजात दिलाता है। यह आसानी से तैयार होने वाला नाश्ता विटामिन बी-6 से भी भरपूर होता है।

पत्तेदार साग (Leafy Green Vegetable):

एंटीऑक्सिडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर, डार्क-ग्रीन वेजीज़- जिनमें पालक, शतावरी, ब्रोकोली और केल शामिल हैं- गर्भावस्था के दौरान आपकी ख़ुराक में ज़रूर शामिल होने चाहिए ।

ये सुपरफूड (Superfood for pregnancy) खास तौर पर मॉम्स-टू-बी (होने वाली माँ) और विकासशील शिशुओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उन सभी एंटीऑक्सिडेंट (anti-oxidants) के अलावा, पत्तेदार साग कैल्शियम (Calcium), पोटेशियम (Pottasium), फाइबर (Fibre), फोलेट (Folate) और विटामिन-ए (Vitamin-A) की भी आपूर्ति करते हैं।

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