Mental Health: जानिए कोरोना कैसे बन गया मानसिक स्वास्थ्य के लिए चुनौती?
Mental Health: कोरोना महामारी ने हर किसी के मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर विपरित असर डाला है। WHO के अनुसार, दुनियाभर के 45 करोड़ से भी अधिक लोग मानसिक विकारों से ग्रस्त हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना साल 2023 तक अवसाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बीमारी बन जाएगी। मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) का वैश्विक भार विकसित और विकासशील देशों की उपचार की क्षमताओं से काफी परे होगा।
बढ़ती मानसिक बीमारियों के कारण मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) की बड़े पैमाने पर जागरुकता जरूरत बन गई है। यही कारण है कि भारत सहित तमाम विकासशील देशों ने मानसिक रोगों के निवारण और उपचार की संभावनाओं पर ध्यान केन्द्रित किया है।
इस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) का संबंध बर्ताव से जुड़ा है और उसे शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता का मूल समझा जाता है।
1. क्या है मानसिक स्वास्थ्य? (what is Mental Health)
मानसिक स्वास्थ्य किसी की भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक स्थिति को दर्शाता है। हमारा मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) हमारे खाने की आदतों, शारीरिक गतिविधि के स्तर, पदार्थों के उपयोग के व्यवहार और हम कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं। हम हर दिन मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) का सामना करते हैं। किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति शारीरिक बीमारियों की तरह ही वास्तविक है। अपनी बातचीत और दूसरों के साथ बातचीत के दौरान इसे ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।
2. मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना क्यों जरूरी है? (Why do we need to take care of our mental Health?)
शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य (physical Health and Mental Health) का गहरा संबंध है, यह सिद्ध हो चुका है कि अवसाद के कारण हृदय रोग (Heart disease) और रक्तवाहिकीय रोग (Blood related Disease) होते हैं। मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य-संबंधी बर्तावों जैसे, समझदारी से भोजन करने, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, यौन व्यवहार, मद्य और धूम्रपान, चिकित्सकीय उपचारों का पालन करने आदि को प्रभावित करते हैं।
और इस तरह शारीरिक रोग के जोख़िम को बढ़ाते हैं. मानसिक अस्वस्थता के कारण सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं जैसे, बेरोजगारी, बिखरे हुए परिवार, गरीबी, नशीले पदार्थों का सेवन और अपराध इत्यादि. मानसिक अस्वस्थता रोगनिरोधक क्रियाशीलता के ह्रास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. अवसाद से ग्रस्त चिकित्सकीय रोगियों का हश्र बिना अवसाद से ग्रस्त रोगियों से अधिक बुरा होता है। लंबे चलने वाले रोग जैसे, मधुमेह, कैंसर,हृदय रोग अवसाद के जोखिम को बढ़ाते हैं।
3. कोविड में मानसिक स्वास्थ पर क्या असर पड़ा है ?
कोरोना ने भी लोगों के मानसिक स्वास्थ्य (Heart disease) पर नकारात्मक असर डाला है। बीमारी और लॉकडाउन की स्थिति ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित किया है। एक सर्वे के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण भारत में 61 फीसदी से ज्यादा लोग चिंतिति,उदास और गुस्से में हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर न सिर्फ इसलिए गंभीर रही क्योंकि इसबार लोग तेजी से संक्रमित हुए,बल्कि ऐसी विकट समस्या तब वापस लौटी जब ऐसा लगने लगा था कि अब सबकुछ ठीक हो रहा है।
इस तरह की परिस्थितियों ने लोगों को कई तरह से प्रभावित किया, जिसका असर स्पष्टतौर पर लोगों में तनाव, अवसाद और चिड़चिड़ेपन के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे समय में लोगों को अपने शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
घरों में लंबे समय तक बंद रहना, अपने प्रियजनों से न मिल पाने का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर स्पष्ट देखा जा रहा है। कई लोगों में ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) की भी समस्या देखने को मिल रही है, जिसमें लोगों को हमेशा लगता है कि कहीं उनके हाथ गंदे तो नहीं हैं, जिससे संक्रमण हो सकता है।
4. बढ़ते जा रहे हैं तनाव और अवसाद के मामले
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के कारण लोगों में तनाव और अवसाद के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. कई ऐसे लोग भी इलाज के लिए आ रहे हैं जिनको पहले कभी मानसिक बीमारी (Heart disease) नहीं थी, लेकिन कोरोना ने इस तरह की समस्याओं को बढ़ा दिया है. लॉकडाउन के दौरान मिल रही मरने और लोगों की बदहाली की खबरों ने भी मानसिक सेहत को बुरी तरह से प्रभावित किया है। कई मामलों में देखा गया कि परिवार के तीन-चार लोग कोरोना से संक्रमित थे, जिसमें से एक की मौत हो गई। यह दूसरे लोगों के लिए स्वाभाविक रूप से गहरा सदमा बनकर उभरा है।
5. कैसे सुधारा जा सकता है मानसिक स्वास्थ्य?
कोरोना ने सोशल स्टिगमा को भी जन्म दे दिया है। यदि किसी को भी लगातार अपने व्यवहार में बदलाव, तनाव, अवसाद या बेचैनी महसूस होती है तो उसे किसी मनोरोग विशेषज्ञ से संपर्क जरूर करना चाहिए। ऐसे रोगियों का इलाज हो सकता है। बीमारी की शुरुआती स्थितियों में साइकोथेरैपी और गंभीर स्थितियों में रोगी को दवाइयां दी जा सकती हैं।
6. दवाईयों से इतर मानसिक स्वास्थ्य बेहतर करने के आसान टिप्स (Mental Health prevention tips)
⚫ अपनी जिंदगी और रिश्तों को लेकर सकारात्मक बने रहें
⚫ शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, व्यायाम जरूर करें
⚫ अपना सामाजिक दायरा बढ़ाएं, लोगों के साथ जुड़ें
⚫ खुद को व्यस्त और मस्त रखने की कोशिश करें
⚫ उद्देश्य निश्चित करें उन्हें पाने के लिए सकारात्मक रहें
⚫ पूरी नींद लें और प्रकृति के पास रहने के मौके खोजें
⚫ अपने आध्यात्मिक को मजबूत करें, चिंता नहीं चिंतन करें
⚫ योग, प्रणायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
⚫ अहम के वहम को खुद पर हावी ना होने दें।
⚫ दोस्त बनाएं और औपारिकताओं को छोड़ने की कोशिश करें।
⚫ जरूरत पड़ने पर किसी भी तरह की मदद मांगने से ना झिझकें
डिस्क्लेमर
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