मैग्नीशियम की कमी से दिल पर होने वाले प्रभाव
मैग्नीशियम उन सूक्ष्म पोषक तत्त्वों में से एक है जो शरीर के लिए जरूरी है। एक शोध के अनुसार डाइट में मैग्नीशियम का नियमित प्रयोग करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है। मैग्नीशियम की कमी से कई तरह की परेशानियाँ हो सकती है।
मैग्नीशियम की कितनी खुराक होनी चाहिए?
वयस्क पुरुष को रोजाना 400 मिलीग्राम व महिला को 300 मिलीग्राम मैग्नीशियम की जरूरत पड़ती है। बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए 150-200 मिलीग्राम की मात्रा पर्याप्त होती है।
मैग्नीशियम की कमी से होने दुष्प्रभाव:
मैग्नीशियम की कमी से व्यक्ति के शरीर में कई तरह के दुष्प्रभाव देखने को मिलते है जैसे भूख ना लगना, कमजोरी लगना, थकान महसूस होना, चिड़चिड़ापन और मांसपेशियों का फड़कना जैसी दिक्कतें देखने को मिलती है। मैग्नीशियम की ज्यादा कमी होने से हृदय पर असर पड़ने के साथ बेहोशी और कभी-कभी मांसपेशियों के सिकुड़ने की दिक्कतें भी सामने आती है।
मैग्नीशियम की अधिकता से होने वाले दुष्प्रभाव:
मैग्नीशियम सामान्य डाइट से अधिक नहीं होता लेकिन अगर हम इसके सप्लीमेंट्स लेते हैं तो यह अधिक हो सकता है। इसके अधिक होने पर हार्ट बीट घट या बढ़ सकती है। मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है।
मैग्नीशियम कोलेस्ट्रॉल घटाता है:
मैग्नीशियम शरीर में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को धीरे-धीरे घटाता है। यह खून पतला करता है जिसके कारण रक्तसंचार सामान्य होता है जिससे ब्लड प्रेशर में सुधार होने के साथ हृदय रोगों की आशंका भी कम होती है। यह गर्भ में पल रहे शिशु को भी स्वस्थ रखता है।
मैग्नीशियम की कमी पूरी करने के लिए क्या खाएं:
कद्दू के बीज: आधा कप कद्दू के बीज में 360 मिग्रा मैग्नीशियम मिलता है।
खजूर: खजूर में मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन, फॉस्फोरस व प्रोटीन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते है जो बीपी कंट्रोल करते है।
सोयाबीन: आधा कप साबुत सूखे सोयाबीन को रोजाना भूनकर खाने से हमारे शरीर को एक दिन के मैग्नीशियम की कमी की आधी मात्रा पूरी हो जाती है।
अलसी: अलसी के एक चम्मच में 40 मिग्रा. मैग्नीशियम पाया जाता है।
कोरोना वायरस (Coronavirus) और लॉकडाउन (Lockdown) में लोगों के जीवन को हर तरह से प्रभावित कर दिया है। इन दिनों ज्यादातर लोगों को बेचैनी (Restlessness), घबराहट महसूस होती है, अच्छे से नींद भी नहीं आ पाती है। अगर जिंदगी में आपको अचानक से बदलाव होता हुआ दिख रहा है तो यह आपके मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को प्रभावित करता है। हालांकि, अकेलापन, चिंता या घबराहट शरीर में मैग्नीशियम (Magnesium) की कमी के संकेत भी हो सकते हैं. मैग्नीशियम एक तरह का सूक्ष्म पोषक तत्व है जो अवसाद और चिंता पर सीधा असर डालता है इसीलिए मैग्नीशियम की कमी को नजरअंदाज ना करें।
व्यक्ति को अपने मूड में बदलाव और अवसाद के सही कारण को समझने के लिए किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह ले लेनी चाहिए। यदि मैग्नीशियम की कमी है तो इस मिनरल की पर्याप्त मात्रा में अपने आहार से पूरा करना चाहिए। शरीर में मैग्नीशियम की कम मात्रा की ही जरूरत होती है। इसकी मात्रा उम्र और लिंग के आधार पर 300 से 400 मिलीग्राम / दिन होनी चाहिए।
मैग्नीशियम की कमी कैसे दूर करें:
इसकी कमी को रोकने के लिए आपको आपके आहार पर ध्यान देना होगा। हरी सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें क्योंकि इसमें पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम होता है। बादाम, काजू में मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है। सोयाबीन, तिल, केला, मछली, एवोकाडो, टोफू, मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत है। गेहूं, अनाज भी अच्छे स्रोतों में शामिल है।
काले सेम यानि ब्लैक बीन्स में मैग्नीशियम सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। अवसाद से निपटने के लिए अपने आहार में विटामिन के साथ मैग्नीशियम का सेवन करना जरूरी है। मैग्नीशियम का स्तर गंभीर रूप से कम होने पर नसों के जरिए इसकी पूर्ति कर सकते है। इसमें मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स दिए जाते है। मैग्नीशियम का स्तर गंभीर रूप से कम होने पर कैल्शियम और पोटेशियम इलेक्ट्रोलाइट का स्तर भी कम हो जाता है।
अस्वीकरण: सलाह सहित इस लेख में सामान्य जानकारी दी गई है। अधिक जानकारी के लिए आज ही अपने फोन में आयु ऐप डाउनलोड कर घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श करें। स्वास्थ संबंधी जानकारी के लिए आप हमारे हेल्पलाइन नंबर 781-681-11-11 पर कॉल करके भी अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। आयु ऐप हमेशा आपके बेहतर स्वास्थ के लिए कार्यरत है।