लिम्फोमा क्या है, लक्षण, कारण और उपचार | Daily Health Tip | Aayu App
” अगर आपके गले में लगातार दो हफ्ते से ज्यादा दर्द या सूजन है तो यह लिम्फेटिक कैंसर का संकेत हो सकता है। इसलिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। “
” If you have pain or swelling in your throat for more than two consecutive weeks, it can be a sign of lymphatic cancer. Therefore, consult a doctor immediately. “
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आजकल की जीवनशैली और खान-पान की आदतों की वजह से कैंसर का खतरा लोगों में बढ़ता जा रहा है। ऐसा एक कैंसर है लिम्फोमा कैंसर, जो शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। इससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। गले में लिम्फोमा कैंसर बहुत खतरनाक होता है क्योंकि इससे कई बार सांस नली प्रभावित हो सकती है मरीज के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। लंबे समय तक गर्दन की ग्रंथियों में सूजन लिम्फोमा होने के खतरे का संकेत है। लिम्फोमा अक्सर लिम्फ नोड्स से शुरू होता है लेकिन यह पेट, आंत, त्वचा या किसी और अंग में पाया जाता है।
गले में सूजन और दर्द:
गले में सूजन के कई कारण हो सकते हैं। गले के संक्रमण के कारण भी गले में सूजन, खराश और हल्का दर्द हो सकता है। इसके अलावा गले संबंधित रोग जैसे टॉन्सिल आदि के कारण भी गले में समस्या हो सकती है मगर अगर गले में सूजन और दर्द लगातार दो हफ्तों तक बना रहता है और दर्द सामान्य से तेज हो तो आपको तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए क्योंकि यह गले में लिंफोनिया कैंसर के संकेत हो सकते हैं।
क्या है लिम्फोमा?
मानव शरीर के इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को लिम्फोकेट्स और जो कोशिकाएं कैंसर से ग्रसित होती हैं उन्हें लिम्फोमा या लिम्फ कैंसर कहते हैं। शरीर में 35 अलग-अलग तरह के लिम्फोकेट्स होती हैं और इनमें से कई बार कुछ कोशिकाएं लिम्फोमा से ग्रसित हो जाती हैं। कैंसर इन कोशिकाओं को प्रभावित करता है और शरीर की अन्य बीमारियों के लिए प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ब्लड कैंसर का सबसे ज्यादा होने वाला प्रकार लिम्फोमा है।
लिंफोमा के चरण:
लिंफोमा के चार चरण होते है।
पहला चरण: लिम्फोमा के पहले चरण का मतलब है लसीका तंत्र (Lymphatic system) के बाहर शरीर के किसी एक अंग में शुरू हुआ है और केवल उसी अंग में मौजूद है। इसे एक्स्ट्रानोड़ल लिंफोमा (Extranodal lymphoma) कहते है।
दूसरा चरण: लिम्फोमा के दूसरे चरण का अर्थ है कि यह लिम्फ नोड्स के 2 या उससे अधिक समूहों में मौजूद है। यह शरीर में कहीं भी हो सकते हैं, लेकिन इसके निदान के लिए यह सभी डायाफ्राम (Diaphragm) के एक ही तरफ होने चाहिए।
तीसरा चरण: लिम्फोमा के तीसरे चरण का मतलब है कि डायाफ्राम के दोनों तरफ लिम्फोमा वाले लिम्फ नोड्स मौजूद हैं।
चौथा चरण: चौथा चरण का अर्थ है कि लिम्फोमा कोशिकाएं लसीका प्रणाली (Lymphatic system) के बाहर कम से कम 1 शरीर के अंग में फैली हुई हैं। जैसे: फेफड़े, लीवर, हड्डियां। प्लीहा (Spleen) और थायमस (Thymus) लसीका प्रणाली (Lymphatic System) का ही एक हिस्सा होते हैं, इसलिए केवल उन अंगों में लिम्फोमा होने पर उसे चौथे चरण में नहीं गिना जाता।
लिम्फोमा के लक्षण:
लिम्फोमा से ग्रस्त रोगियों को सबसे पहले लिम्फ नोड्स में सूजन महसूस होती है। यह त्वचा के नीचे छोटी व मुलायम गांठ की तरह महसूस होती हैं। जहाँ-जहाँ लिम्फ नोड्स महसूस होते है वो जगह है।
- गर्दन
- छाती का ऊपरी भाग
- पेट
- पेट और जांध के बीच का भाग
- हड्डी में दर्द
- खांसी
- थकान
- प्लीहा (spleen) का बढ़ना
- बुखार
- रात को पसीना आना
- शराब पीते समय दर्द होना
- चकत्ते
- सांस फूलना
- त्वचा पर खुजली होना
- पेट दर्द
- वजन घटना
लिम्फोमा के कारण:
लिम्फोमा के सटीक कारण अज्ञात हैं। लेकिन कुछ कारण हो सकते है।
- बढ़ती उम्र के साथ इसके होने का खतरा बढ़ जाता है।
- पुरुषों को लिम्फोमा होने का खतरा महिलाओं से ज़्यादा होता है।
- अगर आप किसी ऑटोइम्यून बीमारी से ग्रस्त हैं, तो लिम्फोमा होने की सम्भावना ज़्यादा हो सकती है।
- एचआईवी एड्स होना।
- आहार में मांस और फैट की उच्च मात्रा लेना।
- कीटनाशकों के संपर्क में आना।
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा आयु ऐप (AAYU App) पर डॉक्टर से संपर्क करें.
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