Coronavirus: क्या सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में कवर होगा कोरोना के इलाज का खर्च ?
पिछले कुछ सालों से दुनिया भर में कई घातक वायरसों का प्रकोप रहा है। इबोला, जिका, मर्स, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू और अब कोरोना वायरस जैसे तमाम वायरस ने दुनिया में तबाही मचाई है। कोरोना वायरस का जन्म चीन में हुआ। कोरोना वायरस दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। 1,00,000 से ज्यादा लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। 4000 से ज्यादा लोगों की इससे मौत हो चुकी है। भारत में अभी तक कोरोना वायरस इंफेक्शन के 73 मामले सामने आए हैं । सरकार का कहना है कि कोरोना से निपटने के लिए उसने उसने पूरी तैयारी कर रखी है। जो लोग कोरोना वायरस से पॉजीटिव पाए गए हैं उन्हें अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। ऐसे में सवाल है कि क्या हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसी में कोरोना वायरस कवर होता है? मतलब अगर किसी को कोरोना वायरस होता है तो क्या इंश्योरेंस पॉलिसी से उसका इलाज हो जाएगा?
किन परिस्थितियों में मिलेगा मेडिक्लेम
- कोरोना वायरस के कारण हेल्थ इंश्योरेंस का क्लेम केवल तभी मिलेगा अगर पॉलिसीधारक कम से कम 24 घंटे के लिए अस्पताल में भर्ती रहता हैहालांकि, पॉलिसीधारक के भर्ती न होने पर क्लेम कवर नहीं होगा. वजह यह है कि इनडेमनिटी प्रकार की ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ओपीडी ट्रीटमेंट को कवर नहीं करती हैं.
- अगर प्लांड ट्रीटमेंट के लिए जा रहे हैं पिछले चार हफ्तों से अगर आप सांस से जुड़ी से किसी तरह की बीमारी से पीड़ित हैं तो रेगुलर इनडेमनिटी टाइप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में क्लेम खारिज हो सकता है। उदाहरण के लिए अगर आप पिछले कुछ दिनों से गंभीर कफ, सांस की बीमारी, फ्लू आदि से पीड़ित हैं तो संभव है कि आपकी पॉलिसी कोरोना वायरस के संक्रमण को कवर नहीं करें।
- पॉलिसी के वेटिंग पीरियड में संक्रमित होने पर अगर वेटिंग पीरियड में किसी बीमारी को एक्सक्लूड किया गया है तो पॉलिसीधारक पॉलिसी के वेटिंग पीरियड में रोग के इलाज पर हुए खर्च को क्लेम नहीं कर सकते हैं। अमूमन पॉलिसी के वेटिंग पीरियड में ज्यादातर पॉलिसियां कई तरह के उपचार को बाहर रखती हैं।
- अगर आप या आपके परिवार के सदस्य संक्रमण प्रभावित देशों में हाल में गए हैं आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस के सीईओ मयंक बथवाल ने कहा कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के मामले में अगर पॉलिसीधारक कोरोना प्रभावित देश से ट्रैवल करके आया है और उसे पॉजिटिव पाया जाता है तो वे तब तक रेगुलर इनडेमनिटी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत कवर होंगे जब तक भारत में उन्हें क्वारेंटाइन किया जा रहा है।
कब ले सकेंगे बीमा कवर का लाभ?
- जानकारों के मुताबिक, ”कोरोना वायरस के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर किसी अन्य बीमारी की तरह इलाज कवर होता है। क्लेम को नियमों के अनुसार प्रोसेस किया जाता है। बशर्ते अस्पताल में भर्ती का समय 24 घंटे से ज्यादा का हो।”
- विश्व स्वास्थ्य संगठन अगर इस बीमारी को महामारी घोषित कर देता है तो संभवत: हेल्थ पॉलिसी का लाभ न मिले, हालांकि, एसबीआई जनरल इंश्योरेंस स्टैंडर्ड हेल्थ पॉलिसी कोरोना वायरस को कवर कर रही है। लिहाजा, घबराने की जगह लोगों का अपनी बीमा कंपनी से पूछना चाहिए कि वे अपनी पॉलिसी में कोरोना वायरस को कवर कर रहे हैं कि नहीं।
- इंश्योरेंस सेक्टर के जानकारों के अनुसार, हेल्थ पॉलिसी में यह कोई मायने नहीं रखता कि आपको कौन सी बीमारी है। आपके अस्पताल में भर्ती होने पर यह पॉलिसी कवर करेगी। हेल्थ पॉलिसी आपके हर संक्रमण को कवर करती है। इस तथ्य के बावजूद यह कितना खतरनाक है। कोरोना भी एक ऐसा ही खतरनाक संक्रमण है। सभी हेल्थ पॉलिसी में संक्रमण के दिन से हेल्थ कवर मिलता है।
क्या कहा इंश्योरेंस कंपनी की संस्था ने
इस बारे में जनरल इंश्योरेंस काउंसिल यानी GIC का बयान आया है. काउंसिल का कहना है कि हेल्थ इंश्योरेंस कोरोना वायरस का इलाज भी कवर करता है। काउंसिल के चेयरमैन एवी गिरिजा कुमार ने समाचार एजेंसी PTI से इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मौजूद सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज़ के दायरे में इंफेक्शन वाली बीमारियां आती हैं। इनमें कोरोना वायरस भी शामिल है।
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हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर इरडा (IRDA) का बयान
इरडा (IRDA) ने कहा कि “हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत को पूरा करने के उद्देश्य से बीमा कंपनियों को सुझाव दिया जाता है कि वे ऐसे प्रोडक्ट डिजाइन करें जिसमें कोरोना वायरस के इलाज का खर्च भी कवर होता हो।” इसके अलावा कोरोना वायरस के इलाज से संबंधित दावों को जल्दी निपटाने को कहा है ताकि मरीजों को जल्दी और सही इलाज मिल सके। इरडा ने कहा कि जिन मामलों में अस्पताल में भर्ती होने का खर्च कवर हो, बीमा कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि कोविड19 से संबंधित मामलों का तेजी से निपटान किया जाए।
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