Latest health updates: कागज़ के टुकड़ों से कोरोना की जांच, भारतीय वैज्ञानिकों ने लहराया परचम
कोरोना वायरस (Coronavirus) की टेस्टिंग कई तरीकों से की जा रही है। भारतीय वैज्ञानिकों की टीम ने कागज के टुकड़ों के जरिए कोरोना वायरस की जांच के लिए ‘फेलुदा किट’ (Feluda kit) बनाई है जिसकी दुनिया भर में तारीफ हो रही है।
इसी बीच भारतीय वैज्ञानिक ने कोरोना टेस्टिंग (Corona testing) के लिए सबसे सस्ती किट बनाई हैं जिसे ‘फेलुदा किट’ नाम दिया गया है। भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस (Coronavirus) के मद्देनजर एक मामूली कागज़ पर आधारित परीक्षण प्रणाली को विकसित किया है जो गर्भावस्था के परीक्षण के समान तेजी से परिणाम देने में सक्षम है।
1. कागज़ के टुकड़ों से कोरोना की जांच
कागज़ के टुकड़ों से कोरोना वायरस की जांच वाली ‘फेलुदा किट’ पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि ये किट कोरोना महामारी पर नियंत्रण में बेहद अहम साबित हो सकती है।
मशहूर भारतीय जासूस क्रिस्पर के नाम पर बनी यह परीक्षण प्रणाली जीन-संपादन ( Gene-editing) तकनीक पर आधारित है। इस टेस्ट प्रणाली में मरीज की रिपोर्ट एक घंटे के अंदर आ जाएगी। कोरोना के इस टेस्ट की कीमत केवल 500 रुपये है।
BBC के मुताबिक फेलूदा किट को प्रमुख भारतीय समूह टाटा द्वारा बनाया जाएगा और यह दुनिया का पहला पेपर-बेस्ड कोविड-19 टेस्ट होगा जो जल्द ही बाजारों में उपलब्ध होगा। दिल्ली स्थित सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (CSIR-Institute of Genomics and Integrative Biology) में फेलुदा किट को विकसित किया गया है।
2. काढ़ा से नहीं होता लीवर को नुकसान-आयुष मंत्रालय
कोरोना वायरस पर काढ़े को लेकर फैली अफ़वाह को आयुष मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है। दरअसल, अफ़वाह थी की लंबे समय तक काढ़े का सेवन करने से लीवर को नुकसान होता है, इस पर आयुष मंत्रालय ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे कहा जा सके कि काढ़े के सेवन से लीवर को नुकसान होता है।
मंत्रालय का कहना है कि ‘‘यह गलत धारणा” है क्योंकि काढ़ा बनाने में उपयोग होने वाली सभी चीजें घरों में खाना पकाते समय इस्तेमाल की जाती हैं। ग़ौरतलब है कि कोविड-19 के मद्देनज़र आयुष मंत्रालय ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़े के सेवन का सुझाव दिया है। संवाददाता सम्मेलन में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि दालचीनी, तुलसी और काली मिर्च का उपयोग काढ़ा बनाने के लिए किया जाता है और उनका श्वसन तंत्र पर अनुकूल प्रभाव होता है।
3. अब मामूली लक्षण वाले मरीज़ों का होगा आयुर्वेदिक इलाज
मामूली लक्षणों वाले कोरोना मरीज़ों (Corona) का अब आयुर्वेदिक इलाज भी होगा। उन्हें अश्वगंधा, काढ़ा और अन्य आयुर्वेदिक (Ayurvedic) औषधि दी जा सकेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने नेशनल कोविड मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में आयुष स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल को शामिल कर इसे मंजूरी दी है।
बतादें, अभी कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को अनौपचारिक तौर पर मरीज़ों को दिया जा रहा था। ट्रायल के अच्छे नतीजे मिलने के बाद इस पर मुहर लगी है।
जानिए किस रोगी को किस तरह का आयुर्वेदिक इलाज
केस- 1 रोग निरोधी देखभाल ( हाई रिस्क पापुलेशन, प्राइमरी कांटेक्ट)
दवाएं- अश्वगंधा, गुडूची घन वटी और च्यवनप्राश
केस-2 कोरोना संक्रमित बिना लक्षण वाले व्यक्ति
(दवाओं से कोशिश- बीमारी को लक्षण में बदलने, गंभीर होने से रोकने और रिकवरी रेट में सुधार)
दवाएं- गुडूची घन वटी, गुडूची+पिपली, आयुष-64
केस-3 कोरोना संक्रमित हल्के लक्षण वाले लोग
दवाओं से कोशिश- बुखार, सिर दर्द, थकान, सूखी खांसी, गला दर्द, नाक बंद का इलाज
दवाएं- गुडूची+पिपली, आयुष-64
केस-4 – पोस्ट कोविड मैनेजमेंट (कोरोना से ठीक होने के बाद)
दवाओं से कोशिश- कोरोना के बाद फेफड़ों की समस्या, थकान और मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखना
दवाएं- अश्वगंधा, च्यवनप्राश, रसायन चूर्ण
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