Corona Brief News: स्वदेशी वैक्सीन ‘जायकोव- डी’ का पहला ट्रायल सफल, मोटे लोगों को कोरोना का खतरा अधिक
स्वदेशी वैक्सीन ‘जायकोव- डी’ का पहला ट्रायल सफल हो गया है। इसे भारतीय फार्मा कम्पनी जायडस कैडिला ने तैयार किया है। कोवैक्सीन के बाद ‘जायकोव- डी’ भारत की दूसरी स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है। दूसरी ओर,ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ज्यादा वजन और मोटे लोग कोरोनावायरस की चपेट में आने पर गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं। उनकी मौत होने की आशंका भी ज्यादा है।
1.स्वदेशी वैक्सीन ‘जायकोव- डी’ वैक्सीन का पहला ट्रायल सफल
भारत बायोटेक के बाद जायडस कैडिला दूसरी स्वदेशी कम्पनी जिसे अगले फेज का ह्यूमन ट्रायल करने की मंजूरी मिली है। कोवैक्सीन के बाद देश की दूसरी स्वदेशी वैक्सीन ‘जायकोव- डी’ का ट्रायल तेजी से किया जा रहा है।
इसका सेकंड फेज का ह्यूमन ट्रायल गुरुवार यानी 6 अगस्त से शुरू हो गया है। इस दौरान इसकी रोग से बचाने की क्षमता और इम्युनिटी रेस्पॉन्स को परखा जाएगा।
मालूम हो, जायडस कैडिला को पिछले महीने वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए अनुमति मिली थी। भारत बायोटेक के बाद यह दूसरी कम्पनी है जिसे अगले चरण के ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी मिली है। भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार की है।
2. मोटे लोगों को कोरोना का खतरा अधिक
ब्रिटेन में रात 9 बजे से पहले ज्यादा वसा, नमक या चीनी वाले खाद्य पदार्थों के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ज्यादा वजन और मोटे लोग कोरोनावायरस की चपेट में आने पर गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं। एक अन्य शोध में पाया गया कि बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से ज्यादा वाले लोगों में कोरोना से संक्रमित होने का जोखिम ज्यादा होता है।
- वहीं,ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में रुमेटोलॉजी डिपॉर्टमेंट में एचओडी डॉ. उमा कुमार के मुताबिक मोटे लोगों के सेल्स में एसीई-2 रिस्पेटर होते हैं। इसके चलते अधिक वजन और मोटे लोगों को कोरोना का खतरा ज्यादा है।
- दरअसल, फैट सेल्स में एसीई-2 रिस्पेटर लंग्स से भी ज्यादा पाए गए। ये रिस्पेटर जिन सेल्स में ज्यादा होंगे, उनमें वायरस का खतरा उतना ही ज्यादा होता है। ऐसे लोगों को सीवियर डिसीज का खतरा ज्यादा रहता है।
3. रूस में कोरोना वैक्सीन के टीके के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू
रूस में 12 अगस्त से कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएगा। इसके अलावा अक्टूबर में टीका करण का काम भी शुरू हो जाएगा। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने घोषणा की है कि रूस की वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में 100 फीसदी सफल रही है। और फिलहाल इस वैक्सीन का तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है।
वहीं भारत में कोरोना वैक्सीन की खुराक दिसंबर के अंत तक उपलब्ध हो सकती है। भारत में इसकी कीमत करीब 225 रुपए रह सकती है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने गावि और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन के साथ गठजोड़ का ऐलान किया है। इस गठजोड़ के तहत कंपनी कम आय वाले देशों के लिए 10 करोड़ खुराक बनाएगी।
4. क्या 50% सफल वैक्सीन भी असरदार साबित हो सकती है?
COVID-19: सवाल है, क्या 50% सफल वैक्सीन भी असरदार साबित हो सकती है? दुनियाभर में 160 से अधिक कोरोना वैक्सीन पर अभी काम जारी है।
- उनमें से कम से कम 23 वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल जारी है। कई वैक्सीन को कोरोना वायरस के खिलाफ ‘रेस’ में ‘फ्रंट-रनर’ कहा जा रहा है।
- वहीं दुनिया भर के पब्लिक हेल्थ प्रोफेशनल की चिंता है कि पहली जेनरेशन के वैक्सीन कैंडिडेट सबसे अच्छे नहीं हो सकते हैं।
- वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में ड्रग डेवलपमेंट एंड रिसर्च में एक्सपर्ट माइकल एस किंच ने वाशिंगटन पोस्ट को बताया है, “असली नज़ारा शायद वैसा ही होने जा रहा है जैसा हमने एचआईवी/एड्स के साथ देखा था। एचआईवी की दवाएँ काफी औसत दर्जे की हैं।
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