Immunity Booster Assam tea : असम के बागानों की चाय से मिलेगी कोरोना से लड़ने में मदद
Immunity Booster Assam tea : कोरोना वायरस की चपेट में आने से आसाम के बागानों की चाय हमें बचा सकती है! यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि अलग-अलग देशों में अलग-अलग संस्थानों द्वारा किए गए शोध में यह बात साबित हुई है। कोविड-19 से बचने के लिए लोगों को इम्यूनिटी सिस्टम (Immunity System) को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए कहा जा रहा है।
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अध्ययन में सामने आया है कि असम के बागानों की चाय (Tea Of Assam) कोरोना वायरस से लड़ने के लिए शरीर को जरूरी इम्यूनिटी प्रदान करती है। कोरोना महामारी से बचने के लिए विश्व स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन अभी तक कोई वैक्सीन बनकर तैयार नहीं हुई है। ऐसे में असम के बागानों की चाय इस बीमारी से लड़ने में काफी हद तक फ़ायदेमंद है। यह तंत्रिका तंत्र को सक्रिय कर मानसिक सतर्कता एवं इम्यूनिटी को बढ़ाता हे।
आयुष मंत्रालय की मान्यता
आयुष मंत्रालय की मान्यता के अनुसार कोरोना महामारी से बचने के लिए शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाना जरूरी है। मंत्रालय द्वारा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय जनहित में जारी किए हैं जिनमें काढ़ा, तुलसी की चाय, गर्म पानी का सेवन जैसे घरेलू उपायों को आम लोगों के साथ साझा किया है। यदि नियमित रूप से सीमित मात्रा में इस लाल चाय का उपयोग किया जाए तो सांस से संबंधित बीमारी जल्दी से शरीर पर अटैक नहीं कर पाती है। विभिन्न संस्थानों द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना भी सांस नली पर सबसे पहले अटैक करता है।
खास है असम के बागानों की काली चाय: Immunity Booster Assam tea
हाल ही में चीन द्वारा किए गए एक अध्ययन में साबित हुआ है कि आसाम के चाय बागानों में उत्पन्न होने वाली काली चाय इम्यूनिटी बूस्टर का काम करती है। क्योंकि इस चाय में थिफ्लेविन्स नामक तत्व मौजूद होता है, जो इंफ्लुएंजा और श्वसनतंत्र संबंधी रोगों से बचने में हमारे शरीर की सहायता करता है। पिछले दिनों असम स्थित चाय अनुसंधान ने भी दावा किया है कि काली पत्तियों से तैयार लाल चाय (Black Tea) हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।
इम्यूनिटी बूस्टर है काली चाय
दुनियाभर को ग्रीन-टी सप्लाई करने वाले चीन को अब असम के चाय बागानों में उगने वाली काली चाय की जरूरत पड़ रही है ताकि वह अपने लोगों को इस भारतीय चाय का सेवन कराए और उनकी इम्यूनिटी को बढ़ा सके।
ग्रीन टी में दूध का उपयोग नहीं किया जाता है लेकिन काली चाय में दूध डालकर तैयार किए जाने पर यह हल्के लाल रंग की हो जाती है, इस कारण इसे लाल चाय भी कहते हैं। अध्ययन के मुताबिक, लाल चाय शरीर को सूजन, फ्लू, फेफड़ों और श्वसनतंत्र को वायरस और बैक्टीरिया से बचाती है।
मालूम हो, चीन बड़ी मात्रा में ग्रीन-टी का उत्पादन करता है जबकि भारत में काली चाय का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।
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