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टैनिंग से बचने के तरीके | Daily Health Tip | 21 March 2020 | AAYU App

टैनिंग से बचने के तरीके  | Daily Health Tip | 21 March 2020 | AAYU App

गर्मियों में पूरी बाहों और हल्के रंग के कपडे पहनने चाहिए क्योंकि पूरी बाहों के कपडे स्किन को टैनिंग से बचाते है और हल्के रंग के कपडे पहनने में आरामदायक होते है जिससे हवा आ जा सकती है।

In Summer, wear full sleeves and light coloured clothes as they prevent you from tanned skin and light coloured clothes are comfortable.

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समुन्द्र किनारे मौजमस्ती के दौरान कुछ सावधानियों के साथ टैन को कम करने के कुछ उपाय अपना कर आप इस चिंता से मुक्ति पा सकते है।

बरते कुछ सावधानियां:

सूरज की किरणों के संपर्क में आने से पहले सनस्क्रीम से अपनी त्वचा को बचाएं। अलग अलग स्किन टोन के लिए अलग अलग सनस्क्रीम इस्तेमाल होती है।

सनस्क्रीम का प्रयोग सन टैन से बचाता है। धूप में निकलने से कम से कम आधा घंटा पहले इसे त्वचा पर लगाएं। यह लगभग दो घंटे तक सुरक्षा प्रदान करता है।

एसपीएफ 20 और 90 में सुरक्षा के मामले में केवल 5% का अंतर है। भारतीय जलवायु के अनुसार एसपीएफ 20 यहां के लोगों की त्वचा की रक्षा के लिए पर्याप्त माना जाता है।

जिन लोगों की त्वचा औयली और ऐक्ने प्रोन होती है, उन्हें जैल आधारित सनस्क्रीन जबकि रूखी त्वचा वालों को क्रीम या लोशन बेस्ड सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।

टैन दूर करने के उपाय:

अगर टैन ज्यादा खतरनाक स्थिति में आ जाता है तब उस का ट्रीटमैंट करवाने की जरूरत पड़ती है। इस के लिए माइक्रोडर्मब्रोशन, सुपरफेशियल कैमिकल पील्स और विभिन्न लेजर थेरैपी द्वारा ट्रीटमैंट किया जाता है, जिस से त्वचा निखरी और मुलायम नजर आती है। इस के अलावा विभिन्न प्रकार के क्रीम और सीरम्स के कौंबिनेशन भी टैन को रिमूव करने के लिए प्रयोग किए जाते है।

केमिकल पील्स:

यह एक ऐक्सफोलिएटिंग प्रक्रिया है, जो त्वचा की बेजान परत को हटाने का काम करती है। 2-3 सिटिंग्स के बाद आप की त्वचा की हल्की परत दिखने लग जाती है। आप को सिर्फ 15-20 मिनटों के लिए त्वचा रोग विशेषज्ञ के पास जाना पड़ता है। हालांकि आप को इस की कितनी सिटिंग की जरूरत है, यह बात त्वचा पर हुई टैनिंग पर निर्भर करती है। इस प्रक्रिया में त्वचा की ऊपरी परत को ऐक्सफोलिएट करने के लिए एक कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है।

पील का इस्तेमाल:

कौंप्लैक्शन यानी त्वचा की रंगत ठीक करने के लिए आमतौर पर ग्लायकोलिक पील, विट सी पील और लैक्टिक पील का इस्तेमाल किया जाता है। कैमिकल पील्स के बाद त्वचा को सन ऐक्सपोजर से प्रोटैक्शन देने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस प्रक्रिया के बाद त्वचा थोड़ी सैंसिटिव हो जाती है। इस के लिए ब्रौड स्पैक्ट्रम के साथ कम से कम 30 एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का प्रयोग करें साथ ही नियमित रूप से त्वचा में मॉइस्चराइजर लगाएं, क्योंकि कैमिकल पील के बाद त्वचा को अतिरिक्त मॉइस्चराइजर की आवश्यकता होती है।

ऑक्सीजन फेसिअल:

इस प्रक्रिया में मैडिकल ग्रेड औक्सीजन का इस्तेमाल होता है। इस के तहत तेज दबाव के साथ कंप्रैस्ड औक्सीजन को पूरे चेहरे पर फैलाया जाता है लेकिन इस से पहले औक्सीजन को विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्वों, विटामिंस और हाइड्रेटर्स से भरपूर बनाया जाता है जो त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होते है। इस के बाद हाई प्रैशर जैट से चेहरे पर औक्सीजन दिया जाता है। इस से औक्सीजन और पोषण का यह संयोजन बाहरी त्वचा के निचले हिस्से तक पहुंचता है। यह मिक्सचर त्वचा की कोशिकाओं की नवीनीकरण प्रक्रिया को तेज करता है और कोलेजन का उत्पादन बढ़ाता है जो त्वचा की कोशिकाओं को दुरुस्त रखने और उन के विकास में मददगार होता है।

माइक्रोडर्मब्रोशन:

इस में मैकैनिकल ऐक्सफोलिएशन का प्रयोग कर कौर्नियम परत और डैड स्किन सैल्स को त्वचा से रिमूव किया जाता है। इस के बाद त्वचा पर नए और स्वस्थ स्किन सैल्स आते है जिस से त्वचा फ्रैश और ग्लोइंग नजर आती है। केवल एक ट्रीटमैंट के बाद त्वचा की स्मूदनैस को महसूस किया जा सकता है।

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