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बारिश में कान में संक्रमण से कैसे बचें

बारिश में कान में संक्रमण से कैसे बचें

कान में इंफेक्शन किसी भी मौसम में हो सकता है, लेकिन बारिश के मौसम में इंफेक्शन होने का डर ज़्यादा होता है। कान में संक्रमण पुरानी बीमारियां के वजह से भी हो सकता है। कई बार तो पुरानी बीमारियां भी बारिश के मौसम में परेशान करने लगती है। ऐसे में कुछ चीज़ों को करने से बचें।

बारिश के मौसम में कान में संक्रमण ना होने के लिए किन चीज़ों से बचें:

नहाते समय रुई लगाएं: नहाते समय कान में रुई लगाएं जिससे कानों में पानी ना जाए। कान को ज्यादा साफ करने से बचें क्योंकि इससे कान की त्वचा में चोट लगने और इसके बाद संक्रमण होने की संभावना ज़्यादा बढ़ने लगती है।

स्विमिंग के दौरान ध्यान रखें: अगर आप बारिश के मौसम में भी तैराकी करना पसंद करते है तो दूषित पानी कान में जाने की वजह से बीमारियां बढ़ जाती है। इसलिए स्विमिंग करते समय ईयर प्लग यूज करें। जरूरत पड़ने पर नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

बारिश में भीगने से बचें: बारिश में भीगने या फिर वातावरण में नमी होने से जुकाम और गला खराब होने की आशंका रहती है। इसका असर भी कानों पर पड़ता है और कान में दर्द या इंफेक्शन होता है।

ठंडे पदार्थों से बचें: बरसात के मौसम में ठंडे पदार्थों के अधिक सेवन से बचें। जुकाम या गला खराब होने पर जल्दी से इलाज कराएं।

कम पानी पीने से होने वाले नुकसान:

कई बार लोग कान के नीचे गांठ या दर्द की समस्या को कान की समस्या समझ लेते हैं लेकिन इसकी वजह लार ग्रंथियों से जुड़ी हो सकती है। दरअसल हमारे कान व जबड़े के नीचे आगे की ओर तीन प्रमुख लार ग्रंथियां होती है। कई बार कम पानी पीने से लार गाढ़ी हो जाती है। इसके कारण इन ग्रंथियों में संक्रमण,पथरी व गांठ बनने की समस्या हो सकती है।

संक्रमण: संक्रमण किसी को भी हो सकता है लेकिन किडनी व लिवर रोग से पीडि़त,कमजोर इम्युनिटी वाले,डायबिटीज,आर्थराइटिस व एचआईवी रोगियों में इसकी आशंका अधिक होती है। इसकी वजह लार गाढ़ी होने के कारण पनपे वायरस व बैक्टीरिया,मुंह की साफ-सफाई की कमी आदि हो सकती है। इसमें खाने में स्वाद ना आना, मुंह से पस निकलना, बुखार व कान के पास दर्द जैसे लक्षण सामने आते है।

पथरी: लार का गाढ़ा होकर कठोर होना ग्रंथियों में कई बार पथरी का रूप लेता है। इससे लार के प्रवाह में बाधा आ जाती है। लेकिन पानी की कमी व प्रमुख रोगों में ली जाने वाली दवाओं का दुष्प्रभाव भी इसके कारणों में शामिल है। पथरी होने पर भोजन निगलने में दिक्कत, ग्रंथियों का फूलना और दर्द की परेशानी उभर कर आती है।

गांठे बनना: गांठें दो तरह की होती है कैंसरस व नॉन-कैंसरस। कई बार पानी की कमी से नाजुक कोशिकाएं कठोर हो जाती है। इलाज में देरी होने से ये ट्यूमर का रूप ले सकती है। कान या जबड़े के पास भोजन करते समय दर्द, सूजन, मुंह में टेढ़ापन व आंखें बंद ना कर पाने जैसी दिक्कतें हो सकती है।

कान में फंगल इंफेक्शन के कारण और इलाज:

कान में फंगल इंफेक्शन को ऑटोमाइकोसिस (Otomycosis) कहते है। कान में फंगल इंफेक्शन के कारण एक या फिर दोनों कान प्रभावित होते है। कान में फंगल इंफेक्शन उन लोगों को ज्यादा होता है जो गर्म प्रदेश में रहते है ऐसे लोग भी कान में फंगल इंफेक्शन से ग्रस्त होते है जो तैराकी या फिर वॉटर स्पोर्ट्स करते है, या फिर डायबिटीज का शिकार है, या फिर किसी क्रोनिक मेडिकल और स्किन कंडीशन से परेशान है। कान में फंगल इंफेक्शन की समस्या को समाप्त करने के लिए कई ट्रीटमेंट किए जा सकते है। कान में फंगल इंफेक्शन किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। कई बार फंगल इंफेक्शन के साथ ही बैक्टीरिया भी पनपने लगते है।

कान में फंगल इंफेक्शन के लक्षण:

कान में फंगल इंफेक्शन के कारण सुनने में समस्या के साथ-साथ कान में भारीपन महसूस होता है। कान में दर्द की समस्या हो सकती है। कान में फंगल इंफेक्शन के कारण डिस्चार्ज भी निकलता है।

  • सुनने में समस्या, जिसके कारण बहरेपन की स्थिति उपन्न हो सकती है।
  • काम में हमेशा भारीपन महसूस होना
  • कान के बाहरी भाग में लालपन महसूस होना
  • फंगल इंफेक्शन के अधिकतर मामलों में इचिंग की समस्या उत्पन्न होना
  • कान में हल्का दर्द महसूस होना
  • कान भरा हुआ महसूस होना
  • कान में आवाज सुनाई देना
  • कान से सफेद, पीला, ग्रे, ब्लैक या फिर ग्रीन कलर का डिस्चार्ज निकलना

कान में फंगल इंफेक्शन का इलाज कैसे करें?

कान में फंगल इंफेक्शन होने पर डॉक्टर जांच के बाद जब तय कर लेता है कि ये फंगल इंफेक्शन या फिर बैक्टीरियल इंफेक्शन। डायग्नोस हो जाने के बाद डॉक्टर कान की समस्या को दूर करने के लिए इयरड्रॉप, टॉपिकल क्रीम ओरल मेडिसिन दे सकता है।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए आज ही अपने फोन में आयु ऐप डाउनलोड कर घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श करें। स्वास्थ संबंधी जानकारी के लिए आप हमारे हेल्पलाइन नंबर 781-681-11-11 पर कॉल करके भी अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। आयु ऐप हमेशा आपके बेहतर स्वास्थ के लिए कार्यरत है।

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