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World AIDS Day: महिलाओं में एचआईवी के लक्षण और इसके आयुर्वेदिक इलाज

World AIDS Day: महिलाओं में एचआईवी के लक्षण और इसके आयुर्वेदिक इलाज

हर साल 1 दिसंबर को World AIDS Day मनाया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ भारत में ही लगभग 2.1 मिलियन लोग ऐसे है जो एड्स से पीड़ित है। इसलिए मरीज को सही इलाज कैसे मिल सकता है इसके बारे में जागरूक करना बहुत आवश्यक हो जाता है।

आइये जानते है महिलाओं में एचआईवी के लक्षण कौन-कौन से है और एचआईवी के आयुर्वेदिक इलाज।

World AIDS Day: महिलाओं में एचआईवी के लक्षण (Symptoms of HIV in Womens):

महिलाओं में HIV के लक्षण पुरुषों की तुलना में अलग होते है। एचआईवी संक्रमण के कुछ शुरूआती लक्षण ऐसे है जिसे लोगों द्वारा नजरअंदाज किया जाता है। शुरूआती लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है ताकि वायरस को शरीर में आगे फैलने से रोका जा सकें। हम आपको यहाँ एचआईवी के कुछ शुरूआती लक्षणों के बारे में बताएंगे।

  • संक्रमित व्यक्ति के पूरे शरीर पर लाल चकत्ते होने लगते है। जिनमें खुजली हो भी सकती है या नहीं भी। यह दिखने में भी अलग दिखते है।
  • एचआईवी का संक्रमण होने पर महिलाओं के मासिक धर्म (Menstrual Cycle) अनियमित हो जाता है। इसमें काफी बदलाव देखने को मिलता है। कुछ महिलाओं में पीरियड्स रूक जाते है और किसी-किसी में यह सामान्य से अधिक या कम होने लग जाते है।
  • एचआईवी के शुरूआती स्टेज में इंसान को फ्लू जैसे लक्षण दिखते है और इसके साथ ही हल्का बुखार भी रहता है। बुखार में आपका शरीर जानलेवा वायरस से लड़ता है जिससे वह गर्म हो जाता है लेकिन एचआईवी के केस में यह गर्माहट पर्याप्त नहीं होती।
  • लिंफ नोड्स शरीर के इम्यून सिस्टम का हिस्सा होते है और इनमें इम्यून सेल्स स्टोर रहती है। एचआईवी संक्रमण होने पर इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है, जिससे यह ग्लैंड सूज जाते है। यह गर्दन में सिर के पीछे, कमर में और आर्मपिट्स में होते है। इनमें किसी तरह की सूजन या बदलाव दिखने पर तुरंत डॉक्टर से जाँच करवाएं।
  • बिना काम किए बिना भी अगर आप थकान महसूस कर रही है और आपके शरीर के हर पार्ट में दर्द हो रहा है तो आप एचआईवी संक्रमित हो सकते है।
  • एचआईवी वायरस के बढ़ने से भूख कम लगने लगती है और पोषक तत्वों के अवशोषण (Absorption) में भी रुकावट आती है। अगर आपका काफी समय में धीरे-धीरे वजन कम हो रहा है तो आप एचआईवी संक्रमित हो सकते है इसलिए ऐसा होने पर तुरंत अपनी जाँच करवाएं।
  • अगर आपको पेट की समस्या अक्सर होती रहती है और आपको उल्टी जैसा महसूस होता है तो इसे हल्के में ना लें। ऐसा होने पर जाँच करवाना जरूरी है, ताकि पता चले कि आपको जो समस्या है वो साधारण है या नहीं।

एड्स का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment of AIDS):

  • रक्‍तमोक्षण (दूषित रक्‍त को शरीर से निकालने की विधि)
    • रक्‍तमोक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर के विशिष्‍ट भाग का चयन (Selection of Specific Part) कर दूषित खून को शरीर से बाहर निकाला जाता है। शरीर के किस भाग से दूषित खून को बाहर निकालना है ये क्षतिग्रस्‍त हुए फॉल्ट पर निर्भर करता है।
    • तुरंत परिणाम पाने के लिए रक्‍तमोक्षण का प्रयोग किया जाता है। पित्त (Bile) संबंधित विकार जैसे सिरदर्द, त्‍वचा, लिवर, गठिया और हाई बीपी जैसे रोगों के इलाज में तुरंत परिणाम पाने के लिए रक्‍तमोक्षण प्रक्रिया का प्रयोग किया जा सकता है।
    • रसायन (ऊर्जा देना)
    • रसायन प्रक्रिया के इलाज में ऊर्जा देने वाली जड़ी-बूटियों और टॉनिक से व्‍यक्‍ति की सेहत में सुधार लाने की कोशिश की जाती है। एचआईवी/एड्स के इलाज में आहार रसायन (Food Chemicals) और द्रव्‍य रसायन (Liquid Chemicals) का प्रयोग किया जाता है।
    • आचार रसायन (Ethics) में एचआईवी/एड्स से ग्रस्‍त मरीज़ के जीवन जीने के तरीके को बेहतर करना शामिल है। यह व्‍यक्‍ति को आध्यात्मिक और मानसिक रूप से स्‍वस्‍थ होने में मदद करता है। इसके अलावा यह तनाव और बेचैनी से भी राहत दिलाता है। तनाव का स्‍तर बढ़ने के कारण होने वाली बीमारियों को इससे रोका जा सकता है।
    • द्रव्‍य रसायन (Liquid Chemicals) प्रक्रिया में प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) की क्रिया को बेहतर करने के लिए मरीज़ को एकल जडी-बूटी, हर्बो-मिनरल या पॉलीहर्बल (कई जड़ी-बूटियों का मिश्रण) को मिलाकर दिया जाता है। इस उपचार में आधुनिक औषधि के सिद्धांत पर ध्यान दिया जाता है। जिसमें स्‍वस्‍थ आहार के साथ उचित पोषण, स्‍वस्‍थ जीवनशैली और मनोवैज्ञानिक परामर्श शामिल है। प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को पहुँचने वाली क्षति को ठीक करने के लिए इनकी जरूरत पड़ती है।
    • आहार रसायन में मरीज को ऐसे खाद्य पदार्थ दिए जाते है जो ऊर्जा देने वाली प्रकृति से संबंधित होते है जैसे दूध आदि।

एचआईवी-एड्स की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी और औषधि:

  • आमलकी:
    • एचआईवी-एड्स के साथ-साथ कई रोगों के इलाज में आमलकी (आंवले) की पौधे का फल रयासन (Chemical) के रूप में इस्‍तेमाल किया जाता है।
    • आंवले में विटामिन-सी अच्छी मात्रा में होता है और इसमें जीवाणुरोधी (Antibacterial), ऑक्‍सीकरणरोधी (Anti-Oxidation) और सूजनरोधी (Anti-Inflammatory) गुण मौजूद होते है। आंवले का सेवन करने से बैक्टीरियल संक्रमण और सूजन का खतरा कम हो जाता है और एचआईवी-एड्स के मरीजों में यह बीमारियों को रोकने में मदद करती है।
    • आंवले सेहत को अच्छी करके आयु बढ़ाती है और जीवन के स्‍तर को बेहतर करती है। आंवले के इम्‍यूनोमोड्यूलेट्री (इम्‍यून सिस्‍टम के कार्य को बेहतर करने वाला रयासनिक घटक(Natural Component)) प्रभाव के कारण शरीर की संक्रमण रोकने की क्षमता बढ़ जाती है साथ ही यह फेफड़ों में सूजन से भी मरीज को राहत दिलाता है। आमलकी (आंवला) एड्स के साथ टीबी के मरीज़ों को राहत दिलाने में भी मदद करता है।
    • पाउडर या काढ़ा डॉक्टर के निर्देश के अनुसार आमलकी ले सकते है।
  • अश्‍वगंधा
    • अश्वगंधा में इम्‍यूनोमोड्यूलेट्री, ऑक्‍सीकरणरोधी, एडेप्‍टोजेनिक (सबसे अधिक असरकारी जड़ी-बूटी) और सूजनरोधी गुण मौजूद होते है जो शरीर में सूजन की प्रक्रिया को रोकने में मदद करते है।
    • अश्‍वगंधा को डिप्रेशन और तनाव से राहत दिलाने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा तनावरोधी (Anti-Stress) गुण के कारण यह मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को भी मजबूत करती है। अश्‍वगंधा खासतौर पर कमजोर इम्‍युनिटी वाले लोगों की संक्रमण से सुरक्षा करने के लिए जानी जाती है। इसलिए अश्‍वगंधा की मदद से एचआईवी-एड्स के मरीज स्‍वस्‍थ और तनाव रहित जीवन जी सकते है।
    • थकान, ग्रंथियों में सूजन, पैरालिसिस जैसी बीमारियों के इलाज में भी अश्‍वगंधा का प्रयोग किया जाता है। पाउडर, काढ़े के रूप में तेल या घी के साथ इसे मिलाकर या डॉक्‍टर के निर्देश के अनुसार अश्‍वगंधा का सेवन कर सकते है।
  • यस्थिमधु (मुलेठी)
    • यस्थिमधु या मुलेठी में उपस्थित इम्‍यूनोमोड्यूलेट्री और इम्‍युनो-स्टिमुलेंट (इम्‍यून सिस्‍टम को उत्तेजित करने वाली दवा या पोषक) गुण के कारण यह एचआईवी संक्रमण और एड्स की बीमारी का प्रबंधन करने में मदद करती है। यस्थिमधु विशेष रूप से एचआईवी को रोकने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है।
    • इसके अलावा यस्थिमधु गले में खराश, मांसपेशियों में ऐंठन, सूजन, दुर्बलता और अल्सर के इलाज में भी मदद करती है। इम्‍यूनोमोड्यूलेट्री गुणों के साथ-साथ यस्थिमधु में कफ निकालने वाले, श्‍लेष्‍मा झिल्‍ली (Mucus Membrane) को आराम और नींद लाने वाले, ऊर्जा और कब्ज आदि से राहत दिलाने वाले गुण भी मौजूद होते है।
    • पानी या दूध में यस्थिमधु का काढ़ा बनाकर या इसे घी के साथ मिलाकर, पाउडर या डॉक्‍टर के निर्देशों के अनुसार यस्थिमधु का सेवन कर सकते है।

अस्वीकरण: सलाह सहित इस लेख में सामान्य जानकारी दी गई है। अधिक जानकारी के लिए आज ही अपने फोन में आयु ऐपडाउनलोड कर घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श करें। स्वास्थ संबंधी जानकारी के लिए आप हमारे हेल्पलाइन नंबर 781-681-11-11 पर कॉल करके भी अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। आयु ऐप हमेशा आपके बेहतर स्वास्थ के लिए कार्यरत है। 

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