Covid-19 महामारी से बढ़ सकते हैं HIV, टीबी और मलेरिया के मामले-शोध
HIV/TB and malaria: HIV,टी.बी और मलेरिया जैसी बीमारी के मरीज़ों की सख्यां में इज़ाफा होने की संभावना है। शोधकर्ताओं का दावा है कि कुछ क्षेत्रों में एचआईवी, टीबी और मलेरिया (HIV/TB and malaria) से संबंधित मौतों में कोविड -19 महामारी के कारण पांच वर्षों में क्रमशः 10, 20 और 36% तक की वृद्धि देखी जा सकती है।
कोरोना महामारी से कम आय वाले देशों में एचआईवी, टीबी और मलेरिया के मरीज़ों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया। अध्ययन में सामने आया कि अगर स्वास्थ सेवाओं में बाधा आती है तो एचआईवी,टी.बी और मलेरिया के मामलों और मौतों में जबरदस्त वृद्धि हो सकती है। दुनिया में अब तक जितनी में मौतें हुई हैं उनमें दो सबसे कॉमन बातें देखने को मिली हैं। पहला, ज्यादा उम्र और दूसरा कोमोबिडिटीज।
कोविड-19 से मलेरिया नियंत्रण पर प्रभाव
- आने वाले हफ्तों और महीनों में उप-सहारा अफ्रीका में स्वास्थ्य प्रणाली के गंभीर रुप से बाधित होने की संभावना।
- 2018 के आंकड़ों के अनुसार इस क्षेत्र में 90 प्रतिशत मलेरिया से मौत होती है।
- कोरोना महामारी के चलते मलेरिया किटनाशकों का वितरण बाधित
- स्वास्थ्य सेवाओं को समझने के लिए COVID-19 और मलेरिया ट्रांसमिशन मॉडल का उपयोग
- कोविड-19 से मलेरिया-नियंत्रण गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।
- परिणामस्वरुप गंभीर रुप से मलेरिया महामारी का सामना करना पड़ेगा।
नियमित रोकथाम रणनीतियों को प्राथमिकता देना
रिपोर्ट से पता चलता है कि लंबे समय से चली आ रही इस बीमारी के जोखिम को कम करने के लिए इसके उपचार के तरीकों को बेहतर करने पर ध्यान देना चाहिए।
- मलेरिया की रोकथाम के लिए अन्य स्वास्थ गतिविधियाँ जारी रखी जानी चाहिए।
- जहां संभव हो सके, एंटीमैरल उपचार के लिए लोगों तक बुनियादी पहुंच को सुनिश्चित करें।
इंपीरियल में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉ थॉमस चर्चर ने कहा-“COVID-19 मलेरिया के बोझ को काफी हद तक बढ़ा देगा, जब तक कि नियमित निवारक रणनीतियों को प्राथमिकता नहीं दी जाती। इस वर्ष के लिए योजनाबद्ध तरीके से बेड नेट डिस्ट्रीब्यूशन की आवश्यकता है ताकि कोविड-19 को भयंकर रुप से फैले जाने से पहले रोका जा सके। इस विश्लेषण को विश्व स्वास्थ संगठन ने भी मान्यता दी है।
HIV और टीबी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण रणनीति
HIV पर सबसे बड़ा प्रभाव एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (antiretroviral therapy) यानि की एआरटी की आपूर्ति में रुकावट आने से पड़ेगा। क्योंकि एचआईवी मरीज़ को इन दवाओं के नियमित सेवन की आवश्यकता हो सकती है। अगर इसमें किसी तरह की रुकावट आती है तो आने वाले पांच सालों में एचआईवी से मौतों की संख्या में 10 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
इंपीरियल में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से डॉ. ब्रिटा ज्वेल ने कहा: “एचआईवी कार्यक्रमों के लिए, वर्तमान में एचआईवी मरीज़ों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहल एंटीरेट्रोवायरल उपचार बनाए रखना चाहिए।यदि दवा की आपूर्ति में कमी आती है तो एचआईवी एड्स से मरने वालों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि देखी जा सकती है।”
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