HIV/AIDS : एड्स क्या है ? एड्स कैसे फैलता है ? एड्स से संबंधित भ्रांतियाँ ?
What is HIV/AIDS: एड्स का मतलब है Acquired Immune Deficiency syndrome। एड्स HIV Human immunodeficiency virus से होता है जो कि मानव की प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है।
एचआईवी शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता पर आक्रमण करता है। जिसका काम शरीर को संक्रामक बीमारियों, से बचाना होता है। यह पदार्थ मानव को जीवाणु और विषाणु जनित बीमारियों से बचाते है और शरीर की रक्षा करते है।
जब एच.आई.वी. द्वारा आक्रमण करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षय होने लगती है इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स पीड़ित लोग भयानक बीमारियों क्षय रोग और कैंसर आदि से पीड़ित हो जाते है और शरीर को कई संक्रमण यानि आम सर्दी जुकाम इत्यादि घेर लेते है। जब क्षय और कर्क रोग शरीर को घेर लेते है तो उनका इलाज करना कठिन हो जाता है और मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
एड्स कैसे फैलता है ?
अगर एक सामान्य व्यक्ति एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के वीर्य, योनि स्राव अथवा रक्त के संपर्क में आता है तो उसे एड्स हो सकता है। आमतौर पर लोग एच.आई.वी. पॉजिटिव होने को एड्स समझ लेते है, जो कि गलत है। बल्कि एचआईवी पॉजिटिव होने के 8-10 साल के अंदर जब संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है। तब उसे घातक रोग घेर लेते हैं और इस स्थिति को एड्स कहते है।
यह चार तरीके से हो सकता है। यह चार माध्यम है।
- पीड़ित व्यक्ति के साथ किसी भी तरह के संबंधित स्थापित करने से।
- दूषित रक्त से।
- संक्रमित सुई के उपयोग से।
- एड्स संक्रमित माँ से उसके होने वाली संतान को।
एड्स के लक्षण:
एच.आई.वी से संक्रमित लोगों में लंबे समय तक एड्स के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। लंबे समय तक एच.आई.वी का भी पता नहीं लग पाता। अधिकतर एड्स के मरीजों को सर्दी, जुकाम या विषाणु बुखार हो जाता है पर इससे एड्स होने का पता नहीं लगाया जा सकता। एचआईवी वायरस का संक्रमण होने के बाद उसका शरीर में धीरे-धीरे फैलना शुरु होता है। जब वायरस का संक्रमण शरीर में अधिक हो जाता है, उस समय बीमारी के लक्षण दिखाई देते है। एड्स के लक्षण दिखने में आठ से दस साल का समय भी लग सकता है। ऐसे व्यक्ति को, जिसके शरीर में एच.आई.वी वायरस हो पर एड्स के लक्षण प्रकट ना हुए हों, उन्हें एच.आई.वी पॉजिटिव कहा जाता है।
एड्स के कुछ प्रारंभिक लक्षण:
- वजन का काफी हद तक कम हो जाना
- लगातार खांसी बने रहना
- बार-बार जुकाम का होना
- बुखार
- सिरदर्द
- थकान
- शरीर पर निशान बनना (फंगल इन्फेक्शन के कारण)
- हैजा
- भोजन से अरुचि
एड्स से जुडी भ्रांतियाँ:
बहुत सारे लोग समझते है कि एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ खाने, पीने, उठने, बैठने से हो जाता है जो कि गलत है। यह समाज में एड्स के बारे में फैली हुई भ्रांतियां है। सच तो यह है कि रोजमर्रा के सामाजिक संपर्कों से एच.आई.वी. नहीं फैलता।
- पीड़ित के साथ खाने-पीने से
- बर्तनों की साझीदारी से
- हाथ मिलाने या गले मिलने से
- एक ही टॉयलेट का प्रयोग करने से
- मच्छर या अन्य कीड़ों के काटने से
- खांसी या छींकों से
एड्स का उपचार क्या है ?
एड्स के उपचार में एंटी रेट्रोवाईरल थेरपी दवाईयों का उपयोग किया जाता है। इन दवाइयों का मुख्य उद्देश्य एच.आई.वी. के प्रभाव को कम करना, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और रोगों को ठीक करना होता है। समय के साथ-साथ वैज्ञानिक एड्स की नई-नई दवाइयों की खोज कर रहे है। लेकिन सच कहा जाए तो एड्स से बचाव ही एड्स का बेहतर इलाज है। अभी तक एड्स की कोई दवाई खोजी नहीं गई है। इससे बचाव ही कर सकते है।
एड्स से बचाव:
- पीड़ित साथी या व्यक्ति के साथ योनि सम्बन्ध स्थापित नहीं करना चाहिए, अगर कर रहे हों तो सावधानीपूर्वक कंडोम का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन कंडोम इस्तेमाल करने में भी कंडोम के फटने का खतरा रहता है।
- खून को अच्छी तरह जांच कर के ही उसे चढ़ाना चाहिए। कई बार बिना जांच के खून मरीज को चढ़ा दिया जाता है जो कि गलत है इसलिए डॉक्टर को खून चढ़ाने से पहले पता करना चाहिए कि कहीं खून एच.आई.वी. दूषित तो नहीं है।
- उपयोग की हुई सुईओं या इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये एच.आई.वी. संक्रमित हो सकते हैं।
- उपयोग की हुई सुईओं या इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये एच.आई.वी. संक्रमित हो सकते हैं।
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