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भगन्दर ( फिस्टुला ) होने के कारण , लक्षण और उपाय

भगन्दर ( फिस्टुला ) होने के कारण , लक्षण और  उपाय

भगन्दर (Fistula) काफी पीड़ादयक बीमारी होता है. भगंदर रोग में मरीज के गुदा के अंदर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाता है. घाव छोटा या बड़ा हो सकता है. जब यह फोड़ा फट जाता है तो इससे खून बहने लगता है. खून बहने के कारण मरीजों को गुदा द्वार के पास असहनीय दर्द होता है. भगंदर के रोगियों को मल त्यागने के समय बहुत अधिक पीड़ा होती है. रोगी को बैठने पर भी तेज दर्द होता है.

भगन्दर की शुरुआत में गुदा मार्ग में छोटी फुंसियां होती हैं, जिसे छूने या बैठने पर हल्का दर्द हो सकता है. कुछ सप्ताह बाद ही इन फुंसियों में मवाद आ जाता है और ये फूट जाती हैं. ऐसे में रोगी को बैठने, लेटने और शौच करने में दर्द का अनुभव होने लगता है. कई बार ये रोग इतना पीड़ाकारी होता है कि रोगी न तो पेट के बल लेट पाता है और न पीठ के बल. इसके अलावा सीढ़ियां चढ़ने और उतरने में भी बहुत तकलीफ होती है.

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भगन्दर का कारण

  • भगन्दर या फिश्टुला का मुख्य कारण गुदा द्वार की ठीक से सफाई न करना है.
  • गंदगी के कारण गुदा द्वार के आस-पास बैक्टीरिया हो जाते हैं, जो भगन्दर का कारण बनते हैं.
  • कई बार गुदा द्वार को ज्यादा खुजला देने या बाल न साफ करने से भी भगन्दर हो जाता है.
  • लंबे समय तक कब्ज की समस्या रहने पर भी ये पीड़ादायक रोग हो सकता है.
  • कई बार गुदामार्ग की चोट भी इस रोग का कारण बन सकती है.
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भगन्दर के लक्षण

  • गुदा के पास फोड़े का निर्माण होना
  • मवाद का हमेशा स्राव होना
  • मल त्याग करते समय बहुत ज्यादा दर्द होना
  • मलद्वार मल निकलते समय खून का स्राव होना
  • मलद्वार के आसपास जलन या खुजली होना
  • मलद्वार के आसपास सूजन होना
  • मलद्वार के आसपास दर्द
  • खूनी या दुर्गंधयुक्त स्राव जो की बहुत ही गन्दा होता है उसका आपके मलद्वार से निकलना

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भगन्दर का उपचार

  • सर्जरी इस रोग के उपचार का एकमात्र उपाय है.
  • भगन्दर की परंपरागत सर्जरी को फिस्टुलेक्टॅमी कहा जाता है.
  • सर्जन इस सर्जरी के जरिये भीतरी मार्ग से लेकर बाहरी मार्ग तक की संपूर्ण फिस्टुला को निकाल देते हैं.
  • इस सर्जरी में आम तौर पर टांके नहीं लगाये जाते हैं और जख्म को धीरे-धीरे और प्राकृतिक तरीके से भरने दिया जाता है.
  • इस उपचार विधि में दर्द होता है और उपचार के असफल होने की संभावना रहती है.

भगन्दर का घरेलू उपाय

नीम की पत्तियां, देसी घी और तिल 5-5 ग्राम की मात्रा में पीस लें और उसमें 20 ग्राम जौ के आटे को मिला लें. अब जरूरत अनुसार पानी मिलाकर लेप बनाएं. इस लेप को सूती कपड़े पर फैलाकर भगन्दर पर बांधें. आपको दर्द से आराम मिलेगा अगर आप नीम की पत्तियों को पीसकर भगन्दर पर लेप करते हैं, तो इससे फोड़ा ठीक हो जाता है.

एक पके केले को बीच में चीरा लगा कर इस में चने के दाने के बराबर कपूर रख ले और इसको खाए, और खाने के एक घंटा पहले और एक घंटा बाद में कुछ भी नहीं खाना होता है. दिन में दो बार ऐसा करने से दर्द से आराम मिलता है.

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