Diwali 2020: स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए सेहतमंद है eco-friendly Diwali, ऐसे करें सेलिब्रेट
eco-friendly Diwali: दिवाली पर पर्यावरण की स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। भारत का नंबर 1 हेल्थ केयर नेटवर्क मेड्कॉर्ड्स आप सभी देशवासियों से इको फ्रैंडली (eco friendly Diwali) दिवाली मनाकर पर्यावरण को बेहतर बनाए रखने की अपील करता है।
हमारे आस-पास का वातावरण स्वच्छ रहेगा तो ही हम देशवासी अच्छी सांस ले पाएंगे। इस दिवाली ‘लोकल फोर वोकल’ को सपोर्ट करें और दिवाली पर मिट्टी के दीए ही जलाएं।
अगर इस समय छोटी-मोटी स्वास्थ्य समास्या होने पर ‘आयु ऐप ‘ डाउनलोड कर घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें और दवाईयाँ भी घर पर ही मंगवा सकते हैं।
“दिवाली पर मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाएं। पर्यावरण स्वच्छ तो आप भी रहेंगे स्वस्थ। “
” This Diwali, use soil lamps to protect the environment from pollution. You will also be healthy if the environment is clean. “
Health Tip for Aayu App
1. मिट्टी के दीए जलाकर मनाएं इको-फ्रैंडली दिवाली (eco-friendly Diwali-2020)
दिवाली दीपों का त्योहार है। इसमें लोग पटाखों और दीयों की रोशनी से पूरे घर को जगमगाते हैं और अपनी खुशियों को बांटते हैं हालांकि इस त्योहार को मनाते हुए हमें पर्यावरण (Environment) का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए।
इसलिए eco-friendly diwali मनाएं। हर साल दीवाली पर पटाखे, केमिकल युक्त चीजें, प्लास्टिक (Plastic) आदि का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है।
इस दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) का स्तर बढ़ जाता है इसलिए पर्यावरण और सेहत (Health) को ध्यान में रखते हुए हमें प्रदूषण मुक्त दिवाली मनानी चाहिए। हमें पर्यावरण के अनुकूल या ईको-फ्रेंडली दिवाली (Eco-Friendly Diwali) मनानी चाहिए।
ईको-फ्रेंडली दिवाली (Eco-Friendly Diwali) के लिए क्या करें:
- मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करें
- ईको फ्रैंडली मूर्तियों को लेकर घर आए
- इको फ्रेंडली मोमबत्तियों का इस्तेमाल करें
- प्लास्टिक के फूलों की जगह प्राकृतिक चीज़ों को तरज़ीह दें
- केमिकल वाले रंगों की जगह गेरू और कली का इस्तेमाल करें
दिवाली में मिट्टी के दीयों का प्रयोग करके घर को रोशन करें। आपके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मिट्टी के दीयों से ना सिर्फ पर्यावरण के नुकसान होने से बचाव होता है, बल्कि कुम्हार और छोटे व्यापारियों को आर्थिक मदद भी मिलती है। साथ ही मिट्टी के दीयों के प्रयोग से बिजली की भी बचत होगी।
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हमें पूजा करने के लिए ईको-फ्रेंडली मूर्तियों का प्रयोग करना चाहिए।
तेज धमाके और अत्यधिक धुएं वाले पटाखों का इस्तेमाल ना करें। इससे ध्वनि प्रदूषण और वायुमंडल में धुएं फैल जाते है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होते है।
दिवाली में घर में रंगोली बनाना शुभ माना जाता है, इसलिए लगभग भारत के हर घर में रंगोली बनाई जाती है। रंगोली बनाने के लिए कई तरह के रंगों का प्रयोग किया जाता है। इसलिए दिवाली में केमिकल वाले रंगों की जगह प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें।
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अस्वीकरण- सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए अभी डाउनलोड करें ‘आयु ऐप’ और घर बैठे डॉक्टर से परामर्श लें।