Diarrhoea | डायरिया – कैसे बचाएं बच्चों को इस दबे पैर आते खतरे से
डायरिया (Diarrhoea) बच्चों में एक दबे पैर आने वाला खतरा है जो एक गंभीर समस्या है। दुनिया भर में प्रतिवर्ष लगभग 17 करोड़ बच्चे इससे प्रभावित होते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का दूसरा प्रमुख कारण डायरिया (Diarrhoea) है। प्रत्येक वर्ष पांच वर्ष से कम आयु के 5, 25, 000 बच्चे इस बीमारी के वजह से दम तोड़ देते हैं।
पांच साल से कम उम्र के बच्चों में डायरिया (Diarrhoea) कुपोषण का एक प्रमुख कारण है। साफ़ जीवनशैली, सुरक्षित पानी के माध्यम से डायरिया रोग को रोका जा सकता है।
आइये जानते हैं कि जानी-मानी चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. नीता जिंदल क्या कहती हैं इसके इलाज के बारे में।
डायरिया या दस्त क्या है और कब है ये परेशानी की वजह? (What is Diarrhoea?)
यदि एक महीने से अधिक आयु का शिशु माँ के दूध के बाद 8-10 बार दस्त जाये तो वो परेशानी की बात नहीं है। लेकिन अगर संख्या 15 से 20 बार हो जाये तो ये परेशानी का सबब बन सकता है। इसी प्रकार 6 महीने या अधिक आयु का बच्चा 7-8 बार दस्त जाए तो ये डायरिया या दस्त की श्रेणी में आता है।
गौर करने वाली है की अगर दस्त के साथ शिशु को पेशाब सही से नहीं आ रहा तो आपको इस पर ध्यान देना चाहिए व तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
5 वर्ष तक के बच्चों में खासतौर पर डायरिया (Diarrhoea) या दस्त एक गंभीर अवस्था है जिससे बच्चे की जान भी जा सकती है। अतः घरेलु इलाज पर निर्भर ना रहें व विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लें।
डायरिया या दस्त के कारण (Causes of Diarrhoea):
- डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं की 6 महीने से कम आयु के बच्चों को कभी भी ऊपर का दूध ना पिलाएं उन्हें सिर्फ माँ का दूध दें। माँ का दूध बच्चों को डायरिया (Diarrhoea) या दस्त के साथ ही कई अन्य बीमारियों जैसे निमोनिया, कानों में संक्रमण आदि परेशानियों से बचाता है। यह डायरिया या दस्त जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है इसलिए उन्हें बोतल का दूध ना पिलाएं।
- संक्रमित दूषित भोजन और पानी से
- गंदगी के संपर्क में आने से
- बैक्टीरिया या जीवाणुओं से (जैसे साल्मोनेला और ई. कोली)
- वायरस (जैसे नोरोवायरस या रोटावायरस)
- परजीवी (जैसे गिअर्डिया इंटैस्टिनलिस)
डायरिया या दस्त के लक्षण (Symptoms of Diarrhoea):
A) 6 महीने से कम आयु के बच्चों में:
6 महीने से कम आयु के बच्चों को माँ का दूध पीने पर 10-12 बार दस्त आना स्वाभाविक है किन्तु यदि
तो समझ लीजिये की बच्चे डायरिया (Diarrhoea) या दस्त का शिकार है। साथ ही देखें की बच्चे के सिर के बीच में गड्ढा गहरा व कटोरी जैसा हो ना हो गया हो।
B) 6 महीने से अधिक आयु के बच्चों में:
- डायरिया या दस्त के लक्षण:
- ठीक से खाना नहीं खाना
- उल्टी होना
- पेशाब नहीं आना
- मल में खून आना
- बच्चा रो रहा हो
दस्त से बचाव (Prevention from Diarrhoea):
- 6 महीने तक के बच्चे को सिर्फ माँ का दूध पिलाएं जिसे एक्सक्लूसिव ब्रैस्ट फीडिंग कहते हैं
- 6 महीने तक के बच्चे को पानी तक ना पिलायें
- माँ एक अच्छी ख़ुराक ले जिससे बच्चे को सही पोषण मिले
- 6 महीने से अधिक आयु के बच्चो को मसला हुआ चावल, मसले हुए फल व सब्जी खिलाये जो साफ़ हाथ से मसला हुआ हो
- साफ़-सफ़ाई (Hygeine) का पूरा ध्यान रखें
- 6 महीने से कम आयु के बच्चे को रोटा वायरस वेक्सिन ज़रूर दिलवाएं (यह शिशु को 6 हफ्ते, 10 हफ्ते व 14 हफ्ते में दिलवाएं)
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दस्त का इलाज (Treatment of Diarrhoea):
मेडकॉर्ड्स (Medcords) विशेषज्ञ के अनुसार दस्त (Diarrhoea) के इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाने पर डॉक्टर सबसे पहले बच्चे के निर्जलीकरण (Dehydration) के स्तर की जांच करता है। इस स्थिति में सबसे पहले बच्चे को:
- डब्ल्यू. एच. ओ का ओ. आर. एस. (ORS) का घोल दें (इसे आप डॉक्टरी सलाह के बिना भी लक्षण के आधार पर घर पर ही देना शुरू सकते हैं)
- ओ. आर. एस. (ORS) का घोल पैकेट पर सुझाए अनुसार मात्रा में ही दें, उसे एक चम्मच एक गिलास में ना दें
- कुछ जांचें जैसे नमक, पोटेशियम की मात्रा की जांच कराएं
- बच्चे को पानी पिलाएं (मुंह से पानी ना लेने की स्थिति में कैनुला लगा कर पानी की कमी की पूर्ती की जाती है)
- डॉक्टर द्वारा लिखी जिंक की दवाई दें
- बहुत कम बच्चों को एंटीबायोटिक देने की ज़रूरत पड़ती है (यदि मल में खून आ रहा है तो)
- कुपोषित बच्चो में डायरिया के इलाज के लिए विटामिन-ए भी दिया जाता है (विटामिन-ए बच्चो को आँखों के रोग रतौंधी से भी बचाता है)
- दस्त या डायरिया के समय आँतों की झिल्ली जिसे म्युकोसल मेम्ब्रेन कहते हैं, कमज़ोर हो जाती है जिसके लिए विटामिन-ए दिया जाता है
- संतुलिन आहार दें
- सही मात्रा में आयरन, कैल्शियम, विटामिन आदि पोषक तत्त्व दें
क्यूँ है ख़तरनाक दस्त (Why is the Diarrhoea dangerous)?
- पानी की कमी से बच्चे की जान को खतरा हो सकता है
- डायरिया (Diarrhoea) होने से बच्चे का पेट फूलने पर उसकी आंतें उलझ सकती है
- दस्त या डायरिया में इन्फेक्शन बढ़ने से दिमागी बुखार भी हो सकता हैं
- बच्चों में दौरे आना भी शुरू हो सकते हैं
इस गंभीर समस्याओं से बचने के लिए तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें व इलाज में देरी ना करें।
जानें दस्त या डायरिया के लिए घरेलु उपाय (Home Remedies for Diarrhoea):
- ओ.आर.एस. का पानी पिलाएं
- बच्चों की साफ़-सफ़ाई पर ध्यान दें
- उचित आहार दें
- समय पर टीकाकरण करवाएं
- समय-समय पर वजन करवाएं
- बच्चो को बोतल से दूध ना पिलाएं
दस्त में क्या खाएं (What to Eat in Diarrhoea):
- 6 महीने तक के बच्चे को सिर्फ माँ का दूध दें
- 6 महीने से अधिक आयु के बच्चों को सभी खिलाये जैसे दूध, दही, दलिया, चावल, केला, खिचड़ी
- खाना केवल घर का बना खिलाएं
- दस्त के डर से बच्चे का खाना बिल्कुल बंद ना करें इससे वो और कमज़ोर हो जायेगा
इस प्रकार आप इन तरीकों से अपने बच्चे को डायरिया या दस्त जैसी सामान्य सी लगने वाली किन्तु गंभीर समस्या से बचा सकते हैं।
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