Delta plus variant in India: भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट ला सकता है कोरोना की तीसरी लहर, जानिए इसके लक्षण
Delta plus variant in India: कोरोना की दूसरी लहर का कहर भले ही कम हो रहा हो लेकिन डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta plus variant) भारत ही नहीं पूरी दुनिया में खौफ का कारण बनता जा रहा है। WHO ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए डेल्टा प्लस वेरिएंट को वायरस ऑफ कंसर्न करार दे दिया है। कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस (Delta plus variant) स्वरूप भारत के अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन और रूस में मिला है।
भारत के अब चार राज्यों में डेल्टा प्लस वैरिएंट मिलने की पुष्टि हो गई है। देश में अब तक मिले 22 में से सबसे अधिक महाराष्ट्र में मिले हैं, जबकि बाकी मध्य प्रदेश, केरल और दिल्ली में मिले हैं।
1. भारत में मिला डेल्टा प्लस वेरिएंट का पहला
देश में डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta plus variant) का पहला मामला भोपालकी एक 65 वर्षीय महिला में मिला था। 23 मई को सैंपल लेने के बाद 16 जून को नेशनल सेंट्रल फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) की रिपोर्ट में कहा गया था कि वह डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta plus variant) से संक्रमित थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में चार लोग इस वेरिएंट से संक्रमित मामले दर्ज हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि चारों को टीका लग चुका था और फिर संक्रमण के बाद उनकी मौत हो गई। वैज्ञानिकों ने इसे ‘डेल्टा प्लस’ ‘एवाई.1’ नाम दिया है।
ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कोरोना का यह घातक रूप तीसरी लहर का कारण बन सकता है। डेल्टा प्लस’ (Delta plus) प्रकार, वायरस के डेल्टा या ‘बी1.617.2’ प्रकार में उत्परिवर्तन होने से बना है जिसकी पहचान पहली बार भारत में हुई थी और यह महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था।
इस जीनोम का सबसे पहला क्रम इस साल मार्च के अंत में यूरोप में पाया गया था। दो म्यूटेशन (Mutation) के बाद डेल्टा का जेनेटिक कोड E484Q और L452R है और इससे हमारा इम्यून सिस्टम (immune system) भी फाइट करने में हार सकता है। यही वजह है कि ये हमारे शरीर के बाकी ऑर्गन्स को भी आसानी से अपनी चपेट में लेता है और गंभीर सिम्टम्स छोड़ता है।
इसके अतिरिक्त जैसा कि नए वेरिएंट स्पाइक प्रोटीन की संरचना यानी स्ट्रक्चर को बदलते हैं, पर डेल्टा वेरिएंट खुद को शरीर के अंदर मौजूद होस्ट सेल्स से जोड़ने में अधिक कुशल है। हेल्थ एक्सपर्ट्स चेतावनी दे चुके हैं कि डेल्टा भारत में तीसरी लहर के रूप में हावी हो सकता है
2. डेल्टा प्लस वेरिएंट के लक्षण (Delta plus variant symptoms)
डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta variant symptoms) के सामान्य लक्षणों में- सूखी खांसी, बुखार और थकान शामिल हैं। इसके गंभीर लक्षणों की बात करें, तो इसमें सीने में दर्द, सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ और बात करने में तकलीफ हो सकती है। साथ ही त्वचा पर चकत्ते, पैर की उंगलियों के रंग में बदलाव होना, गले में खराश, स्वाद और गंध की हानि, दस्त और सिरदर्द भी डेल्टा प्लस वेरिएंट के लक्षणों में शामिल हैं ।
3. बरतें ज्यादा सावधानी क्योंकि सुपर स्प्रेडर है डेल्टा पल्स वैरिएंट (Super spreader Delta plus variant)
कोरोना के अभी तक जितने भी वेरिएंट आए हैं, डेल्टा उनमें सबसे तेज़ी से फैल रहा है. हालांकि, अल्फा वेरिएंट भी काफी संक्रामक है, लेकिन डेल्टा इससे 60 प्रतिशत ज़्यादा संक्रामक है। डेल्टा से मिलते-जुलते कप्पा वेरिएंट (Kppa variant) भी वैक्सीन को चकमा देने में कामयाब देखा गया है, लेकिन फिर भी यह बहुत अधिक नहीं फैला, जबकि डेल्टा वेरिएंट सुपर-स्प्रेडर (Super spreader Delta plus variant )साबित हो रहा है।
4. क्या भारतीय टीके डेल्टा पल्स वैरिएंट का कर पाएंगे सामना ? (Is Delta plus variant dangerous?)
मोटे तौर पर, दोनों भारतीय टीके कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) डेल्टा पल्स वैरिएंट (Delta plus variant) के खिलाफ प्रभावी हैं, लेकिन वे किस हद तक और किस अनुपात में एंटीबॉडी बना पाते हैं,इसको लेकर अभी तक कोई मजबूत दावा सामने नहीं आया है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बात का अंदेशा है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट इम्यूनिटी (Delta plus variant) और वैक्सीन के साथ-साथ पहले के इन्फेक्शन से विकसित इम्युनिटी को भी धोखा दे सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि डेल्टा प्लस में वो सारे लक्षण हैं जो ओरिजिनल डेल्टा वैरिएंट में थे लेकिन इसके अलावा K417N नाम का म्यूटेशन जो दक्षिण अफ्रीका में बीटा वैरिएंट में पाया गया था उससे भी इसके लक्षण मिलते हैं।
वहीं विशेषज्ञ चिकित्सकों का भी कहना है कि हमें यह अच्छे से पता है कि वैक्सीन का असर बीटा वैरिएंट पर कम है। बीटा वैरिएंट वैक्सीन (Beta variant vaccine) को चकमा देने में अल्फा और डेल्टा वेरिएंट (Alpha and Delta variant) से भी ज्यादा तेज है। यह तथ्य भी है कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की खेप वापस कर दी थी उनका कहना था कि यह वैक्सीन वहां वायरस के वेरिएंट के खिलाफ कारगर नहीं थी ऐसे में लोगों को कोविड गाइडलाइन की पालना जारी रखनी चाहिए और भीड़ तथा पार्टियों से बचना चाहिए। वहीं टीकाकरण की मात्रा बढ़ानी होगी।
डिस्क्लेमर
इस लेख में डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta plus variant) के बारे में जानकारी दी गई है। उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आप किसी अन्य हेल्थ टॉपिक पर जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए घर बैठे आयु ऐप पर विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें और दवाईयां मंगवाएं। आयु ऐप डाउनलोड करें।
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