Corona Brief News: कोविड टेस्ट का नया तरीका, 4 पैरों वाला रोबोट 6 फीट से करेगा corona test
Corona test new technique: कोविड-19 टेस्ट (Covid-19 test) अब नए तरीके से होगा जिसमें टेस्ट के दौरान किसी अन्य व्यक्ति के संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा। इस कोविड टेस्ट (Covid test) में मरीज का टेम्प्रेचर, पल्स रेट और ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल पता लगता है।
1. कोविड टेस्ट (Covid test) में कम होगा वायरस का खतरा
अमेरिका के मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रिसर्चर्स ने कोरोनावायरस (Coronavirus) की जाँच के लिए 4 पैरों वाले रोबोट का निर्माण किया है, जो कोरोना पीड़ित (Corona patient) का 6 फीट की दूरी से कोविड-19 टेस्ट (Covid-19 Test) करेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड टेस्ट के लिए तैयार इस रोबोट के चेहरे पर टैबलेट लगा है इसके जरिए डॉक्टर मरीज़ों से बात करते हैं। रोबोट का एक व्यक्ति दूर बैठकर ऑपरेट करता है। यह मरीज का पल्स रेट, तापमान (Temperature) को 6 फीट दूरी से ही नाप सकता है। मरीज की जांच करने के लिए इसमें चार अलग-अलग हिस्सों पर कैमरा लगाया गया है।
बतादें, रोबोट में लगाया गया इंफ्रा कैमरा मरीज का तापमान, ब्रीथिंग रेट चेक करता है। मरीज के मास्क लगाने के बावजूद यह जांच करने में समर्थ है। इसके अलावा तीन अन्य कैमरे पल्स रेट, ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल जांचते हैं।
2. ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन का ट्रायल लेने वाले जैकब पहले अमेरिकी
कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए दुनिया के कई देश वैक्सीन का निर्माण कर रहे हैं, इनमें से कई वैक्सीन तीसरे फेज में पहुँच चुकी हैं। अमेरिका में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कम्पनी एस्ट्राजेनेका मिलकर वैक्सीन (AZD1222) के तीसरे चरण का ट्रायल कर रहे हैं।
जैकब सेरेनो, ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन के तीसरे ट्रायल में वैक्सीन लेने वाले पहले अमेरिकी हैं। जैकब बताते हैं कि कोरोना की वजह से उन्होंने अपने परिवार के 7 सदस्यों को खोया है, अब लोगों की जान बचाने के लिए जैकब सेरेनो वैक्सीन का ट्रायल लेने आगे आए हैं।
वैक्सीन AZD1222 के ट्रायल प्रोग्राम की देखरेख करने वाले डॉ. लैरी बुश के मुताबिक, पिछले दो ट्रायल में वैक्सीन असरदार साबित हुई है, वॉलंटियर्स में इम्यून रेस्पॉन्स बेहतर रहा है।
मात्र 23 साल की उम्र के जैकब सेरेनो ऐसे अमेरिकी हैं जिन्हें वैक्सीन के फाइनल स्टेज की टेस्टिंग में पहली डोज दी गई है। तीसरे और अंतिम चरण के ट्रायल में इनके अलावा 31 दूसरे वॉलंटियर्स भी शामिल हैं।
3. अमेरिकी में 1 नवंबर से मिलेगी COVID-19 वैक्सीन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के मुताबिक, अमेरिकी राज्यों में 1 नवंबर से Covid-19 वैक्सीन मिलनी शुरु हो जाएगी। वितरण व्यवस्था को लेकर अनुमतियां हासिल करने में लगने वाला सामान्य समय इस सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की सफलता के रास्ते में बाधा खड़ा कर सकता है।
सेंटर फॉर डिसिस कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने 27 अगस्त को राज्यों को भेजे पत्र में कहा, “वितरण व्यवस्था को लेकर अनुमतियां हासिल करने में लगने वाला सामान्य समय इस सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की सफलता के रास्ते में बाधा खड़ा कर सकता है।
” उन्होंने कहा कि सीडीसी (CDC) इन वितरण सुविधाओं के लिए आवेदन में तेजी लाने के ख़ातिर आपसे मदद की आग्रह करता है। रेडफील्ड ने राज्यों से कहा कि इन वितरण इकाइयों को एक नवंबर 2020 तक पूरी तरह से परिचालन में लाया जाना है। इसे देखते हुए राज्यों को ऐसे नियमों या शर्तों को हटाने पर विचार करना चाहिए, जो इसके रास्ते में बाधा बने।
4. Covid-19 के कारण जापान में किस तरह से बच रही हैं जानें?
कोरोना वायरस के कारण दुनिया में लॉकडाउन और उससे पैदा हुई परिस्थितियों से बढ़ता तनाव खतरनाक रहा है, लेकिन एक और जहां दुनिया में तनाव बढ़ रहा है वहीं जापान में जापान में इसका अलग असर हो रहा है। यहां खुदकुशी की दर में गिरावट (suicide rate in Japan has fallen in the pandemic) आई है।
- इसपर टोक्यो मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूट के रिसर्चर शोहेई ओकामोटो ने एक रिसर्च की, जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं। साइंस जर्नल medRxiv.org में छपी इस स्टडी के मुताबिक कोरोना का जापान की मानसिक सेहत पर अच्छा असर हुआ है।
- अध्ययन के मुताबिक, इसकी सबसे बड़ी वजह है कि काम के घंटों का कम होना। हिरोशिमा-नागासाकी (hiroshima-nagasaki Attack )झेल चुके और लगातार बाढ़ या भूकंप जैसी आपदाएं (Disaster) झेलते आए जापान के लोगों में काम की आदत एडिक्शन बन चुकी है। वे दिन के औसतन 16 घंटे काम करते हैं।
- कोरोना (Corona) के दौरान कंपनियों ने अच्छा कदम उठाते हुए उनके काम के घंटे जबरन कम कर दिए। वर्क आर्स (Work hours) में लगभग 20 प्रतिशत कटौती की गई ताकि कर्मचारी परिवार के साथ वक्त बिताएं।
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