Corona Brief News: बेअसर हो रही हैं कोविड एंटीबॉडी, चार तकनीकों पर हो रहा है परीक्षण

Covid-19 एंटीबॉडी के बेहतर परिणाम को लेकर जहां सरकारें और लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं, इसी बीच एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एंटीबॉडी स्तर तेज़ी से कम हुआ है। दूसरी तरफ, कोविड की तीव्र जांच के लिए चार तकनीकों पर काम चल रहा है। जिसमें भारत और इजरायल दोनों साथ मिलकर काम कर रहे है। कोविड परीक्षण की चार अलग-अलग तकनीकों में एक खास तरह की खूबी है।
1..तेज़ी से बेअसर हो रही हैं कोविड एंटीबॉडी, इम्युनिटी आखिर कितनी देर की?
Covid-19 एंटीबॉडी के बेहतर परिणाम को लेकर जहां सरकारें और लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं, इसी बीच एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एंटीबॉडी स्तर तेज़ी से कम हुआ है एंटीबॉडीज़ का यह नुकसान कोरोना वायरस के पिछले वर्जन SARS की तुलना में ज़्यादा तेज़ी से हुआ।

दरअसल, न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में एक रिसर्च के हवाले से कहा गया कि कोविड 19 के उन 34 मरीज़ों पर परीक्षण किया गया, जिनमें हल्के लक्षण दिखे थे। इन 34 में से किसी को भी आईसीयू की ज़रूरत नहीं थी, सिर्फ दो को ऑक्सीजन और एचआईवी का इलाज दिया गया था।
साथ ही, इन्हें वेंटिलेटर और रेमडेसिविर की ज़रूरत भी नहीं पड़ी थी। इन मरीज़ों के खून के नमूनों की जांच की गई। इस स्टडी से यह साबित नहीं हुआ है कि एंटीबॉडी संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा देने में कारगर नहीं है।
लंदन के किंग्स कॉलेज के ताज़ा अध्ययन में कहा गया है कि संक्रमण के सिर्फ तीन महीनों बाद ही एंटीबॉडी का स्तर इतना गिर जाता है कि उन्हें ट्रैस कर पाना मुश्किल हो जाता है। हालांकि स्वीडन में शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि जो लोग वायरस की चपेट में आए, वो कम से कम अगले छह महीनों के लिए इम्यून हो गए, भले ही एंटीबॉडी विकसित हुई हो या नहीं।
2..भारत और इजराइल कोविड की तीव्र जांच के लिए चार तकनीकों के लिए कर रहे हैं परीक्षण

कोविड की तीव्र जांच के लिए चार तकनीकों पर काम चल रहा है। जिसमें भारत और इजरायल दोनों साथ मिलकर काम कर रहे है। कोविड परीक्षण की चार अलग-अलग तकनीकों में एक खास तरह की खूबी है। जिसमें लगभग 30 सेकंड में कोविड-19 का पता लगाने की क्षमता है। इसमें एक श्वास विश्लेषक और आवाज़ परीक्षण (वॉयस टेस्ट) शामिल हैं। एक इजराइली बयान में यह जानकारी दी गई है।
इजराइल के रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान और विकास निदेशालय, भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, भारत के सहयोग और इजराइल एवं भारत के विदेश मंत्रालयों के समन्वय से संयुक्त रूप से तीव्र जांच विकसित की जा रही है.
3..महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए ज्यादा घातक कोरोना संक्रमण, ये है वजह
कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर हुए एक सर्वे के मुताबिक, महिलाओं की तुलना में पुरुषों को कोविड-19 के संक्रमण का खतरा अधिक है। कोविड-19 की महामारी मर्दों और औरतों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डाल रही है। मुंबई के सरकारी आंकड़े ये साबित करते हैं कि ये बीमारी लिंग भेद करती है। मुंबई में पुरुष रोगियों की तुलना में महिला रोगियों की संख्या कम है। मरनेवालों में पुरुष ज़्यादा है।

महिलाओं में ज़्यादा इम्यूनिटी, फ़ैक्टर ये है की उनमें एक्स्टर एक्स क्रोमोज़ोम…महिलाओं मे पाया जाने वाला सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन भी इम्यूनिटी को बनाए रखता है। एक्स क्रोमोसोम को भी इम्यूनिटी जीन माना जाता है, जो कि महिलाओं में दो जबकि पुरुषों में सिर्फ एक होता है। कुछ इसी लाइन पर है।”
महिलाओं की तुलना में पुरुषों में बहुत कम उम्र में ही दिल संबंधी और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं और ये किसी भी गंभीर बीमारी की संभावना को और बढ़ा देती हैं. पुरुषों में स्मोकिंग या ई-सिगरेट की ज़्यादा लत भी कोरोना वायरस के संक्रमण को और खतरनाक बनाता है।
4..सीरो-सर्वे का दूसरा चरण शुरू
राजधानी दिल्ली में 1 अगस्त से सीरो सर्वे का अगला चरण आज से शुरु हो गया है। ये अभियान 1 से 5 अगस्त तक चलेगा। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने 22 जुलाई को घोषणा की थी, “पिछले सर्वेक्षण के नतीजों का विश्लेषण करने के बाद यह फैसला किया गया है कि हर महीने ऐसे और सर्वेक्षण कराए जाएंगे ताकि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 की स्थिति से निपटने के लिए बेहतर नीतियाँ बनाई जा सके।

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नतीजों की घोषणा करने के एक दिन बाद जैन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘27 जून से 10 जुलाई तक किए सीरो-सर्वे के नतीजे कल आए और यह दिखाते हैं कि करीब एक चौथाई लोगों में एंटीबॉडीज बन गए जिसका मतलब है कि वे संक्रमित हुए थे और स्वस्थ हो गए. इनमें से ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं था कि वे संक्रमित हो चुके हैं।”
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