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Latest Health Updates: भारत बायोटेक की कोविड -19 वैक्सीन का 26 हजार वॉलंटियर्स पर होगा परिक्षण

Latest Health Updates: भारत बायोटेक की कोविड -19 वैक्सीन का 26 हजार वॉलंटियर्स पर होगा परिक्षण

कोविड-19 वैक्सीन (COVID-19 vaccine) ‘कोवैक्सीन’ (Covaxin) के पहले और दूसरे चरण के परीक्षणों का अंतरिम विश्लेषण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। भारत बायोटेक इस वैक्सीन का निर्माण कर रही है। अब भारत बायोटेक कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे चरण का 26 हजार वॉलंटियर्स पर परीक्षण करेगा। 

1. कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे चरण का परिक्षण

भारत बायोटेक का कहना है कि कोविड-19 वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के पहले और दूसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षणों का अंतरिम विश्लेषण सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद भारत बायोटेक को समूचे भारत में 25 से अधिक केंद्रों में 26,000 स्वयंसेवियों पर तीसरे चरण का परीक्षण करने की औषधि महानियंत्रक से स्वीकृति मिल गई है।”

मालूम हो, भारत बायोटेक ‘कोवैक्सीन’ का विकास भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु संस्थान के साथ मिलकर कर रही है। 

2. भारत में प्लाज्मा पद्धति के सीमित फायदे- रिसर्च

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 Limited benefits of plasma method were seen in India study

कोविड-19 के इलाज के लिए काम ली जा रही प्लाज्मा पद्धति के भारत में सीमित फायदे ही सामने आए हैं। ये बात प्लाज्मा थेरेपी पर अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने कही है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोविड-19 के मामले में भारत में किए गए एक परीक्षण में गभीर बीमारी के बढ़ने और मौतों को घटाने में प्लाज्मा थेरेपी का सीमित असर ही देखने को मिला है। 

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में इस शोध को प्रकाशित किया गया है। इसमें कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले 464 वयस्कों को शामिल किया गया था।  अध्ययन के दौरान 239 वयस्क मरीजों का मानक देखभाल के साथ प्लाज्मा पद्धति से उपचार किया गया जबकि 229 मरीजों का मानक स्तर के तहत उपचार किया गया। 

शोधकर्ताओं ने पत्रिका में लिखा है, ‘‘स्वस्थ हो चुके व्यक्ति के प्लाज्मा का कोविड-19 की गंभीरता को घटाने या मृत्यु के संबंध में जुड़ाव नहीं है।” 

शोधकर्ताओं ने कहा कि प्लाज्मा दान करने वालों और इसे दिए जाने वाले व्यक्ति में एंटीबॉडी के पूर्व के आकलन से कोविड-19 के प्रबंधन में प्लाज्मा की भूमिका और स्पष्ट हो सकती है। अध्ययन में शामिल किए गए मरीजों की न्यूनतम उम्र 18 साल थी और आरटी-पीसीआर के जरिए उनमें संक्रमण की पुष्टि की गयी थी। 

3. इम्यूनिटी बरकरार रखती है कोविड-19 एंटीबॉडी

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COVID-19 Vaccine

कोविड-19 के लिए जिम्मेदार वायरस सार्स-कोव-2 से संक्रमित होने के बाद मरीजों के शरीर में विकसित हुई एंटीबॉडी के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कई महीनों तक बनी रहती है। एक नए शोध में इसका खुलासा हुआ है। 

जानकारी के मुताबिक ‘इम्यूनिटी’ जर्नल में प्रकाशित तथ्यों को पाने के लिए अमेरिका में भारतीय मूल के शोधकर्ता के नेतृत्व वाली शोध टीम ने करीब 6,000 लोगों के नमूने से एंटीबॉडी के प्रोडक्शन का अध्ययन किया।

अध्ययन में सामने आया है कि जब एक वायरस पहली बार कोशिकाओं को संक्रमित करता है, तो इम्यूनिटी सिस्टम अल्पकालिक प्लाज्मा कोशिकाएं तैयार करता है, जो वायरस से तुरंत लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं। संक्रमण के 14 दिनों के भीतर रक्त में वह उत्पादित एंटीबॉडी दिखाई देते हैं।

शोध टीम का मानना है कि उन निष्कर्षो पर अल्पकालिक प्लाज्मा कोशिकाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया था और वे लंबे समय तक रहने वाले प्लाज्मा कोशिकाओं और उनके द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी को ध्यान में रखने में असफल रहे।

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