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Latest Health updates: क्या वैक्सीन के बाद भी रहेगा कोविड-19 का खतरा?

Latest Health updates: क्या वैक्सीन के बाद भी रहेगा कोविड-19 का खतरा?

कोविड-19 (COVID-19) के संक्रमण से जूझ रही दुनिया के सामने जो नई चुनौती आ खड़ी हुई है, वह है इसके दोबारा संक्रमण की। दुनिया के लिए वैक्सीन की अनुपलब्धता के बीच हर दिन कोविड-19 के मामले बढ़ तो रहे हैं, लेकिन दवाओं और उपचार के अन्य तरीकों की बदौलत लोग तेजी से ठीक भी हो रहे हैं।

हालांकि कोरोना से एक बार ठीक हो जाने के बाद लोग फिर से कोरोना संक्रमित हो रहे हैं और दोबारा संक्रमण के ऐसे मामलों ने चिंता बढ़ाई है। 

1. वैक्सीन के बाद भी रहेगा कोविड-19 का खतरा?

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानि आईसीएमआर के मुताबिक, भारत में भी दोबारा संक्रमण के तीन मामले सामने आए हैं। दोबारा संक्रमण के मामलों की पहली बार पुष्टि करते हुए आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने दोबारा संक्रमित होने की समय सीमा 100 दिन तय किए जाने की बात कही है। 

कोरोना के दोबारा संक्रमण के पहले मामले की आधिकारिक पुष्टि अगस्त के आखिरी सप्ताह में हुई थी, जब हांगकांग में 33 वर्षीय युवक के केस ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा। वह युवक मार्च में पहली बार संक्रमित हुआ था और फिर अगस्त में दोबारा कोरोना पॉजिटिव पाया गया।

हालांकि अब भी कुछ विशेषज्ञों का यही कहना है कि दोबारा संक्रमण के मामले दुर्लभ हैं। उनके मुताबिक, जो मरीज इस वायरस से पूरी तरह रिकवर नहीं हो पाते तो ऐसी स्थिति में उसके दोबारा संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है।

2. कोरोना संक्रमण को रोकने में कारगर नहीं रेमडेसिविर दवा-WHO

कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए अमरीकी कंपनी गिलीएड की दवा रेमडिसिवर कारगर नहीं है। रेमडेसिविर कोरोना मरीज़ों का बचाने के लिए ज्यादा सक्षम नहीं है।

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने क्लीनिकल परीक्षण में पाया कि रेमडेसिविर की सहायता से कोविड-19 मरीज के अस्पताल में रहने की अवधि और जीने की संभावना बहुत कम और ना के बराबर है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चार संभावित दवा रेजिमेंट पर परीक्षण किया था। इसमें रेमडेसिविर, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, एंटी एचआईवी ड्रग कॉम्बिनेशन लोपिनाविर-रिटोनाविर और इंटरफेरॉन शामिल हैं।

इस परीक्षण में 30 देशों के 11,266 व्यस्क मरीज़ों को भी सम्मिलित किया गया था। अध्ययन में पाया गया कि कोरोना का इलाज कराने अस्पताल में लंबी अवधि के लिए भर्ती मरीज़ों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है।

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