Covid-19 latest update: घर बैठे स्मार्टफोन से होगी संक्रमण की जांच
Covid-19 latest update: सोचकर देखिए अगर कपड़े, गिफ्ट और खाने की तरह जब सर्दी-जुकाम-बुखार जैसे लक्षण उभरने पर आपको कोविड-19 (Covid-19) या किसी अन्य संक्रमण की पुष्टि के लिए पैथोलॉजी जाने की जहमत न उठानी पड़े तो कितना अच्छा रहेगा। जब आप स्मार्टफोन की मदद से घर बैठे जान लेंगे की किस वायरस ने आपको अपनी गिरफ्त में ले लिया है तो वाकई में जिंदगी आसान हो जाएगी। विज्ञान की किसी फिक्शन फिल्म की तरह लगने वाली ये बात जल्द ही हकीकत का रुप अख्तियार करने वाली है।
(i). अब घर बैठे स्मार्टफोन से होगी Covid-19 संक्रमण की जांच
स्मार्टफोन की मदद से जान लेंगे किस वायरस की गिरफ्त में हैं आप-
वास्तव में, जर्मन शोधकर्ताओं ने एक ऐसे स्मार्टफोन का प्रोटोटाइप तैयार किया है जो माइक्रोस्कोप और डीएनए एंटीना से लैस है और जो खून में मौजूद विषाणुओं की पहचान करने में सक्षम होगा।
लुडविग-मैक्सीमिलियन्स यूनिवर्सिटी का कहना है कि डीएनए आधारित नैनो-एंटीना आसानी से फोन के कैमरे में लगाया जा सकता है। यह खून में मौजूद अलग-अलग जीवाणुओं को पहचानने की क्षमता रखता है। यानी यूजर खून के नमूने को स्मार्टफोन से स्कैन करके यह जान सकेंगे कि उन्हें किसी वायरस ने अपनी गिरफ्त में तो नहीं ले लिया है।
(ii). Covid-19 की स्मार्टफोन आधारित तकनिक पर क्या कहना है शोधकर्ताओं का
शोध दल में शामिल डॉ. विक्टोरिजा ग्लेंबोकाइट की मानें तो नया स्मार्टफोन दूरदराज के गांवों और दुर्लभ पहाड़ी क्षेत्रों के लिए किसी सौगात से कम नहीं साबित होगा। मरीजों को संक्रमण की आशंका सिद्ध करने के लिए मीलों लंबा सफर तय कर शहर नहीं आना पड़ेगा। वे घर बैठे ही खून की जांच कर रिपोर्ट के हिसाब से उचित डॉक्टर से संपर्क साध सकेंगे।
ग्लेंबोकाइट ने बताया कि स्मार्टफोन सुपरबग की पोल खोलने की भी कूव्वत (ताक़त) रखेगा। सुपरबग वो रोगाणु होते हैं, जिन्होंने मौजूदा दवाओं और उपचार पद्धतियों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर ली है।
मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर फिलिप टिनेफील्ड के अनुसार साल 2020 ने दुनिया को दिखाया है कि चिकित्सा जगत में नई और सुलभ जांच पद्धतियां ईजाद करना कितना जरूरी है। हमें उम्मीद है कि संक्रमण की पहचान में सक्षम स्मार्टफोन एक सस्ती और विश्वसनीय जांच पद्धति के आविष्कार का सबब बनेगा, जिसे घर पर भी अंजाम दिया जा सकता है।
(iii). कैसे होगी Covid-19 और अन्य वायरस की जांच?
-अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि स्मार्टफोन में यूएसबी केबल के जरिये एक विशेष माइक्रोस्कोप जोड़ना होगा। यूजर जब खून के नमूने को माइक्रोस्कोप के संपर्क में लाएगा तो फोन में लगा डीएनए आधारित एंटीना सक्रिय हो जाएगा।
यह खून में वायरस के डीएनए की मौजूदगी की पड़ताल करने लगेगा।
2. किसी भी अस्पताल में ली जा सकेगी कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज (second dose of covid-19 vaccine can now be taken in any hospital in Delhi)
पहली डोज के लिए यह नियम अब भी बरकरार रहेगा लेकिन दूसरी डोज के लिए यह बाध्यता खत्म कर दी गई है। हालांकि दिल्ली में अभी 186 केंद्रों पर कोविशील्ड व 75 केंद्रों पर कोवैक्सीन का टीका दिया जा रहा है।
कोरोना वायरस संक्रमण के टीकाकरण अभियान के तहत दूसरी डोज देने का काम 13 फरवरी से ही शुरू हो गया है, लेकिन राजधानी दिल्ली में पहले दिन खास उत्साह नहीं दिखा था।
इसके मद्देनजर दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार ने सभी जिला प्रशासन व टीकाकरण केंद्रों को निर्देश दिया है कि जिन स्वास्थ्य कर्मियों ने शुरुआत में पहली डोज ली थी, उन्हें व्यवस्थित तरीके से दूसरी डोज लेने के लिए सूचना भेजी जाए।
इसके अलावा यह भी प्रविधान कर दिया गया है कि कर्मचारी किसी भी केंद्र पर पहुंचकर अपनी सुविधा के अनुसार टीके की दूसरी डोज ले सकते हैं। इसका मकसद संपूर्ण टीकाकरण को बढ़ावा देना है। हालांकि, पहली डोज में जो टीका लगा है दूसरी डोज में भी वही टीका लेना जरूरी है। टीकाकरण के लिए यह व्यवस्था रही है कि कर्मचारी उसी केंद्र पर टीका ले सकते हैं।
3. दिख रहे न्यूरोजिकल लक्षण, दिमाग में घुस सकता है Covid-19 का वायरस
हाइलाइट्स
- इटली में अलग से शुरू करनी पड़ी न्यूरोकोविड यूनिट
- कोरोना केंद्रीय तंत्रिका पर भी दुष्प्रभाव डालता है
- सिरदर्द, थकान और चक्कर आदि दिखने लगता है
Covid-19 का वायरस सिर्फ श्वसन तंत्र को ही नहीं प्रभावित करता है बल्कि केंद्रीय तंत्रिका पर भी दुष्प्रभाव डालता है।
इससे अलग-अलग न्यूरोलाजिकल लक्षण जैसे- स्वाद पहचानने की शाक्ति में कमी आना, सिरदर्द, थकान और चक्कर आदि दिखने लगता है।
दरअसल, हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। कि कैसे वायरस संक्रमित मरीज की नाक से दिमाग में प्रवेश कर सकता है।
हालांकि, इससे यह पता लगाना संभव हो सकेगा कि कोविड-19 (Covid-19) बीमारी के दौरान मरीजों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण क्यों उभर रहे हैं और उसका कैसे इलाज किया जा सकता है। बतादें, यह अध्ययन जर्मनी की यूनिवर्सिटी के नेचर न्यूरोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(ii). पूरे देश को कोविड वैक्सीन की जरूरत नहीं The entire country does not need the covid-19 vaccine
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने चौंकाने वाला बयान दिया है। काउंसिल ने कहा है कि यदि हम कुछ लोगों (क्रिटिकल मास) को वैक्सीन लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में कामयाब रहे तो शायद पूरी आबादी को वैक्सीन की जरूरत ही न पड़े।
हमारा उद्देश्य कोरोना वायरस की चेन को तोडऩा है। यह बात आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही।
4. अब पालतू पशुओं से भी इंसेफलाइटिस का खतरा
एक अध्ययन से सामने आया है कि पालतू पशुओं से भी इंसेफलाइटिस का खतरा बढ़ रहा है। पालतू पशुओं की पीठ पर भी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के जीवाणु पाए गए हैं।
जनरल आफ अमेरिकन सोसाइटी आफ मेडिकल एंटोमोलाजी में प्रकाशित हुआ शोध में यह चौंकाने वाली बातें क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) के शोध में सामने आईं हैं। यह शोध जनरल आफ अमेरिकन सोसाइटी आफ मेडिकल एंटोमोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।इंसेफलाइटिस की वजह बन रहे रिकेट्सिया बैक्टीरिया की संख्या 83.8 फीसद मिली
दरअसल, चरगावां व भटहट के चार गांवों में हुए शोध में पशुओं के शरीर पर चार तरह के जूं (किलनी) पाए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा रिकेट्सिया बैक्टीरिया मिले हैं जो इंसेफलाइटिस का कारण है।
आरएमआरसी के मीडिया प्रभारी व वायरोलॉजिस्ट डा. अशोक पांडेय ने बताया कि रिकेट्सिया से बुखार, जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द शुरू होता है।
तत्काल इलाज न मिलने पर इनकी संख्या बढ़ती जाती है और एईएस हो जाता है। बुखार के साथ झटके भी आने लगते हैं।
ये बैक्टीरिया लिवर, किडनी व मस्तिष्क को भी प्रभावित करने लगते हैं।
(ii) इन बातों का रखें ध्यान
पशु चिकित्सक से संपर्क कर उनकी सलाह के अनुसार, पशुओं की सफाई करते रहें। ज्यादा देर तक पशुओं के संपर्क में न रहें। ये जूं काटते हैं तो पता नहीं चलता है, लेकिन तीन-चार दिन बाद बुखार व बदन दर्द शुरू हो जाता है।
ऐसा होने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
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इंसेफलाइटिस के नियंत्रण को लेकर यह शोध किया गया है। पशुओं पर मिलने वाले जूं में रिकेट्सिया का मिलना चिंताजनक है।
इसलिए पालतू पशुओं की नियमित सफाई करते रहें। इसके पहले भी आरएमआरसी ने चूहों, छछूंदर व बिल्ली पर शोध किया था, उनमें स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया मिला था जो 60 फीसद इंसेफलाइटिस का जिम्मेदार है।
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डिस्क्लेमर
इस लेख में हमने Covid-19 से संबंधित तमाम लेटेस्ट अपडेट की जानकारी दी है। उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आएगी। अगर आप विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा प्रमाणित हेल्थ टिप रोज अपने फोन पर प्राप्त करना चाहते हैं तो अभी डाउनलोड करें आयु ऐप।