Corona Brief news: गंगाजल के नियमित इस्तेमाल से 90% लोग Covid-19 से सुरक्षित- अमेरिकी जर्नल
Covid-19 update: कोरोना वायरस (Coronavirus) का प्रकोप जिस रफ्तार से बढ़ रहा है उसने सभी को भयभीत कर रखा है। इसकी रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए कई देशों में कोविड-19 (Covid-19) वैक्सीन पर काम चल रहा है।
इसी बीच अमेरिकी जर्नल का मानना है कि नियमित रुप से गंगाजल (Ganga water) का इस्तेमाल करने से कोरोना वायरस (Coronavirus) का खतरा 90 प्रतिशत तक समाप्त हो जाता है।
1. गंगाजल के इस्तेमाल से खत्म हो सकता है कोरोना का खतरा !
गंगा का पानी पीने वाले और गंगाजल में स्नान करने वाल लोगों पर कोरोना का खतरा काफी कम रहता है। इस बात का खुलासा एक शोध में हुआ है। दरअसल, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में आईएमएस (IMS) की टीम ने गंगा नदी के किनारे रहने वाले लोगों पर कोरोना के प्रभाव पर शोध किया है।
गहन अध्ययन और रिसर्च के बाद टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि गंगाजल का नियमित इस्तेमाल करने वालों पर कोरोना वायरस का प्रभाव 10 फीसदी ही है। खास बात यह है कि इस शोधपत्र को अमेरिका के इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी (International Journal of Microbiology) के अंक में भी प्रकाशित किया गया है।
न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, शोध के लिए गोमुख से लेकर गंगा सागर तक 100 स्थानों पर सैंपलिंग की गई थी। कोरोना मरीजों की फेज थेरेपी के लिए गंगाजल का नेजल स्प्रे भी तैयार करा लिया गया है। इसकी डिटेल रिपोर्ट आईएमएस की इथिकल कमेटी को भेज दी गई है।
2. कोरोना वायरस का संक्रमण बच्चों में कम- सरकार
कोरोना वायरस का संक्रमण वयस्कों को मुकाबले बच्चों में कम होता है। बच्चों में वयस्कों की तुलना में संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता कम प्रतीत होती है। आम तौर पर बच्चों में संक्रमण कम होता है। दरअसल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकससभा (Lok Sabha) में लिखित में यह जानकारी दी।
बता दें, लोकसभा के दो सांसद सुमेधानंद सरस्वती और देवजी एम पटेल ने सवाल पूछा था कि ‘क्या वैज्ञानिक शोधों के माध्यम से यह पता चला है कि बच्चों पर कोरोना वायरस (Coronavirus) का कम प्रभाव पड़ता है, अगर हां तो इसके बारे में क्या विवरण है?’
स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने जानकारी दी कि ‘भारत में 0-17 वर्ष की आयु के बच्चे कुल मामलों (कुल कोरोना मामले) के 8% के लिए उत्तरदायी हैं, जो वैश्विक तौर पर सूचित आंकड़ों के समान हैं। आम तौर पर बच्चे कोविड-19 संक्रमण से कम बीमार होते हैं और कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार होना केवल कभी कभी देखा जाता है।’
3. कोविड-19 के मरीजों पर योग के प्रभाव का होगा अध्ययन
क्या योग से कोविड-19 (Covid 19) के मरीज़ों की स्थिति में सुधार संभव है? यह जानने के लिए चिकित्सक और ध्यान कराने वाले दिल्ली के कम से कम तीन अस्पतालों में अनुसंधान किया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक, अनुसंधान के संबंध में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) के अधीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने अध्ययन के लिए अप्रैल में प्रस्ताव आमंत्रित किए थे। दिल्ली में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), राम मनोहर लोहिया अस्पताल (Ram Manohar Lohia Hospital) और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Rajiv Gandhi Super Speciality Hospital) में अनुसंधान किया जा रहा है।
राजीव गांधी अस्पताल में नोडल अधिकारी का कहना है , कि अध्ययन में योग के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाएगा। उन्होंने कहा, कि इसमें कोविड-19 के मरीजों के तनाव, मूड, नींद, लक्षणों की तीव्रता और जीवनशैली पर प्राणायाम और विश्राम के प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा।
4. भारत में कोरोना वायरस का कम्युनिटी स्प्रेड पर स्वास्थ्य मंत्री का जवाब
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री देश में कोरोना वायरस का कम्युनिटी स्प्रेड की बात कह रहे हैं, वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने संड़े संवाद के दौरान कहा कि भारत में कुछ जिलों में बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले सामने आए हैं। अलग-अलग राज्य और अलग-अलग जिलों में संक्रमण का फैलाव अलग-अलग स्तर का है। अहम बात यह है कि विशिष्ट कंटेनमेंट प्रयासों के चलते देश मे 77% एक्टिव मामले केवल 10 राज्यों में हैं। इन राज्यों में भी ज़्यादातर मामले कुछ जिलों में केंद्रित हैं।’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के इस जवाब से साफ है कि अभी भी केंद्र सरकार इस बात से सहमत नहीं हैं कि देश में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है।
जबकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन कहते हैं कि कम्युनिटी स्प्रेड टेक्निकल टर्म में फंस गया है, जब दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं, तो कम्युनिटी स्प्रेड मान लेना चाहिए।
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