Corona brief news : Covaxine के ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण शुरू, IIT मद्रास ने बनाया हर कोरोना अपडेट देने वाला बैंड

Covaxine human trial Begins: ‘Covaxine’ के ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण 24 जुलाई से शुरू हो चुका है। पहले चरण के क्लिनिकल ट्रायल की शुरुआत दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल से शुरू की गई है। वहीं आईआईटी मद्रास (IIT Madras) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण का पता लगाने के लिए हाथ में पहनने वाला एक ऐसा बैंड (Band) तैयार किया है जो एकदम शुरुआती स्तर पर ही किसी इंसान को संक्रमण के बारे में बता सकता है। यह बैंड अगले माह तक बाजार में आ सकता है।
1. Covaxine के ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण
‘Covaxine’ के ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण 24 जुलाई से शुरू हो चुका है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ‘Covaxine’ के पहले और दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए एम्स समेत 12 संस्थानों को चुना है। यहां पहले मरीज को पहला डोज़ दिया गया है।

इसके तहत 30 से 40 साल की बीच की उम्र के एक व्यक्ति को पहला इंजेक्शन लगाया गया। एम्स में परीक्षण के लिए पिछले शनिवार से 3,500 से अधिक लोग अपना पंजीकरण करा चुके हैं जिनमें से कम से कम 22 की स्क्रीनिंग चल रही है।
पहले चरण में 375 लोगों पर परीक्षण होगा और इनमें से अधिकतम 100 एम्स से होंगे। राय के अनुसार दूसरे चरण में सभी 12 संस्थानों से मिलाकर कुल करीब 750 लोग शामिल होंगे। पहले चरण में टीके का परीक्षण 18 से 55 साल के ऐसे स्वस्थ लोगों पर किया जाएगा जिन्हें अन्य कोई बीमारी नहीं है।
2. IIT मद्रास ने बनाया ऐसा बैंड जो देगा कोरोना की हर अपडेट
आईआईटी मद्रास (IIT Madras) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण का पता लगाने के लिए हाथ में पहनने वाला एक ऐसा बैंड (Band) तैयार किया है जो एकदम शुरुआती स्तर पर ही किसी इंसान को संक्रमण के बारे में बता सकता है। हाथ के ट्रैकर में शरीर के तापमान को मापने, हृदय गति तथा एसपीओ2 (ब्लड ऑक्सीजन सघनता) को मापने के लिए सेंसर लगे हैं, जो लगातार इन पर नजर रख कर संक्रमण के शुरुआती स्तर में ही पता लगाने में मदद कर सकता है।

यह ट्रैकर ब्लूटूथ से चलेगा और इसे म्यूज हेल्थ ऐप के जरिए मोबाइल फोन से जोड़ा जा सकता है। उपयोगकर्ता के शरीर से जुड़ी तथा अन्य गतिविधियों की जानकारी फोन तथा दूरस्थ सर्वर में इकट्ठा हो जाएगी। उपयोगकर्ता यदि किसी संक्रमण वाले क्षेत्र में जाता है तो आरोग्य सेतु ऐप के जरिए उसे संदेश मिल जाएगा।
3. कोरोना वैक्सीन बनी तो आपको कैसे मिलेगी?
कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए पूरी दुनिया में कोरोना वैक्सीन पर लगातार काम चल रहा है। दर्जनों क्लिनिकल ट्रायल हो रहे हैं और कुछ देशों में ये ट्रायल दूसरे फेज़ में भी पहुँच चुके हैं। सभी साल के अंत तक कोरोना वैक्सीन के तैयार होने की उम्मीद जता रहे हैं। लेकिन अगर ये वैक्सीन बन भी गई तो दुनिया के हर कोने तक पहुँच कैसे सकेगी?
अमरीका दो बार साफ़ इशारा कर चुका है कि अपने देश में किसी भी वैक्सीन बनने की सूरत में पहले उसकी प्राथमिकता अमरीकी नागरिकों तक पहुंचाने की होगी।

रूस जैसे देश भी अप्रत्यक्ष रूप से इस तरह के इशारे कर चुके हैं। अपने देशों में प्राथमिकता देने की नीति को ‘वैक्सीन नेशनलिस्म’ या ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ बताया जा रहा ह।
H1N1 संकट के दौरान 2009 में ऑस्ट्रेलिया ने बायोटेक उत्पादन करने वाली कंपनी ‘सीएसएल’ से कहा था कि स्थानीय पूर्ति होने के बाद ही वैक्सीन अमरीका भेजी जा सकेगी। इन हालातों में चिंता न सिर्फ़ ग़रीब और पिछड़े देशों में है, बल्कि उनमें भी जहाँ कई वैक्सीन ट्रायल के ट्रायल किए जा रहे हैं।
वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के पूर्व महानिदेशक प्रोफ़ेसर एनके गांगुली को लगता है कि ‘भारत को भी पूरी तरह निश्चिंत नहीं बैठना चाहिए’
उन्होंने कहा, “हो सकता है हमारे यहाँ उस क्वालिटी की वैक्सीन न बनें। इंडिया में अभी होलसेल वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं, हमें बहुत चीज़ों का पता नहीं है। अगर ये वैक्सीन अच्छी नहीं निकलती, तो हमें किसी और की वैक्सीन का इस्तेमाल करना पड़ेगा। हमें अभी से तैयारी करनी पड़ेगी क्योंकि जहाँ वैक्सीन होगी, हो सकता है वो दूसरे देशों के लिए उपलब्ध न हो। “
4. कोरोना से सबसे कम संक्रमण व मृत्यु दर वाले देशों में भारत-स्वास्थ्य मंत्री
भारत दुनिया में कोरोना वायरस से सबसे कम संक्रमण और मृत्यु दर वाले देशों में से एक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने यह जानकारी अपने ट्विटर हैंडल पर दी। यहां कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के ठीक होने की दर 63.45 प्रतिशत है जबकि मृत्यु दर 2.3 प्रतिशत है।

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में शामिल देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की डिजिटल बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रति दस लाख आबादी पर 864 मामले सामने आने और 21 से कम मरीज़ों की मृत्यु के साथ भारत दुनिया में कोरोना वायरस से सबसे कम संक्रमण और मृत्यु दर वाले देशों में से एक है।
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