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Who ने बताया कैसे हो रहा है कोरोना का इलाज, वैज्ञानिक इन दवाओं पर कर रहे हैं काम

Who ने बताया कैसे हो रहा है कोरोना का इलाज, वैज्ञानिक इन दवाओं पर कर रहे हैं काम

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार कोरोना वायरस का संक्रमण का खतरा सबसे अधिक 60 साल से ज़्यादा के लोगों को है।

WHO के मुताबिक दुनियाभर के देश कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में है। दिन प्रतिदिन इसके आंकड़े बढ़ते जा रहे है।

कैसे हो रहा है कोरोना वायरस का इलाज:

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर कोरोना वायरस की कोई दवा है ही नहीं तो इसका इलाज कैसे हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अब तक इसकी कोई दवाई नहीं है। बहुत सारे देश इसकी दवा बनाने की कोशिश कर रहे है। लेकिन अभी तक इसका इलाज सिर्फ लक्षणों के आधार पर हो रहा है।

कोरोना संक्रमित मरीज़ों के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भी गाइडलाइंस जारी की है।

अलग-अलग लक्षणों वाले लोगों के इलाज के लिए अलग-अलग ट्रीटमेंट बताए गए है और दवाओं की मात्रा को लेकर भी सख़्त निर्देश है।

साधारण खांसी, ज़ुकाम या हल्के बुख़ार के लक्षण होने पर मरीज़ को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत नहीं भी हो सकती और उन्हें दवाएं देकर इलाज जारी रखा जा सकता है. लेकिन जिन मरीज़ों को निमोनिया या गंभीर निमोनिया हो, सांस लेने में परेशानी हो, किडनी या दिल की बीमारी हो या फिर कोई भी ऐसी समस्या जिससे जान जाने का ख़तरा हो, उन्हें तुरंत आईसीयू में भर्ती करने और इलाज के निर्देश दिए गए है।

दवाओं की मात्रा और कौन सी दवा किस मरीज़ पर इस्तेमाल की जा सकती है इसके लिए भी सख़्त निर्देश दिए गए है।

मरीजों के इलाज के लिए दी गई गाइडलाइन:

अस्पतालों में जो मरीज़ भर्ती हो रहे है उन्हें लक्षणों के आधार पर ही दवाएं दी जा रही है और उनका इम्यून सिस्टम भी वायरस से लड़ने की कोशिश करता है। अस्पताल में भर्ती मरीज़ों को आइसोलेट करके रखा जाता है ताकि उनके ज़रिए किसी और को यह वायरस संक्रमित ना कर सकें।

गंभीर मामलों में वायरस की वजह से निमोनिया बढ़ सकता है और फेफड़ों में जलन जैसी समस्या भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में मरीज़ को सांस लेने में परेशानी हो सकती है।

बेहद गंभीर स्थिति वाले मरीज़ों को ऑक्सीजन मास्क लगाए जाते है और हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की ज़रूरत होगी। एक अनुमान के मुताबिक़, चार में से एक मामला इस हद तक गंभीर होता है कि उसे वेंटिलेटर पर रखने की ज़रूरत पड़ती है।

एचआईवी एंटी ड्रग लोपिनाविर और रिटोनाविर एंटी-ड्रग रेट्रोवायरल ड्रग है जो कारगर साबित हो सकता है।

वैक्सीन कब तक आएगी:  

एक और कोरोना वायरस के इलाज के लिए दुनियाभर में वैक्सीन बनाई जा रही है तो दूसरी और लोग सोच रहे है कि अगर इसका इलाज लक्षणों के आधार पर हो रहा है तो इसकी दवाई बनाने की क्या ज़रुरत है। इसके जवाब में विशेषज्ञ का कहना है कि अगर कोरोना वायरस का इलाज ढूंढ लिया गया तो भविष्य में इसे फैलने से रोका जा सकता है. आने वाले समय में ये महामारी दुनिया को घुटनों पर न ला पाए इसके लिए ज़रूरी है कि कोरोना वायरस की दवा जल्द से जल्द बना ली जाए।

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