Corona Brief News: कोरोना संक्रमण का मात्र 15 मिनट में चलेगा पता, बिना लक्षणों वाले मरीज़ों में वायरस की अधिक संभावना
Coronavirus: कोरोना वायरस की वैक्सीन पर अनेक देशों की रिसर्च के बाद तमाम तरह के प्रयोग सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक प्रयोग जिसके तहत मात्र 15 मिनट में कोरोना संक्रमण का पता चल जाएगा। दूसरी और भारतीय वैज्ञानिकों के मुताबिक बिना लक्षण वाले मरीज़ों में कोरोनावायरस की अधिक संभावना होती है।
1.स्विस फार्मा कंपनी जल्द पेश करेगी COVID टेस्ट
कोरोना टेस्ट के लिए अब आपको 48 घंटों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अब मात्र 15 मिनट में संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
- न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी रॉश ने घोषणा की है कि वह वह सितंबर महीने के अंत तक कोरोना वायरस (Coronavirus) का पता लगाने के लिए एक टेस्ट पेश करेगी।
- इसके जरिए सिर्फ 15 मिनट में COVID-19 का पता लगाया जा सकेगा। कंपनी ने कहा कि ये टेस्ट SARS-CoV-2 वायरस की पहचान करता है, जिसके वजह से दुनिया भर में महामारी फैली है।
- ग़ौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी से अब तक दुनिया भर में 8.51 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, संक्रमण का कुल आंकड़ा 2.54 करोड़ से ऊपर पहुंच गया है।
2. बिना लक्षण वाले मरीज़ों में कोरोनावायरस की अधिक मात्रा
कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च पेश की है, जिसमें बताया गया है कि बिना लक्षण वाले मरीज़ों तथा किसी संक्रमित व्यक्ति के शरीर में वायरस की कितनी मात्रा है।
अध्ययन में सामने आया कि लक्षण वाले संक्रमण के मामलों का संबंध बिना लक्षण वाले मामलों की तुलना में अधिक सीटी मूल्य से यानी वायरस की कम मात्रा (वायरस लोड) से है। रीयल टाइम पीसीआर जांच में एक चमकदार सिग्नल से परिणाम पता चलता है और सीटी (साइकिल थ्रेशोल्ड) मूल्य उस चमकदार सिग्नल को एक सीमा को पार करने के लिए जरूरी चक्करों की संख्या है।
तेलंगाना (Telangana) में कोविड-19 (Covid-19) के 200 से अधिक रोगियों पर हुए अध्ययन में यह बात सामने आई, जो नीति निर्माताओं को नोवेल कोरोनावायरस संक्रमण फैलने के बारे में बेहतर जानकारी दे सकती है।
3. 7.72 फीसदी Covid मरीज़ों में विकसित हुई एंटीबॉडी
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते देश के कई बड़े शहरों में सीरो सर्वे करवाया जा रहा है, जिसमें वायरस से रिकवर हुए लोगों में एंटीबॉडी्ज का पता लगाया जा सके।
दरअसल, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कोविड-19 (Covid-19) से सबसे ज्यादा प्रभावित इंदौर (Indore) में सीरो-सर्वेक्षण से पता चला है कि इसमें शामिल 7.72 फीसदी प्रतिभागियों के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुई हैं।
गौरतलब है कि सीरो-सर्वेक्षण में रक्त के सीरम की जांच से पता लगाया जाता है कि अगर संबंधित प्रतिभागी पिछले दिनों सार्स-सीओवी-2 (वह वायरस जिससे कोविड-19 फैलता है) के हमले का शिकार हुआ है, तो उसके रोग प्रतिरोधक तंत्र ने किस तरह प्रतिक्रिया दी है और उसके रक्त में इस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुई हैं या नहीं?
4. पॉजिटिव आने के एक महीने बाद ही हो दूसरा टेस्ट -साइंटिस्ट
कोरोना संक्रमित मरीज को वायरस को दूर करने में कम से कम एक महीना लगता है। इसलिए पॉजिटिव आने के एक महीने बाद ही दोबारा टेस्ट कराना चाहिए। ये कहना है इटली के वैज्ञानिकों का ।
वैज्ञानिकों ने बताया कि पांच निगेटिव टेस्ट रिजल्ट में से एक गलत होता है। न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, इटली के मोडेना एंड रेजियो एमिलिया यूनिवर्सिटी के डॉ. फ्रांसिस्को वेंतुरेली और उनके साथियों ने 1162 मरीज़ों पर अध्ययन किया है। इसमें कोरोना मरीज़ों की दूसरी बार टेस्टिंग 15 दिन बाद, तीसरी बार 14 दिन बाद और चौथी बार नौ दिन बाद की गई। इसमें पता चला कि पहले जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई वे फिर से पॉजिटिव पाए गए।
दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक 2 करोड़ 58 लाख 89 हजार 824 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 81 लाख 72 हजार 671 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 8 लाख 60 हजार 270 लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े www.worldometers.info/coronavirus के मुताबिक हैं।
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