Corona brief news: दो चमगादड़ों के जीन्स से लैब में बनाया गया है कोरोना वायरस -सबूत
कोरोना वायरस प्राकृतिक है या फिर ये किसी लैब में तैयार किया गया है इस मामले में दुनिया भर के वैज्ञानिकों की अलग-अलग राय है।
अब चीन की मशहूर वायरॉलाजिस्ट डॉ. ली-मेंग यान ने दावा किया है कि कोरोना वायरस को दो चमगादड़ों के जेनेटिक मैटेरियल को मिलाकर तैयार किया गया है।
1. दो चमगादड़ों के जीन्स से लैब में बनाया गया है कोरोना-सबूत
डॉक्टर यान ने कोरोना वायरस से सम्बंधित एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। हॉन्ग कॉन्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में कथित रूप से शोध कर चुकीं डॉक्टर यान ने दावा किया है कि कोरोना वायरस को लैब में ही तैयार किया गया है इसके पक्के सबूत हैं।
डॉक्टर यान का दावा है कि उन्होंने जांच में पाया है कि कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को बदलकर उसे आसान बनाया गया है ताकि वह ह्यूमन सेल में चिपककर बैठ जाए।
कई वैज्ञानिकों ने डॉक्टर यान के इस दावे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि शोध पत्रों में पहले यह साबित किया जा चुका है कि कोरोना वायरस का जन्म चमगादड़ों से हुआ है और इसे इंसानों के लिए बनाए जाने के कोई सबूत नहीं हैं।
2. कोरोना के मरीजों के लिए ‘जीवन रक्षक’ बना ये अस्पताल
भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) द्वारा संचालित विश्व के सबसे बड़े कोविड केयर केंद्र सरदार पटेल कोविड केयर केंद्र (10000 बेड की क्षमता) में दिल्ली के सबसे ज्यादा कोविड संक्रमित लोगों का इलाज़ ज़ारी है। इस केंद्र से लगभग 2454 से ज्यादा मरीजों का इलाज़ किया जा चुका है।
सरदार पटेल कोविड केयर केंद्र और अस्पताल में पिछले लगभग 71 दिनों के दौरान 4 हज़ार मरीजों को दाखिल किया गया है जिसमें से सिर्फ 81 को ही किसी परिस्थिति में रेफर करना पड़ा बाकि सबका सफल इलाज हो गया। अब तक के सफल अनुभवों के कारण यह केंद्र दिल्ली का प्रमुख कोविड केयर केंद्र बन गया है।
3. संक्रमितों में 20 साल से कम उम्र वाले सिर्फ 10 फीसदी
- विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी आंकड़ों की मानें तो 20 साल से कम उम्र के लोगों पर महामारी का खतरा कम है। इसकी एक वजह उनकी ज्यादा बेहतर इम्युनिटी है।
- दुनियाभर में अब तक कोविड-19 के बहुत मामले सामने आए हैं, उनमें 20 साल से कम उम्र वाले मरीजों की संख्या 10 फीसदी से कम है। इस उम्र वाले सिर्फ 0.2 फीसदी लोगों की मौत हुई। संगठन ने हालांकि, यह भी कहा कि इस बारे में अभी और रिसर्च की जरूरत है क्योंकि बच्चों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए। संगठन ने कहा कि हम जानते हैं कि बच्चों के लिए यह वायरस जानलेवा है। उनमें भी हल्के लक्षण देखे गए हैं। लेकिन, उनकी डेथ रेट कम है।
4. केरल की कंपनी ने तैयार किया नया ड्रग, DCGI की मंजूरी:
केरल के कोच्चि स्थित फार्मा रिसर्च फर्म पीएनबी वेस्पर ने कोविड-19 के इलाज के लिए आधारित ड्रग तैयार किया है। कंपनी को दूसरे चरण के ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से मंजूरी मिल गई है।
दुनिया में पहली बार नए मॉलिक्यूल आधारित किसी केमिकल ड्रग को कोविड-19 के ट्रीटमेंट की खोज के प्रयास के तहत इस तरह के ट्रायल करने की इजाजत दी गई है।
पीएनबी वेस्टर के प्रमोटर और चीफ एग्जिक्यूटिव पीएन बालाराम ने बताया कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन के तहत आने वाले सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी (सीएलए) ने उनकी कंपनी को दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की इजाजत दे दी है। पीएनबी वेस्पर दुनिया की एकमात्र कंपनी है, जो कोविड-19 के इलाज के लिए तैयार किए गए पूर्ण रूप से नए मॉलिक्यूल आधारित ड्रग के परीक्षण करने जा रही है।
ट्रायल में महाराष्ट्र के पुणे स्थित बीएमजे मेडिकल कॉलेज में भर्ती 40 कोरोना वायरस मरीजों को शामिल किया जाएगा। दवा की क्षमता और सुरक्षा के मूल्यांकन के लिए ट्रायल को रैंडमाइज और ओपन लेबल मेथड के तहत किया जाएगा। परीक्षण में कोविड-19 के केवल सामान्य मरीजों को शामिल करने की योजना है।
वहीं, पीएनबी001 दवा के पहले ट्रायल की जानकारी देते हुए पीएन बालाराम ने बताया कि यह परीक्षण फरवरी में लंबादा थेरप्यूटिक रिसर्च द्वारा अहमदाबाद में किया गया था। वहाँ कोरोना संक्रमण से पीड़ित 78 लोगों पर यह दवा आजमाई गई थी। पीएनबी001 ऐस्पिरिन से 20 गुना ज्यादा असरदार है और इसके कोई दुष्प्रभाव मरीजों में नहीं दिखें। अगर दूसरे चरण के ट्रायल सफल रहेंगे तो कंपनी दिल्ली और लखनऊ स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स समेत देश के कई अन्य शहरों में स्थित बड़े अस्पतालों में तीसरे चरण का ट्रायल करेगी।
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