Corona weekly update: O+ ब्लड ग्रुप वालों को कम होता है कोरोना वायरस का खतरा
कोरोना वायरस (Coronavirus) के लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच इस पर रिसर्च भी बढ़ी तेजी से चल रहा है। कोरोना (Corona) से जुड़ी ऐसी ही एक चौंकाने वाली रिसर्च सामने आई है, जिसमें रिसर्चकर्ताओं ने बताया है कि O+ ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना संक्रमण का खतरा कम रहता है।
1. कोरोना पर हुई रिसर्च में 3 चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं-
- O+ ब्लड ग्रुप वालों को कम होता है कोरोना का खतरा –
ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 लाख लोगों के डीएनए पर की गई रिसर्च में सामने आया है कि O+ ब्लड ग्रुप वालों पर वायरस का असर कम होता है। इससे पहले हार्वर्ड से भी रिपोर्ट आयी थी, लेकिन उसमें कहा गया था कि O+ वाले लोग कोरोना पॉजिटिव (Corona positive) कम हैं, लेकिन सीवियरिटी और डेथ रेट में बाकियों की तुलना में कोई फर्क नहीं है। कई अन्य देशों में भी इस पर रिसर्च जारी है।
- यंग लोगोंं के हार्ट पर भी कोरोना का असर
अब तक यही माना जाता रहा है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) सबसे ज्यादा फेफड़े को प्रभावित करता है। लेकिन, हालिया रिसर्च में सामने आया है कि ये वायरस हार्ट को भी प्रभावित करता है। यंग लोगों की मृत्यु तभी होती है जब उनके हार्ट पर वायरस का असर ज्यादा होता है। उन्हें सांस लेने में ज्यादा परेशानी होती है।
- मास्क देता है वैक्सीन से ज्यादा सुरक्षा
जब तक कोरोना की दवा नहीं आती, तब तक लोगों को मास्क का प्रयोग करने की सालाह दी जा रही है। मास्क को ही लेकर सीडीसी, अमेरिका के निदेशक ने कहा कि मास्क वैक्सीन से भी ज्यादा प्रभावी है।
पढ़ें- वैक्सीन नहीं कोरोना वायरस से बेहतर बचाव करेंगे मास्क!
2. कैंसर की दवा AR-12 से कोरोना को बढ़ने से रोका जा सकता है- रिसर्च
कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को रोकने के लिए तरह-तरह के प्रयास और अध्ययन किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इसके प्रसार को रोकने के लिए कोई कारगर वैक्सीन नहीं बनी है जिससे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने का दावा किया जा सके।
हाल ही में अमेरिका में हुई रिसर्च में सामने आया है कि कैंसर की दवा AR-12 से कोरोना और उसकी संख्या को बढ़ने से रोका जा सकता है। इस ड्रग पर अगला ट्रायल 2021 की शुरुआत में होगा।
AR-12 को ओरल ड्रग (मुंह से दी जाने वाली दवा) के तौर पर दिया जा सकता है। अब तक हुए ट्रायल में साबित हो चुका है कि यह सुरक्षित है।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कैंसर ड्रग AR-12 से कोरोना को रोकने का दावा किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस ड्रग से संक्रमण के बाद शरीर में कोरोना की संख्या बढ़ने से भी रोका जा सकता है। यह रिसर्च अमेरिका की कॉमनवेल्थ वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की है।
AR-12 का इस्तेमाल जीका, इन्फ्लुएंजा, रुबेला, चिकनगुनिया और ड्रग रेसिस्टेंट एचआईवी में किया जा चुका है। इसके इस्तेमाल से अब तक सामने आए परिणाम असरदार रहे हैं।
जानें, कैसे काम करती है कैंसर की दवा AR-12
वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर पाउल डेंट का कहना है, AR-12 ड्रग काफी अलग तरह से काम करती है। यह वायरस के प्रोटीन को तैयार करने वाले उस हिस्से (सेल्युलर शेपरोन) को रोकती है जिसकी वजह से यह संक्रमण फैलाता है।
बायो केमिकल फार्मेकोलॉजी जर्नल के मुताबिक, वायरस को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए GRP78 प्रोटीन की जरूरत होती है, AR-12 ड्रग इसी प्रोटीन को रोकती है। इसकी मदद से वायरस इंसानों में अपनी संख्या बढ़ाता है।
3. जानें, कैसे काम करेगी COVID-19 की नई फेलूदा टेस्ट किट
लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच कोविड-19 की एक नई टेस्ट किट- ‘फेलूदा’ तैयार की गई है। जिसे ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) ने इसके इस्तेमाल की मंजूरी भी दे दी है। DCGI ने कोविड-19 की फेलूदा टेस्ट किट को सबसे सस्ता और असरदार भी माना है।
कोविड-19 (Covid-19) की नई टेस्ट किट ‘फेलूदा’ का नामकरण मशहूर फिल्मकार सत्यजीत राय के उपन्यास के चर्चित पात्र ‘फेलूदा’ पर किया गया है।
फेलूदा टेस्ट किट सिर्फ दो घंटे में परिणाम उपलब्ध करा देती है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के मुताबिक, फेलूदा टेस्ट आरटी-पीसीआर टेस्ट जितना सटीक होता है। यह 96 फीसदी संवेदनशीलता और 98 फीसदी कोरोना वायरस को पहचानने की विशिष्टता रखता है। और पढ़ें- जल्द आने वाली है कोरोना की ये खास वैक्सीन
कैसे की जाती है जांच –
कोविड-19 (Covid 19) की जांच के लिए फेलूदा टेस्ट में थूक व खून के सैंपल लिए जाते हैं। इसकी जांच स्ट्रिप से की जाती है। यदि कोई कोरोना पॉजिटिव है तो स्ट्रिप का रंग बदल जाता है और उस पर दो लकीरें बन जाती हैं। इसके लिए प्रयोगशाला स्थापित करने की जरूरत होती है। इसकी कीमत 600 रुपये रखी गई है।
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