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भारत बंद करना समस्या का हल नहीं, युवाओं को कोरोना वायरस से बचाएं -IAS विक्रम जिंदल

भारत बंद करना समस्या का हल नहीं, युवाओं को कोरोना वायरस से बचाएं -IAS विक्रम जिंदल

चीन से शुरु हो कर दुनिया भर में अपना कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस से लोग घबरा रहे हैं लेकिन लोगों को वाकई इससे घबराना चाहिए या फिर सावधानी बरतनी चाहिए। इस पर आईएएस अधिकारी विक्रम जिंदल ने अपने विचार और लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है को लेकर अपने अनुभव साझा किए हैं। (सोर्स- मीडियम)

यह जानने के बाद की यूरोप में डॉक्टर बहुत तेजी से संक्रमित हो रहे हैं, मैंने अपने छोटे भाई विपुल को कॉल करके भारत आने को कहा जो कि न्यूयॉर्क में डॉक्टर है। उसने बताया कि अब उनके पास कोरोना से बचने का कोई रास्ता नहीं है क्योंकि इससे संक्रमित मरीज वहां भर्ती थे और कई डॉक्टर खांस रहे थे। उसने बताया ऐसा लगता है कि दुनिया पहले से ही संक्रमित है, हम इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं, फिर भी उम्मीद करते हैं कि हमें कोरोना नहीं होगा। जबकि शीर्ष वैज्ञानिक कह रहे हैं, दुनिया के 70% लोग संक्रमित हो जाएंगे और हममें से ज्यादातर को नियमित रूप से वायरल बुखार होगा।

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कैसी विडंबना है कि मेरा छोटा भाई इस महामारी से लड़ने के लिए सबसे आगे है जबकि मैं स्टैनफोर्ड में अपने कमरे में छिपा हुआ हूं। वाकई में दुनिया बदल रही है मुझे भी दुनिया के अधिकांश लोगों की तरह डर था। कोटा शहर नगर निगम के आईएएस कमिश्नर बनने से लेकर अब तक मैं दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में डॉक्टर बनने से कितना दूर आ गया हूँ। यह कार्य करने का समय छिपा नहीं है।

क्या होगा मेरे प्रिय देश भारत का,जींद में मेरे दादा का और न्यूयॉर्क में मेरे भाई का? मुझे क्या करना चाहिए? मेरे हिसाब से यह बहुत ही गंभीर है। लेकिन अभी मुझे यह बताना चाहिए कि मैं क्या सोच रहा हूं? मुझे आपको इस वायरस से लड़ने के लिए तैयार करना है। कोरोना वायरस पहले से ही भारत के बहुत सारे युवाओं में है, बस वो अभी संपर्क में नहीं आए हैं।

दुनिया में क्या चल रहा है?

पिछले तीन महिनों में कोरोना वायरस चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली, ईरान और इससे भी कई अधिक देशों में अपने पैर फैला चुका है। जब तक स्वास्थ्य मंत्री और राष्ट्रपति खुद बीमार नहीं पड़ने लगे उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। हर जगह राजनीतिक नेतृत्व ने इसे बहुत हल्के में लिया है।  तब तक यह वायरस दुनिया पर आसमान से एक आफत की तरह आ गिरा और डॉक्टरों के लिए यह समझ पाना मुश्किल हो रहा था कि किसे बचाया जाए और किसे नहीं। नेताओं की प्रतिक्रिया को बेवकफ बनकर निर्देशित नहीं किया जा सकता। उन्हें शामत रहकर दूसरे देशों को एकजुट करने में अपनी ताकत दिखानी चाहिए।

कोरोना वायरस के लिए भारत का ज्ञान 2 हफ्ते पुराना

दरअसल, कोरोना के बारे में हमारा ज्ञान सिर्फ दो सप्ताह पुराना है। और इस तरह इसका जीवनकाल मात्र दो हफ्ते का है। ऐसे में नेताओं की इस पर मुर्खतापूर्ण प्रतिक्रिया आना, कहां तक सही है। हमें चीन, इटली, कोरिया की गलतियों और सफलताओं से सीखना चाहिए; हमारे पास केवल एक मौका है।

कोरोना वायरस एक महामारी

  • वे कहते हैं कि संभवत भारत में संक्रमण ज्यादा नहीं फैलेगा , या फिर वो सिर्फ हैंडवॉश करके ही इससे दूर हो जाएंगे। यह मुझे मेरे बचपन की याद दिलाता है, “जब एक कबूतर एक बिल्ली को देखता है, और उसे देखकर आंखे मूंद लेता है। कबूतर को लगता है जबसे वह बिल्ली को नहीं देख रहा तो इसका मतलब बिल्ली मौजूद नहीं है।
  • मेरे शहर में लोगों को लग रहा है कि चीन, इटली पहले से ही कोरोना वायरस से संघर्ष कर रहे हैं यही हाल अमेरिका का है तो उन्हें अपने यहां जिंदगी बड़ी ही आसान और सुरक्षित लग रही है।
  • द वॉकिंक डेड के मुताबिक, असली दुनिया इस तरह काम नहीं करती, सबसे पहले उन्हें यह जानने की जरूरत है कि अगर यह वायरस एक बार फैल गया तो नष्ट करना मुश्किल होगा इसलिए अभी समाज में स्वंय का स्थायी आधार बनाने की जरूरत है। 
  • अफवाहों के चक्कर में न पड़े, दुनिया के सभी देश फिलहाल एक ही दौर से गुजर रहे हैं। अभी कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के रिएक्शन आने शुरु नहीं हुए हैं। और इसे शुरु होने में बहुत कम समय है कि इस दौर में कितने लोग संक्रमित हुए, और वो किस दौर से गुजरे एक बार उनकी प्रतिक्रिया आनी शुरु हो गई तो उसे कोई नहीं रोक सकता । एक संक्रमण से हजार लोगों के संक्रमित होने और एक मौत के बाद लगातार मौतों का  आंकड़ा बढ़ने का…यह सभी देशों में एक साथ एक जैसे हो रहा है। भारत आज उस दौर में जहां तीन सप्ताह पहले इटली और 10 दिन पहले अमेरिका था। कहने का मतलब हम एक ही दौर से गुजर रहे हैं। 
  • हर दिन 200 मामलों के निदान और दस मौतों की एक सीमा के बाद, संक्रमण हर तीसरे दिन दोगुना हो जाता है।

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भारत में अब तक कोरोना वायरस के 170 केस सामने आए हैं अगर इन संक्रमित लोगों को छोड़ दिया जाए और एक भी नया केस अगर अब नहीं बने तो समझ सकते हैं हम बच गए और सुरक्षित हैं। बस! एक राष्ट्र के रुप में इस तरह मानना ही हमारी सबसे बड़ी भूल है। हमें इसे रोकने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। संक्रमित लोगों से कहीं अधिक संक्रमण उनके संपर्क में आए लोगों में है। इसलिए हमें हमारे राष्ट्रीय प्रयासों पर पुनर्विचार करना चाहिए। भारत को रास्ता बदलने की और राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत कदम उठाने की जरूरत है। 

संपर्क में आने से संक्रमण का मामला- अच्छी और बुरी खबर

लोग रोगों से ग्रसित होने के दस दिनों के बाद बुखार के लक्षण दिखाते हैं, जबकि वे अभी भी पहले दिन से संक्रमित हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश के अधिकांश बंदरगाहों पर स्क्रीनिंग केवल बुखार के लिए है। 

भारत के पास पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग किट उपलब्ध नहीं हैं, हमारे पास कोई विकल्प नहीं है, हम भी बाकि देशों की तरह हैं और किसी भी देश के पास प्रत्येक व्यक्ति की जांच के लिए परीक्षण किट (टेस्टिंग किट) उपलब्ध नहीं है। लोग सिर्फ कोरोना के लक्षण दिखाई देने पर अस्पतालों में आए। प्रत्येक वयक्ति के लिए विशेष किट से टेस्टिंग करना संभव नहीं है। केवल एक देश ने ऐसा किया है हम उससे क्या सीख सकते हैं। 

दक्षिण कोरिया एकमात्र ऐसा देश है जिसने तीस के तहत स्पर्शोन्मुख परीक्षण किया यानि की जो केवल संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लेकिन उनमें वायरस होने के कोई लक्षण अभी तक नहीं दिखें हैं या वो अभी तक बीमार नहीं पड़ें हैं। वे वायरस के लिए सकारात्मक थे, फिर भी कोई बुखार या अन्य लक्षण नहीं थे। और इस जनसंख्या समूह में मृत्यु दर लगभग शून्य है।

इससे पता चलता है कि ताजा समय में 30 और 40 से कम उम्र के लोग ज्यादा संक्रमित हैं।50 से ऊपर के लोगों की मृत्यु दर शून्य है इसलिए हमारा फोकस इस उम्र के लोगों पर अधिक होना चाहिए। 

 50 से ऊपर,  80 से अधिक उम्र के लोगों में 4% से 7.2% मृत्यु दर तेजी से बढ़ जाती है। यही वजह है कि पिछले 24 घंटों में इटली में 350 लोगों की मृत्यु हो गई। 

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कोरोना संक्रमण का जीवन चक्र

अच्छी स्वास्थ्य रणनीति के साथ दुनिया में कोरोना वायरस से मृत्यु दर 1 प्रतिशत है। लेकिन दिल्ली जैसी जगह पर 20 मिलियन की आबादी के लिए केवल 8000 बेड की व्यवस्था होना, मृत्यु दर को 20 प्रतिशत बड़ा सकता है। विशेष रुप से 60 की उम्र के पार लोगोंं के लिए… वहीं 30 से कम उम्र के लोगों में वायरल की संभावना अधिक है।हममें से दो तिहाई आज, अगले महीने या एक साल में संक्रमित हो जाएंगे। हमारे पास इसकी कोई प्रतिरक्षा नहीं है, और कोई भी इससे बच नहीं सकता है। एक साल से पहले कोई टीका नहीं आएगा। प्रत्येक सौ संक्रमित लोगों में से, बीस अस्पताल में और दस आईसीयू में समाप्त हो जाएंगे। 

कोरोना वायरस पर वर्तमान में किए जा रहे राष्ट्रीय प्रयास

1.अब तक, हमारे राष्ट्रीय प्रयासों में बुखार के लिए लोगों की जाँच करना हैंडवाशिंग और सामाजिक अलगाव (यानि की लोगों के संपर्क में आने से बचें) का अभियान चलाया जा रहा है। वहीं रोगग्रस्त व्यक्तियों को खोजकर उन्हें सेल्फ आइसोलेशन में चले जाने की सलाह दी जा रही है।

2.यदि हम आंकड़ों पर विश्वास करते हैं, तो पहली बार हताहत होने से पहले ही युवा आबादी में वायरस अधिक फैल गया है। संभवतः एक मौत के पीछे, आबादी और कई शहरों में 10000 से अधिक संपर्क में आए वयस्क हैं।

3.इस पर ध्यान देना चाहिए कि हमारी 30 से कम उम्र की आबादी पहले से ही संक्रमित है तो हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग कैसे पर्याप्त होगी।

4. अगर हमने अस्पताल में सभी मामलों का निदान किया है तो संक्रमण क्यों बढ़ रहा है? क्या हमें सभी एजेंसियों के साथ प्रत्येक निदान मामले के बाद वास्तव में जाना चाहिए? मैंने नगरपालिका निकायों द्वारा प्रत्येक मामले पर नज़र रखने वाली फाइलें देखी हैं, मुझे डर है कि यह थोड़ी देर के लिए है।

5. महानगरों में तीस साल से कम उम्र के 1000 लोगों पर परीक्षण करना  चाहिए । ऐसे समय में, क्या हमें कमजोर समूहों पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए? जो लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं।

6. युवा या बुजुर्गों को आगे के प्रसारण को रोकने के लिए सामाजिक दूरी आवश्यक है। लेकिन, क्या हमारे सामाजिक दूरदर्शी प्रोटोकॉल अदूरदर्शी हैं? हमें ध्यान देना चाहिए कि वायरस केवल सीमा के बाहर और अस्पतालों में ही नहीं, बल्कि संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से भी फैल रहा है। 

एक देश के रूप में हमारी तैयारियां

इटली में 65 से अधिक उम्र के रोगियों को ज्यादा गंभीर रुप से नहीं लिया जा रहा उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया है। क्योंकि डॉक्टर और उपकरण बहुत ही सीमित हैं। यह दुनिया में सबसे अच्छी स्वास्थ्य प्रणाली वाला देश है जबकि भारत इस मामले में 112 वें स्थान पर है। साल 2018 में कोटा शहर में डेंगू वायरस की वजह से 30 से अधिक मौतें हुई थी। ये तब था जब सरकार पूरे बहुमत में थी लेकिन कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। उस वक्त सिस्टम न केवल मौतों के आंकड़े को रोकने में असफल हुआ बल्कि डेंगूं से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही थी यह मानने से भी इनकार करता रहा । चार महीने के अंदर यह संख्या 200 से 300 के पार पहुंच गई थी। लेकिन कोरोना डेंगू नहीं है, यह जंगल की आग की तरह फैल रहा है। 

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क्या करें

हमारा देश बहुत ही अनोखा है। हमारे पास साहस और लड़ाई की भावना की कोई कमी नहीं है, फिर भी हमारे पास सीमित संसाधन है। हमारे शहरों में बढ़ती भीड़ तो देखते हुए दुनिया की तुलना में हमारे पास अस्पतालों में बेड की व्यवस्था बहुत कम है। जबकि हमारे लोग इस तरह के जटिल संक्रमण को गंभीर रुप से नहीं ले रहे। 

गर्मियों में वायरस का असर होगा या नहीं, यह कोई नहीं कह सकता। हम तो यह मानना चाहते हैं कि गर्मियों में इस वायरस का असर कम हो जाएगा, लेकिन अभी तक वैज्ञानिक रुप से यह साबित नहीं हुआ है। बस एक कोरी आशा है। कि गर्मियों में इस गंभीर वायरस का असर कम हो जाएगा और हम सुरक्षित हो जाएंगे।  मालूम हो, स्पेनिश फ्लु मार्च 1918 में आया था। एक लहर के बाद जब यह फ्लु पलटकर वापस आया तो इसकी लहर बहुत घातक थी, बहुत ज्यादा घातक!!

एक बिलियन के देश को बंद करना अब पर्याप्त नहीं होगा। जैसे ही कोरोना वायरस का कहर आएगा प्रत्येक मामले के ट्रैक करना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए हमारे पास इससे निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त इंतजाम होने चाहिए।

बूजुर्गो को युवाओं से बचाओं न कि युवाओं को विदेशियों से। 60 से अधिक उम्र के लोगों को किसी भी मामले में 40 से कम उम्र वालों से नहीं मिलना चाहिए। घरों में अलग बाथरूम और कमरे होने चाहिए। बूजुर्गो को अलग-थलग करने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान चलाया जा सकता है। 

सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल : लोग एक दूसरे के संपर्क में आने से बचें, इसके लिए बहुत जरूरी है कि  परीक्षा और स्कूलों को पूरी तरह से स्थगित करना, सभी गैर-जरूरी सरकारी कार्यालयों को बंद करना होगा। 25 की उम्र से ऊपर की सभी सभाओ, मिटिंग्स आदि को तुरंत प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। लोगों को एक पेड अवकाश, सहायक भत्ता और मजदूरी देकर सुरक्षा देनी चाहिए। 

24 जनवरी को चीन ने 15 शहरों को बंद कर दिया। और यही उनके लिए चीजों को नियंत्रित करने का एकमात्र तरीका था। हमें भी अब उन पंक्तियों पर सोचना शुरू करना पड़ सकता है। यह अंतिम समाधान है, प्रत्येक सामाजिक संपर्क को 2-3 सप्ताह के लिए रोक दें, और वायरस बड़े पैमाने पर नष्ट हो जाएगा। लेकिन कब करें? मुझे नहीं पता।

क्या कोरोना हमें धरती से खत्म कर सकता है? हर्गिज नहीं।

संभवत हम एक राष्ट्र के रुप में इस वायरस से बहुत हद तक बच गए हैं। लेकिन क्या यह कई प्रियजनों की जान ले लेगा? क्या कोरोना वायरस राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में खलल डालेगा? निश्चित रुप से सरकार ने स्कूलों और बॉर्डर्स को बंद करके एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने समय पर इटली और ईरान में फंसे हमारे नागरिकों को वापस ला दिया है।

भारत आलोचकों का देश हैं जहां जल्द ही सरकार के इस फैसले से लोगों को हुई कठिनाई और नागरिकों की स्वतंत्रता का हवाला देकर मूल्यांकन किया जाएगा। आपातकालीन स्थिति में सरकार के इस फैसले पर अगर कोई अपनी आलोचक राय देता है या कोई इसे गलत ठहराकर टिप्पणी करता है तो सरकार को उसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। 

इस आपात स्थिति में हमें अपनी सरकारों और राष्ट्रीय नेताओं के साथ खड़े होने और उन्हें यह बताने की आवश्यकता है कि देश को स्थिर रखने के लिए जितने कठिन निर्णय लेने पड़ें वो लिए जाएं लेकिन यह भी सुनिश्चित करें कि हम लाखों लोगों को नहीं खोएंगे। और यदि सरकारें इस कार्य में सर्वश्रेष्ठ प्रयास करती हैं तो फिर हम भी आपको कभी भी असफल नहीं होने देंगे। देश को सुरक्षित रखने में, देश की हिफाजत में हमेशा आपके निर्णय का साथ देंगे।

 “संक्रमण सामने आए केसों तुलना में बहुत अधिक है, बूजुर्गो को युवाओं से बचाएं, और इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए युवा एक दूसरे से दूर रहें।”

आयु है आपका सहायक

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