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Corona Weekly update: नीम से काबू होगा कोरोना, सबसे पहले भारत को मिलेगा ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका का वैक्सीन

Corona Weekly update: नीम से काबू होगा कोरोना, सबसे पहले भारत को मिलेगा ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका का वैक्सीन

कोरोना (Corona) महामारी के इलाज के लिए दुनिया के कई देशों में वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। कोरोना को हराने की प्रतिस्पर्धा में आयुर्वेद भी आगे आ गया है। कोरोना को खत्म करने के लिए नीम के कैप्सूल पर परीक्षण किया जा रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो घर-घर में मिलने वाला नीम कोरोना को खत्म करने के लिए रामबाण इलाज साबित हो सकता है।

1. नीम से काबू में होगा कोरोना

Neem leaves benefits
नीम के पत्तों के फायदे

गौरतलब है कि ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (एआईआईए) के साथ मिलकर आयुर्वेद कंपनी निसर्ग बायोटेक नीम के कैप्सूल पर शोध कर रही है। सात अगस्त से इन कैप्सूल पर शोध प्रक्रिया शुरू किया गया और अब 12 अगस्त से नीम के बने इस कैप्सूल का मानव परीक्षण भी शुरू हो चुका है।

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और हरियाणा सरकार ने स्वीकृति मिलने के बाद इसका परीक्षण फ़रीदाबाद के ईएसआईसी अस्पताल में किया जा रहा है। और पढ़ें- भारत में कोरोना वायरस )

2. भारत में सबसे पहले मिलेगा ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका का वैक्सीन 

भारत में सबसे पहले मिलेगा ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका का वैक्सीन
भारत में सबसे पहले मिलेगा ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका का वैक्सीन

कोरोना वैक्सीन ट्रैकरः भारत को सबसे पहले ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन मिलेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार, दुनिया में 29 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल्स से गुजर रहे हैं। वहीं 138 वैक्सीन प्री-क्लिनिकल टेस्टिंग में हैं। 

3. भारत में पहली बार आवाज़ से होगी कोरोना मरीज़ों की पहचान

Corona Patients Will Be Identified By Voice
Corona Patients Will Be Identified By Voice

कोरोना मरीज़ों की पहचान के लिए भारत में नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक के जरिए कोरोना मरीज़ों की पहचान आवाज़ से होगी, जिस का नतीज़ा मात्र 30 मिनट में आपको घर बैठे ही मिल जाएगा। देश में पहली बार आवाज़ के आधार पर काेराेना का परीक्षण होने जा रहा है। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) एक हजार लोगों पर पायलट प्रोजेक्ट के जरिए ऐप आधारित तकनीक से कोरोना के लक्षणों की जांच करेगी।

आवाज़ से ऐसे होगा कोरोना टेस्ट

बतादें, कोरोना मरीज़ों को वोकलिस हेल्थ सॉफ्टवेयर स्मार्टफोन या टैब में डाउनलोड करना होगा। उसमें अपनी आवाज़ रिकॉर्ड करनी होगी और 30 मिनट में कोरोना का रिजल्ट आ जाएगा। सॉफ्टवेयर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए काम करेगा और घर पर, ऑफिस में या ट्रेवल पर निकलने से पहले खुद टेस्ट करके फायदा लिया जा सकता है। 

ग़ौरतलब है कि अमेरिका और इजरायल में इस तकनीक से ही कोरोना का टेस्ट किया जा रहा है। माना जा रहा है, अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसे आगे भी अमल में लाया जाएगा। बतादें, वोकलिस हेल्थ अमेरिकी कंपनी है।

जिन मरीज़ों का कोरोना के लिए आवाज का टेस्ट लिया जाएगा, उनका आरटी-पीसीआर (ड्राई स्वैब के प्रोटेक्टिव ट्यूब में लिए नमूने) टेस्ट भी होगा। फिर दोनों टेस्ट का अध्ययन और मूल्यांकन किया जाएगा कि कौन सा टेस्ट ज्यादा सटीक है और कौन से टेस्ट में रिजल्ट कितनी जल्दी आते हैं। (और पढ़ें- ऑस्ट्रेलिया अपने नागरिकों को मुफ़्त में बांटेगा कोरोना वैक्सीन )

4. भारत में कोरोना वायरस का नया रूप-D614G की दस्तक-

corona strain d614g scaring indian scientists
corona strain d614g scaring indian scientists

कोरोना वायरस के नए रूप (स्‍ट्रेन) ने वैज्ञानिकों (Scientist) की चिंता बढ़ा दी है। कोरोना वायरस का नया रूप (स्ट्रेन)- D614G के भारतीय रेस्तरां मालिक में सामने आने के बाद भारतीय वैज्ञानिक डरे हुए हैं। और इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि रेस्तरां मालिक में मिला स्ट्रेन – D614G कोरोना वायरस कहां से आया। 

कोरोना वायरस का नया रूप- स्‍ट्रेन D614G भारत में…

ग़ौरतलब है कि भारत (India) से मलेशिया (Malaysia) गए एक रेस्त्रां मालिक में स्‍ट्रेन- D614G पाया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, स्‍ट्रेन- D614G कोरोना वायरस का सबसे खतरनाक रूप है। दुनिया में फैले कोरोना वायरस से ये 10 गुना ज्यादा ताक़तवर है।

ऐसे में अगर इस वायरस से संक्रमित मरीज़ों की संख्या बढ़ती है तो वैज्ञानिकों को इस महामारी का टीका और दवाएँ खोजने में एक बार फिर नए सिरे से मशक्कत करनी पड़ सकती है। 

जानकारी के अनुसार, मलेशिया में जिन तीन लोगों में कोविड का D614G मिला, उनमें एक रेस्‍तरां मालिक भी है जो भारत से लौटा। हैरानी की बात ये है कि मलेशिया लौटने के बाद इस भारतीय रेस्त्रां मालिक ने खुद को 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन नहीं किया, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है।

(और पढ़ें- वैज्ञानिकों के लिए चुनौती ! )

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