Corona Brief News : कोरोना से टक्कर लेगी कोविड ब्रिगेड, जानें,सीरो सर्वे में पॉजिटिव और निगेटिव आने का मतलब
कोरोनावायरस (Coronavirus) के लगातार बढ़ने के अनुमान के चलते एहतियातन केरल (Kerala) में ‘कोविड ब्रिगेड’ (COVID Brigade) तैयार की जा रही है। देश में सबसे पहला कोरोना केस भी केरल में रिपोर्ट किया गया था, और अब माना जा रहा है कि अगले महीने केरल में एक बार फिर कोरोना मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है।
दूसरी तरफ़, दुनियाभर में फैल चुके कोरोनावायरस और उससे होने वाले रोग COVID-19 के मद्देनज़र सीरोलॉजिकल सर्वे (Serological Survey) कराए जा रहे हैं। इसमें किसी भी संक्रामक बीमारी के खिलाफ शरीर में पैदा हुए एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है।
1.क्या है Serological Survey के पॉजिटिव और निगेटिव आने का मतलब
कोरोनावायरस या SARS-CoV-2 जैसे वायरस से संक्रमित मामलों में ठीक होने वाले मरीज़ों में एंटीबॉडी बन जाती है, जो वायरस के खिलाफ शरीर को प्रतिरोधक क्षमता देती है।
मालूम हो, कोरोनावायरस पहले से मौजूद रहा है, लेकिन SARS-CoV-2 इसी फैमिली का नया वायरस है, ऐसे में हमारे शरीर में पहले से इसके खिलाफ एंटीबॉडी नहीं है, लेकिन हमारा शरीर धीरे-धीरे इसके खिलाफ एंटीबॉडी बना लेता है।
बतादें, भारत में दिल्ली, मुंबई और पुणे जैसे शहरों में सीरो सर्वे कराए गए हैं, जिनके नतीजों में सामने आया है कि यहां ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है, जिनके शरीर में कोविड-19 महामारी के खिलाफ एंटीबॉडी बन चुकी है।
जानें, सीरो सर्वे में पॉजिटिव और निगेटिव आने का मतलब
अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की परिभाषा के अनुसार, सीरो सर्वे में लिए गए ब्लड सैंपल में पॉज़िटिव और नेगेटिव आते हैं।
पॉज़िटिव आने का मतलब है कि व्यक्ति पहले वायरस के संक्रमण की चपेट में आ चुका है और उसके शरीर में वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है। यही प्रवृत्ति जब बड़ी जनसंख्या में दिखने लगती है, तो इसे हर्ड इम्यूनिटी कहते हैं।
वहीं अगर टेस्ट निगेटिव आता है तो इसका मतलब हो सकता है कि या तो वह व्यक्ति वायरस की चपेट में कभी नहीं आया, या वायरस की चपेट में आने के बाद अभी इतना वक्त नहीं हुआ है कि उसके शरीर में एंटीबॉडी बनी हों। बता दें कि एक कोरोना मरीज़ के शरीर में एंटीबॉडी बनने में कम से कम एक से तीन हफ्ते का वक्त लगता है।
दरअसल, सीरो सर्वे में देखा जाता है कि कितने लोगों के शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन चुकी हैं। एंटीबॉडी एक तरीके का प्रोटीन होता है, जो वायरस के प्रति शरीर को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।
2. ‘कोविड ब्रिगेड’ लेगी कोरोनावायरस से टक्कर
- केरल में एहतियातन ‘कोविड ब्रिगेड’ (COVID Brigade) तैयार की जा रही है। इस ब्रिगेड में एक्सपर्ट्स शामिल होंगे और डॉक्टर एशले फ्रैंकलिन भी इसके पहले बैच का हिस्सा हैं। एशले दो साल के बच्चे की मां हैं। घर से करीब 560 किलोमीटर दूर रहकर कोरोना मरीज़ों की सेवा करने का उनका संकल्प सराहनीय है।
- बतादें, डॉक्टर एशले 26 सदस्यीय उस टीम का हिस्सा है, जिसे कसारागोड़ स्थित कोविड फ़र्स्ट लाइन ट्रीटमेंट सेंटर्स (CFLTC) भेजा जाएगा।
- तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में टीम की तैयारियों को लेकर मॉक ड्रिल भी हो चुकी है. पेशे से लैब टेक्निशियन अल-अखीम टीम टीम में सबसे उम्र के सदस्य हैं।
- ग़ौरतलब है कि 10 हजार से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों ने ‘कोविड ब्रिगेड’ का हिस्सा बनने के लिए हामी भरी है. इस टास्क फोर्स में डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्निशियन, सामाजिक कार्यकर्ता और बिज़नेस मैनेजमेंट से जुड़े लोग शामिल हैं।
3. इजराइल के 3 वैज्ञानिकों ने खोजा कोरोना टेस्टिंग का स्मार्ट तरीका
कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए तरह तरह के अविष्कार इज़ाद किए जा रहे हैं, इसी कड़ी में इजराइल के 3 वैज्ञानिकों ने कोरोना टेस्टिंग का स्मार्ट तरीका निकाला है। इसके जरिए एक बार में ही समूह के सैंपल से पॉजिटिव मरीज की पहचान हो जाएगी।
इस तकनीक की अक्टूबर से 12 लैबों में पूल-टेस्टिंग होगी। जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी विशेषज्ञों ने भी इस तकनीक को सराहा है और जल्द ही ट्रायल की अनुमति मांगी है।
यह परंपरागत टेस्टिंग से ज्यादा तेज और कारगर साबित हो रहा है। इसमें लोगों के समूह (पूल) से किसी एक व्यक्ति का टेस्ट कर बाकियों में संक्रमण का पता लगाया जाता है। इस पद्धति को इजरायली स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्कूल और कॉलेज कैंपस में टेस्टिंग के लिए अप्रूव कर दिया है।
इस तकनीक को इजराइल ओपन यूनिवर्सिटी के डॉ नाओम शेंटल और उनके सहयोगियों डॉ. टोमर हर्ट्ज और एंजेल पोर्गडोर ने खोजा है। उन्होंने इसे पी-बेस्ट यानी पूलिंग आधारित सार्स-कोविड 2 टेस्टिंग नाम दिया है।
4. सावधान ! गर्भनाल पर भी कोरोना वायरस का अटैक
- कोरोना महामारी जितनी खतरनाक होती जा रही है, उतना ही जल्दी इसका स्वरूप भी बदल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना (Corona) का SARS-CoV-2 संक्रमण, गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) के लिए किसी बड़े खतरे की तरह है।
- दरअसल, मुंबई (Mumbai) में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें कोरोना संक्रमण के कारण एक महिला का पहले ही ट्राइमेस्टर में गर्भपात हो गया। जांच में पाया गया कि कोरोना वायरस का संक्रमण गर्भनाल और प्लेसेंटा से होते हुए भ्रूण तक पहुंच गया था।
- पिछले हफ्ते नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ (NIRRH) द्वारा जारी किए गए एक शोध में पाया गया है कि यह भारत का पहला केस है, जिसमें कोरोना का संक्रमण दो सप्ताह के बाद भी टिशू में जिंदा रहा, जबकि उसे गले से हटा दिया गया था।
- कितना खतरनाक है कोरोना वायरस का SARS-CoV-2 रूप? इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यह शरीर में न केवल जिंदा रहा, बल्कि इसने शरीर के अंदर और भी अधिक कोरोनावायरस की संख्या बढ़ा ली और बाद में महिला के गर्भनाल को नुकसान पहुँचा दिया।
5. घबराएं नहीं, कोरोना मरीज़ों से संक्रमित होने का खतरा मात्र 8 फीसदी
कोरोनावायरस पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा जारी सर्वे में सामने आया है कि 92 फीसदी मामलों में कोरोना पीड़ित से घरवालों को संक्रमण नहीं होता जबकि ऐसे मरीज़ों से संक्रमित होने का खतरा मात्र 8 फीसदी रहता है।
आईआईपीएच ने गुजरात के गांधीनगर में यह शोध किया। हालांकि अधिकारियों यह उजागर नहीं किया कि उन्होंने इस सर्वे में कितने मरीज़ों को शामिल किया।
बतादें, गुजरात में अभी एसिंप्टोमैटिक अथवा सामान्य लक्षण वाले 30% कोरोना संक्रमित मरीज प्रोटोकॉल के तहत होम आइसोलेशन में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस बात की सराहना की है।
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