Corona Brief News: कोरोना वैक्सीन का इंतज़ार अब खत्म ! मॉलिक्यूल Ab8 की खोज
Corona vaccine update: कोरोना वैक्सीन को लेकर दुनिया के कई देशों में काम चल रहा है और वैक्सीन अंतिम फेज में है। इसी बीच कोरोना महामारी से बचाने वाले कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) को लेकर चीनी कंपनी ‘सिनोवैक बायोटेक’ ने लोगों को एक खुशख़बरी दी है। जिसमें कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) के इसी महीने यानि सितंबर में आने का दावा किया गया है।
1. कोरोना वैक्सीन का अब बच्चों पर होगा ट्रायल
सिनोवैक बायोटेक के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, वह कंपनी ने इस महीने के अंत में बच्चों और किशोरों के साथ अपने प्रायोगिक कोरोना वायरस (Coronavirus) टीके का क्लीनिकल ट्रायल (Clinical trial) शुरू करने की योजना बनाई है।
सिनोवैक के प्रवक्ता ने कहा कि परीक्षण को चीनी नियामक ने पहले ही मंजूरी दे दी है। चीन ने कम से कम 10 हजार नागरिकों को प्रयोगात्मक कोरोना वायरस टीका लगाया है। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में वैक्सीन को ब्राजील, इंडोनेशिया और तुर्की में अंतिम चरण के बड़े पैमाने पर परीक्षणों में परीक्षण किया जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि बच्चों में वायरस आमतौर पर बड़ों की तुलना में हल्का होता है लेकिन बच्चों की गहन देखभाल की आवश्यकता होती है।
2. कोरोना को पूरी तरह खत्म करने वाला मॉलिक्यूल Ab8 की खोज
कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) को लेकर ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी की रिसर्च सामने आई है। यह रिसर्च चूहों पर की गई है,
ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने कोरोना को पूरी तरह खत्म करने वाले एक मॉलीक्यूल का पता लगाया है। यह सामान्य एंटीबॉडी से 10 गुना छोटा है। इस ड्रग का नाम Ab8 है। जिसका इस्तेमाल कोरोना के इलाज में किया जा सकता है।
रिसर्च में शामिल भारतीय वैज्ञानिक श्रीराम सुब्रहमण्यम ने पाया कि चूहे को यह ड्रग देने पर कोरोना से बचाव के साथ उसका इलाज भी किया जा सकता है। यह बेहद छोटा-सा मॉलीक्यूल है जो कोरोना को न्यूट्रिलाइज करता है। इस ड्रग को कई तरह से मरीज को दिया जा सकता है। जैसे ड्रग को सूंघकर भी शरीर में पहुंचाया जा सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि Ab8 कोविड-19 के मरीजों में थैरेपी की तरह काम करेगा। इंसानों की एंटीबॉडी में एक हिस्सा VH डोमेन से मिलकर बना होता है। यह Ab8 वैसा ही है।
3. ब्रिटेन में सूंघने वाली कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू-
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और इम्पीरियल कॉलेज लंदन ने सूंघने वाली कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू शुरू किया है। ट्रायल करने वाले रिसर्चर का कहना है नेबुलाइजर और माउथपीस के जरिए 30 लोगों को वैक्सीन की डोज दी जाएगी। उम्मीद है, यह सीधे फेफड़ों तक पहुंचेगी और बेहतर इम्यून रेस्पॉन्स दिख सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि फ्लू के मामले में नेसल स्प्रे वैक्सीन (नाक से दी जाने वाली) असरदार रही थी। इसलिए हम कोरोना के मामले में भी ऐसी ही वैक्सीन को लेकर प्रयोग कर रहे हैं। नेसल स्प्रे वैक्सीन को नाक (रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट) के जरिए देना सुरक्षित है।
सूंघने वाली कोरोना वैक्सीन अभी क्लीनिकल ट्रायल के शुरुआती स्टेज पर है। इसके ट्रायल में 30 लोगों को शामिल किया जाएगा। रिसर्चर का कहना है इंजेक्शन के मुकाबले नाक के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन की लो डोज भी वायरस से सुरक्षा देती है।
4. रूस की कोरोना वैक्सीन Sputnik V के दिखे साइड इफेक्ट
रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-5 (Sputnik V) एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। हालांकि, रूस ने स्पूतनिक-5 कोरोना वैक्सीन के सभी क्लिनिकल ट्रायल करने का दावा कर सबसे पहले कोरोना वैक्सीन की घोषणा की थी।
न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-5 (स्पूतनिक-5) के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में जिन लोगों को स्पूतनिक- 5 वैक्सीन दी जा रही है, उनमें हर सात में से एक में शख्स में साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। खुद रूस के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि स्पुतनिक-5 वैक्सीन लगाने के बाद सात वॉलंटियर्स में से एक ने इसके साइड इफेक्ट की शिकायत की है।
इन साइड इफेक्ट्स में हल्की कमज़ोरी, 24 घंटे तक मांसपेशियों में दर्द और शरीर के तापमान में वृद्धि आदि शामिल हैं। हालांकि इन लक्षणों को हल्का बताते हुए उन्होंने कहा कि ये अगले ही दिन गायब हो गए।
5. एक्स-रे से भी लगा सकते हैं कोरोना का पता
कोरोना संक्रमित मरीज़ों का RT-PCR टेस्ट अब सरकार ने जरूरी कर दिया है। कई बार लोग सामान्य सर्दी-जुकाम से पीड़ित होते हैं तो भी उनका टेस्ट निगेटिव ही आता है, इसलिए RT-PCR टेस्ट करते हैं।
अगर वायरस गले से फेफड़े तक पहुंच गया है और निमोनिया हो गया है तो एक्स-रे से यह पता चल जाता है। दरअसल वायरस फेफड़े में पहुंचने पर काफी तेजी से बढ़ने लगता है और अपना असर छोड़ता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक्स-रे से भी कोरोना का पता लगा सकते हैं, जब नाक और गले से लिए नमूने निगेटिव आए तो वायरस फेफड़ों में मौजूद हो सकता है। रैपिड एंटीजन टेस्ट को गोल्ड स्टैंडर्ड नहीं मानते हैं, इसलिए RT-PCR टेस्ट करते हैं। लोगों को यही सलाह है कि कोरोना का टेस्ट सरकारी अस्पताल जाकर ही कराएं।
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