Corona brief news: कोरोना वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल एडवांस स्टेज में, कोरोना मरीज़ों की रिकवरी में अमेरिका से आगे भारत
कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) विकसित करने का काम विभिन्न स्टेज पर चल रहा है। कोरोना वैक्सीन बनाने वाली 3 कंपनियां क्लिनिकल ट्रायल (Clinical trial) की एडवांस स्टेज में हैं। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि टीका विकास परीक्षण के चार कार्य क्लीनिकल पूर्व के अग्रिम चरण में हैं।
1. कोरोना वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल
राज्यसभा में उन्होंने कहा कि COVID-19 रोगियों के मकसद से उपचार विकल्पों का पोर्टफोलियो बनाने के लिए कुछ पहले से प्रचलित दवाओं के 13 क्लीनिकल परीक्षण चल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘30 से अधिक वैक्सीन अभ्यर्थियों को सहयोग दिया गया है जो विकास के विभिन्न चरणों में हैं। तीन अभ्यर्थी चरण प्रथम, द्वितीय और तृतीय के अग्रिम चरणों में हैं। चार से अधिक अग्रिम क्लीनिक्ल पूर्व विकास चरण में हैं।”
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि आयुष संजीवनी मोबाइल ऐप भी मंत्रालय की ओर से जारी किया गया ताकि COVID-19 की रोकथाम के लिए जनता के बीच आयुष संबंधी उपायों को लेकर आंकड़े जुटाए जा सकें।
2. वैक्सीन के ट्रायल और मार्केटिंग के लिए नई गाइडलाइन
कोरोना वैक्सीन के ट्रायल और मार्केटिंग के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। यह गाइडलाइन सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की ओर से जारी की गई है। देश में 7 मैन्युफैक्चर्स को प्री क्लीनिकल ट्रायल, एग्जामिनेशन और एनालिसिस के लिए इजाज़त दी गई है
नई गाइडलाइन के बाद अब कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को सीडीएससीओ से मंजूरी मिलने के बाद दो बार जानवरों पर ट्रायल करना होगा। पहले एक बार ही होता था। इसके अलावा मार्केट में लॉन्च करने के बाद भी वैक्सीन के असर पर नजर रखनी होगी।
क्या है गाइडलाइन में –
- प्री क्लीनिकल ट्रायल का पहला फेज होगा। इसमें छोटे जानवरों (चूहा, खरगोश, गिनी सुअर, हैमस्टर्स आदि) पर ट्रायल करना।
- छोटे जानवरों पर ट्रायल सफल होने के बाद इसे बड़े जानवरों पर ट्रायल करना होगा। उपलब्धता के ऊपर जानवर का सलेक्शन कर सकते हैं।
- ह्यूमन ट्रायल के तीन फेज में सफलता मिलने के बाद ही ऑर्गेनाइजेशन से इसे अप्रूव किया जाएगा।
3. रूस ने कोरोना की दवा फार्मेसी दुकानों में बेचने की मंजूरी दी
रूस ने कोरोना की कोरोनाविर नामक दवा को फार्मेसी दुकानों में बेचने की मंजूरी दे दी है। अगले हफ्ते से यह दवा दुकानों में मिल सकेगी। आर. फार्मा की इस दवा को हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीज प्रिस्क्रिप्शन दिखाकर खरीद सकेंगे।
इससे पहले मई में एविफेविर दवा को कोरोना मरीज़ों के लिए इस्तेमाल में लाने की इजाज़त दी गई थी। बतादें, दोनों ही दवा जापान में तैयार फेविपिराविर केमिकल से तैयार की गई है। फिलहाल इस केमिकल से बनी दवा का इस्तेमाल दुनिया भर में वायरस के इलाज के लिए किया जा रहा है।
4. कब तक उपलब्ध हो सकती है COVID-19 की प्रभावी वैक्सीन
Coronavirus Vaccine: कोविड-19 की प्रभावी वैक्सीन आमजन के लिए कब तक उपबल्ध होगी? इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने बताया कि अश्विनी चौबे ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि अगर कोविड-19 के टीके के क्लीनिकल परीक्षण (Clinical Trials) सफल होते हैं तो एक प्रभावी टीका (COVID Vaccine) 2021 की पहली तिमाही के अंत तक उपलब्ध हो सकता है।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पहले चरण के क्लीनिकल परीक्षण में भारत बायोटेक द्वारा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर तैयार की जा रही कोरोना वैक्सीन और कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड द्वारा विकसित किया जा रहा टीके सुरक्षित रहे हैं और अब उनकी प्रतिरक्षा क्षमता का परीक्षण चल रहा है। उन्होंने कहा कि इन टीकों के दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण चालू हैं।
5. कोरोना मरीज़ों की रिकवरी मामले में अमेरिका से भी आगे निकला भारत
दुनिया में कोरोनावायरस का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है लेकिन भारत के लिए अच्छी खबर है। शनिवार यानि 19 सितंबर को आए आंकड़ों के अनुसार मरीज़ों की रिकवरी के मामले में भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है।
सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि कुल ठीक होने वाले मरीज़ों की संख्या 42 लाख को पार कर गई है। वर्ल्डोमीटर वेबसाइट के अनुसार अभी अमेरिका में कोरोना से ठीक होने वाले मरीज़ों की संख्या 41,91,894 है, जबकि भारत में यह संख्या 42,05,201 हो गई है।
कोरोना के बढ़ते मामलों और मौतों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि अगर कोविड-19 के टीके के क्लीनिकल परीक्षण सफल होते हैं तो एक प्रभावी टीका 2021 की पहली तिमाही के अंत तक उपलब्ध हो सकता है।
6. 15 सेकंड में खत्म कर सकते हैं कोरोना वायरस, जानें कैसे?
- कोरोना वायरस को अब सिर्फ 15 सेकंड नाक और मुंह की आयोडीन से सफाई करके भी खत्म किया जा सकता है। ऐसा अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है अगर कोरोना के वायरस को नाक और मुँह में ही खत्म कर दिया जाए तो यह फेफड़ों तक नहीं पहुँच पाएगा।
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट स्कूल ऑफ मेडिसिन ने तीन तरह के एंटीसेप्टिक आयोडीन पर प्रयोग किया। रिसर्चर्स का कहना है, इंसान की नाक में सबसे ज्यादा ACE2 रिसेप्टर्स होते हैं, जो कोरोना को संक्रमण फैलाने में मदद करते हैं।
- ज्यादातर मामलों में वायरस की एंट्री नाक या मुंह से ही होती है। वायरस को यहीं रोकने के लिए क्लीनिकल ट्रायल में नाक और मुंह की सफाई पर फोकस किया गया है।
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