Corona vaccination : भारत में 16 जनवरी से होगा कोरोना का वैक्सीनेशन
कोरोना का वैक्सीनेशन (Corona vaccination) को लेकर काफी समय से इंतजार किया जा रहा था। जो आखिर 16 जनवरी को खत्म होने जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोरोना का वैक्सीनेशन प्राथमिकता के स्तर पर पहले तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और फ़्रंटलाइन वर्कर पर किया जाएगा।
1. भारत में कोरोना का वैक्सीनेशन
भारत में कोरोना का वैक्सीनेशन (Corona vaccination) को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 50 से अधिक और कम उम्र वाले जो किसी न किसी तरह की बीमारी से ग्रस्त हैं उन्हें कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह घोषणा प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में महामारी पर हुई समीक्षा बैठक के बाद की है।
2. कोरोना वैक्सीन का दूसरा ड्राई
भारत में कोरोना वैक्सीन का दूसरा ड्राई रन (Corona Vaccine dry run) 8 जनवरी से शुरू हो चुका है। इसके तहत देश के सभी जिलों में टीकाकरण का पूर्वाभ्यास (Corona vaccination) कराए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।निर्धारित प्रोटोकॉल के मुताबिक सबसे पहले इसे हेल्थ केयर कर्मियों यानी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और स्वास्थ्य से जुड़े लोगो को दिया जाएगा। इनकी संख्या 80 लाख से एक करोड़ बताई जा रही है।
बताया जा रहा है कि शहर से लेकर गाँवों तक टीकाकरण की प्रक्रिया पूरा करने के मक़सद से क़रीब साढ़े चार लाख कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इसी कड़ी में भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन (कोवैक्सीन) को 12 साल से बड़ी उम्र के बच्चों के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है।
साथ ही भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने इस वैक्सीन की 18 साल से कम उम्र के टीनेजर्स पर भी क्लीनिकल ट्रायल मोड की अनुमति मिल चुकी है। इसके तहत जिन भी बच्चों को ये वैक्सीन दी जाएगी उनके स्वास्थ्य लक्षणों की निरंतर मॉनिटरिंग की जाएगी।
3. कोरोना की कौन-सी वैक्सीन भारत में मिल सकेगी?
- भारत में दो तरह की कोरोना वैक्सीन के वैक्सीनेशन(Corona vaccination)की अनुमति दी गई है। ये दो वैक्सीन हैं- कोविशील्ड और कोवैक्सीन। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) ने कोविड-19 के इलाज के लिए दो वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दी है।
- कोविशील्ड जहां असल में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका का भारतीय संस्करण है वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह भारत की अपनी वैक्सीन है जिसे ‘स्वदेशी वैक्सीन’ भी कहा जा रहा है।
- कोविशील्ड को भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया कंपनी बना रही है। वहीं, कोवैक्सीन को भारत बायोटेक कंपनी इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर बना रही है।
4. कोविशील्ड और कोवैक्सीन के अलावा इन वैक्सीन पर चल रहा है काम
ZyCoV-D – कैडिला हेल्थकेयर की ये वैक्सीन डीएनए प्लेटफॉर्म पर बनाई जा रही है। इसके लिए कैडिला ने बायोटेकनोलॉजी विभाग के साथ सहयोग किया है। इसके तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं।
Sputnik -V- (स्पुतनिक-वी) – ये रूस की गेमालाया नेशनल सेंटर की बनाई वैक्सीन है जो ह्यूमन एडेनोवायरस प्लेटफ़ॉर्म पर बनाई जा रही है। बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन हैदराबाद की डॉक्टर रैडीज़ लैब कर रही है। ये वैक्सीन तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल तक पहुंच चुकी है।
HGCO 19 – अमेरिका की एचडीटी की एमआरएनए आधारित इस वैक्सीन का उत्पादन पुणे की जिनोवा नाम की कंपनी कर रही है। इस वैक्सीन को लेकर जानवरों पर होने वाले प्रयोग ख़त्म हो चुके हैं और जल्द ही इसके पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल शुरू होने वाले हैं।
5. कोविशील्ड और कोवैक्सीन असर कैसे करेंगे?
ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को भारत से पहले ब्रिटेन, अर्जेंटीना और अल सल्वाडोर में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। भारत में वैक्सीन का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्ड के नाम कर रही है।
इस वैक्सीन का विकास कॉमन कोल्ड एडेनेवायरस से किया गया है। चिम्पांज़ी को संक्रमित करने वाले इस वायरस में बदलाव किए गए हैं, ताकि मनुष्यों को संक्रमित न कर सके। साथ ही वैक्सीन का 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 23,745 लोगों पर परीक्षण किया गया है।
जबकि कोवैक्सीन का विकास भारतीय चिकित्सा परिषद (आइसीएमआर) और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने संयुक्त रूप से किया है। इसके निर्माण में मृत कोरोना वायरस का इस्तेमाल किया गया है, ताकि वह लोगों को नुकसान न पहुंचाए। जानकारों के मुताबिक़ यह वैक्सीन शरीर में प्रवेश करने के बाद कोरोना संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी पैदा करती है।
6. वैक्सीन कैसे बनती है और उसे ओके कौन करता है?
भारत वैक्सीन बनाने का पावर हाउस है जहाँ दुनिया भर की 60 प्रतिशत वैक्सीन का उत्पादन होता है।
दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन प्रोग्राम भी भारत में चलता है जिसके तहत सालाना 5.5 करोड़ महिलाओं और नवजात को 39 करोड़ वैक्सीन दिए जाते हैं।
सबसे पहले किसी भी वैक्सीन के प्रयोगशाला में टेस्ट होते हैं। फिर इनको जानवरों पर टेस्ट किया जाता है।
इसके बाद अलग-अलग चरणों में इनका परीक्षण इंसानों पर किया जाता है। फिर अध्ययन करते हैं कि क्या ये सुरक्षित हैं, इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है और क्या ये प्रायोगिक रूप से काम कर रही हैं।
7. क्या कोरोना वैक्सीन का साइड इफ़ेक्ट भी है?
विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बनी अब तक की लगभग सभी वैक्सीनों की सुरक्षा संबंधी रिपोर्ट ठीक रही है।
संभव है वैक्सिनेशन के चलते मामूली बुखार आ जाए या फिर सिरदर्द या इंजेक्शन लगाने वाली जगह पर दर्द होने लगे।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर कोई वैक्सीन 50 फीसदी तक प्रभावी होती है, तो उसे सफल वैक्सीन की श्रेणी में रखा जाता है।
डॉक्टरों का ये भी कहना है कि वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य में होने वाले किसी भी मामूली बदलाव पर पर नज़र बनाए रखनी होगी और किसी भी बदलाव को तुरंत किसी चिकित्सक से शेयर करना होगा।
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