Corona Brief News:भारत में कोरोना वायरस का नया रूप-D614G की दस्तक, वैज्ञानिकों के लिए चुनौती !
कोरोना वायरस के नए रूप (स्ट्रेन) ने वैज्ञानिकों (Scientist) की चिंता बढ़ा दी है। कोरोना वायरस का नया रूप (स्ट्रेन)- D614G के भारतीय रेस्तरां मालिक में सामने आने के बाद भारतीय वैज्ञानिक डरे हुए हैं। और इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि रेस्तरां मालिक में मिला स्ट्रेन – D614G कोरोना वायरस कहां से आया।
1.कोरोना वायरस का नया रूप- स्ट्रेन D614G भारत में…
ग़ौरतलब है कि भारत (India) से मलेशिया (Malaysia) गए एक रेस्तरां मालिक में स्ट्रेन- D614G पाया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, स्ट्रेन- D614G कोरोना वायरस का सबसे खतरनाक रूप है। दुनिया में फैले कोरोना वायरस से ये 10 गुना ज्यादा ताकतवर है।
ऐसे में अगर इस वायरस से संक्रमित मरीज़ों की संख्या बढ़ती है तो वैज्ञानिकों को इस महामारी का टीका और दवाएँ खोजने में एक बार फिर नए सिरे से मशक्कत करनी पड़ सकती है।
जानकारी के अनुसार, मलेशिया में जिन तीन लोगों में कोविड का D614G मिला, उनमें एक रेस्तरां मालिक भी है जो भारत से लौटा। हैरानी की बात ये है कि मलेशिया लौटने के बाद इस भारतीय रेस्त्रां मालिक ने खुद को 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन नहीं किया, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है।
2. COVID-19 वैक्सीन ट्रायल्स में शामिल हों भारतीय
कोविड-19 महामारी को लेकर बड़ी संख्या में वैक्सीन के ट्रायल्स चल रहे हैं। ऐसे में ब्रिटेन की सरकार ने भारतीय मूल के लोगों से कोविड-19 के संभावित टीके के चल रहे क्लिनिकल परीक्षणों में शामिल होने की अपील की है।
इसके लिये विभिन्न समुदायों से संपर्क साधने के उपायों में गुजराती, पंजाबी, बांग्ला और उर्दू में प्रसारित लक्षित भर्ती कार्यक्रम भी शामिल हैं। समूचे ब्रिटेन में एक लाख से अधिक लोगों ने टीके के परीक्षणों में स्वयंसेवी के तौर पर हिस्सा लिया है।
ब्रिटिश सरकार के टीका कार्यबल की अध्यक्ष केट बिंघम ने कहा, ‘‘…हमें विभिन्न पृष्ठभूमि से और अधिक लोगों की जरूरत है ताकि हम भविष्य में यह पता लगा सकें कि क्या हम उन लोगों की सुरक्षा के लिये इस टीके को शीघ्रता से ईजाद करने वाले हैं, जिन्हें इसकी जरूरत है।” उन्होंने कहा, ‘‘खतरे का सामना कर रहे लोगों को बचाने से ही महामारी का अंत होगा।”
3. रूस की कोरोना वैक्सीन के सुरक्षित होने को लेकर आशंका…
रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक ने इसके सुरक्षित होने को लेकर चिंता जताई है।
- ऑस्ट्रेलिया के रोग प्रतिरक्षा वैज्ञानिक पीटर चार्ल्स डोहर्टी (Peter Doherty) ने भी कोविड-19 के रूसी टीके (Russian Covid-19 vaccine) का आपात स्थिति में उपयोग शुरू किये जाने पर वैज्ञानिक समुदाय के संशय से सहमति जताई है।
- उन्होंने कहा कि ‘‘बड़ी चिंता” यह है कि यदि इस टीके के सुरक्षित होने को लेकर संदेह (Safety concerns)सच साबित होता है, तो फिर अन्य टीकों की विश्वसनीयता पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है।
- मेलबर्न विश्वविद्यालय के डोहर्टी इंस्टीट्यूट में सूक्ष्म जीव विज्ञान एवं प्रतिरक्षा विभाग से संबद्ध वैज्ञानिक डोहर्टी का यह भी मानना है कि कम कीमत वाली दवा बनाने का बेहतरीन रिकॉर्ड रखने वाला भारत इस सिलसिले में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।
4. ठीक हुए कोरोना मरीज़ों में आ रही ये दिक्कत
भारत में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या हर दिन एक नया रिकॉर्ड बना रही है। देश में अब तक कोरोना संक्रमण के मामले 26 लाख के पार पहुँच गए हैं। जो मरीज कोरोना वायरस से लड़कर घर पहुँच रहे हैं उनमें एक नई तरह की दिक्कत देखने को मिल रही है।
डॉक्टरों के मुताबिक, ज्यादातर कोरोना संक्रमित मरीज़ों के ठीक होने के बाद उनके अंदर थकान से लेकर सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों की परेशानी, खून के थक्के बनना और स्ट्रोक तक के मामले देखने को मिल रहे हैं।
मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार, कोरोना वायरस सीधे तौर पर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी इनका असर फेफड़ों पर बना रहता है। मोटे टिश्यूज पर मौजूद निशान फेफड़ों को ठीक से काम करने से रोकते हैं, जिसके कारण उन्हें अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।
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