Corona Brief News: दिल्ली में पहला ‘पोस्ट कोविड क्लीनिक, फिर से कोरोना होने पर यहां दिखाएं
दिल्ली में कोरोना वायरस से फिर से संक्रमित होने वाले मरीज़ों के लिए पहला ‘पोस्ट कोविड क्लीनिक’ (Post Covid Clinic) खुल गया है। उत्तर पूर्वी दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में पहला पोस्ट कोविड क्लीनिक तैयार किया गया है।
1. पोस्ट कोविड क्लीनिक में दोबारा कोरोना संक्रमितों की होगी जांच
इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने बताया था कि ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं जिनमें कोरोना मरीज़ ठीक हुए, लेकिन बाद में ऑक्सीजन की कमी होने के चलते उनकी मौत हो गई। अगर कोरोना (Coronavirus) मुक्त होने के बाद भी आप थकान, या ऑक्सीजन की कमी महसूस कर रहे हों तो यहां आ सकते हैं।
मालूम हो, पिछले कुछ दिनों में देखने में आया है कि कोरोना से ठीक होने के बावजूद कुछ मरीज़ों को थकान हो रही है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है या शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो रही है। ऐसे लोगों के लिए अभी तक कोई तय कई जगह नहीं थी, जहां जाकर वह अपनी समस्या बताएं और इलाज कराए।
राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ बी एल शेरवाल द्वारा एक हिंदी चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया गया कि ‘पोस्ट कोविड क्लीनिक का जो मुख्य उद्देश्य है वह यह है कि पिछले दिनों एक कॉमन सी शिकायत हमारे यहां से ठीक हो कर गए कुछ मरीज कर रहे हैं ,
वह लोग बता रहे हैं कि उनको सांस लेने में दिक्कत हो रही है या फिर थकान बहुत जल्दी हो जा रही है। साथ ही वह लोग अकेलेपन की भी शिकायत कर रहे हैं। पोस्ट कोविड क्लीनिक खोलने के पीछे हमारी कोशिश है कि एक छत के नीचे इन सभी मरीज़ों की सभी समस्याओं का समाधान किया जा सके।’
2. भारत में सबसे पहले मिलेगा ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका का वैक्सीन
कोरोना वैक्सीन ट्रैकरः भारत को सबसे पहले ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन मिलेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार, दुनिया में 29 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल्स से गुजर रहे हैं। वहीं 138 वैक्सीन प्री-क्लिनिकल टेस्टिंग में हैं।
- भारत में कोरोना वायरस की स्वदेशी वैक्सीन इनमें बायोटेक-आईसीएमआर और जायडस कैडिला के वैक्सीन फेज-2 के ह्यूमन ट्रायल्स में प्रवेश कर चुके हैं।
- और ख़बर है कि भारत में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका का बनाया कोवीशील्ड जल्द ही उपलब्ध होगा। इसके लिए फेज-2 और फेज-3 ह्यूमन ट्रायल्स के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने अनुमति ले ली है।
2. कोरोना वायरस से निपटने में कैसे भूमिका निभा रहा है WHO
डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कोवैक्स ग्लोबल वैक्सीन फेसिलिटी प्रोग्राम शुरू किया है। इसे डब्ल्यूएचओ ने रईस देशों और नॉन-प्रॉफिट्स से फंड जुटाने के लिए डिज़ाइन किया है।
ताकि दुनियाभर में चल रहे वैक्सीन डवलपमेंट प्रोग्राम को सपोर्ट करते हुए दो बिलियन इफेक्टिव वैक्सीन डिलीवर किए जा सके।
स्वदेशी कोरोना वैक्सीन भारत बायोटेक का कोवैक्सीन और जायडस कैडिला का वैक्सीन फेज-1 पूरा कर चुका है। इसके फेज-2 ह्यूमन ट्रायल्स शुरू हो गए हैं। डब्ल्यूएचओ के ट्रैकर के मुताबिक इस पर तेजी से काम चल रहा है। लेकिन अगले साल ही वैक्सीन मार्केट में आएगा।
3. हर्ड इम्युनिटी को लेकर वैज्ञानिकों ने किया दावा
- कोरोना को लेकर वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि हर्ड इम्यूनिटी 50% या इससे कम आबादी संक्रमित होने पर भी आ सकती है। यह क्षमता टीकाकरण या संक्रमण से ठीक होने के बाद भी आ सकती है
- हर्ड इम्युनिटी का मतलब है कि वायरस को ऐसे इंसान मिलने बंद हो जाएं, जिन्हें संक्रमित कर वह लगातार फैलता रहे।
- वैज्ञानिकों के अनुसार न्यूयॉर्क, लंदन और मुंबई के कुछ हिस्सों में वायरस के खिलाफ मजबूत इम्युनिटी पैदा हो चुकी है। कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीन के साथ-साथ वैज्ञानिक हर्ड इम्युनिटी को भी कारगर बताते रहे हैं।
- ग़ौरतलब है कि स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी में गणितज्ञ टॉम ब्रिटन कहते हैं कि 43% लोगों के संक्रमित होने पर हर्ड इम्युनिटी आ सकती है। यानी किसी आबादी में इतने लोग संक्रमित या रिकवर होने के बाद वायरस अनियंत्रित तरीके से नहीं फैलेगा।
4. धूल के कणों से भी फैल सकता है वायरस
अब तक उपयोग किए गए टिश्यू और दरवाज़ों को न छूने की सलाह दी जाती है। नई रिसर्च में सामने आया है कि वायरस का खतरा सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। कई अन्य रास्तों से भी वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है। हालांकि, सभी इन्फ्लूएंजा वायरसों में संक्रमण ऐसा ही फैले, यह अभी साफ नहीं है।
यही वजह है कि कोरोना काल में लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है। जिससे एक व्यक्ति के छींकने और बात करने के दौरान दूसरे व्यक्ति में वायरस के प्रवेश का खतरा न हो। लेकिन, धूल के जरिए संक्रमण फैलने के खतरे वाली बात नई चुनौती पैदा कर सकती है।
बतादें, धूल से वायरस फैलने के खतरे का खुलासा अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हालिया रिसर्च से हुआ है।
5. कैसे होगा टीबी का खात्मा, मरीज़ों को नहीं मिल रहे दवा और डॉक्टर
भारत में दुनिया के मुकाबले सबसे अधिक टीबी मरीज़ है और टीबी व कोरोना वायरस दोनों के लक्षण एक समान हैं।
टीबी के मरीज़ों की देखभाल पर इस महामारी का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि जनवरी से जून के बीच टीबी के नए मामलों के रजिस्ट्रेशन में 25 फीसदी की कमी देखी गई है। इस कमी की वजह उचित देखभाल और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को माना जा रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता है कि इससे 2025 तक टीबी को पूरी तरह खत्म करने का भारत का लक्ष्य पटरी से उतर सकता है। वैश्विक स्तर पर 2030 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य है।
भारत में मार्च के आखिर में 70 दिनों का सख्त लॉकडाउन लगाया गया, जिससे भारत के लाखों टीबी मरीज़ों के लिए दवा पाना, डॉक्टर को दिखाना और इलाज पाना मुश्किल हो गया। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत से टीबी जैसी बीमारी का अंत कब होगा?
लेटेस्ट कोरोना वायरस अपडेट्स और किसी भी बीमारी से संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श के लिए डाउनलोड करें ”आयु ऐप’।